फिर कहता है सुप्रीम कोर्ट, लोग सोशल मीडिया पर क्या क्या लिखते हैं? राहुल गांधी चुनाव आयोग को भाजपा की Election Chori Branch कह रहा है और आप स्वतः संज्ञान नहीं ले सकते; क्या दिल्ली हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर है? पहले किस फिल्म की रिलीज़ के लिए कब केंद्र से पूछा था

सुभाष चन्द्र
भारतीय संसद के इतिहास में राहुल गाँधी ऐसा LoP देश को मिला है जिस पर किसी मवाली की तरह कई Defamation cases दर्ज है। जिस वजह से LoP पद की गरिमा ऐसी कलंकित हुई है, जो पता नहीं कब सम्मानित होगा? मजे की बात यह है कि संविधान दुहाई देने वाला सारा विपक्ष चुप्पी साधे हुए। क्या ऐसा विपक्ष संविधान तो बहुत दूर की बात है देश को सम्मान नहीं देने के काबिल है। देखना यह है कि देश की मूर्ख जनता अपने चक्षु खोल कब ऐसे विपक्ष को धूल में पटकनी देगी।    

तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी कह सकते हैं और लिख सकते हैं, सोशल मीडिया पर लोग क्या क्या लिखते हैं जिसे रेगुलेट करने की आवश्यकता है 

लेकिन सुप्रीम कोर्ट स्वयं अपनी शक्तियों का कैसे दुरुपयोग कर रहा है, यह भी गंभीर चिंता का विषय है फिल्म “उदयपुर फाइल्स” के लिए पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा था कि फिल्म को रिलीज़ होने दो लेकिन फिर दिल्ली हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी और कहा कि केंद्र सरकार का निर्णय आने दो जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उन्होंने भी कह दिया कि केंद्र के जवाब का इंतज़ार करना चाहिए और फिल्म की रिलीज़ पर रोक जारी रखी। सुप्रीम कोर्ट की दिल्ली हाई कोर्ट से पूछने की हिम्मत नहीं कि "हमारे फैसले पर कैसे स्टे लगाया? ज्वलंत सवाल है कि क्या दिल्ली हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर है या अंदरखाने कट्टरपंथियों से कोई गुप्त समझौता? यह कौन-सा दोगला कानून है?  

सवाल यह उठता है कि क्या विगत में भी किसी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने किसी फिल्म की रिलीज़ के लिए केंद्र सरकार से सलाह मांगी थी? ऐसा कभी नहीं हुआ तो फिर “उदयपुर फाइल्स” के लिए ऐसा क्यों किया गया? Justices Surya Kant and Joymalya Bagchi और दिल्ली हाई कोर्ट से मेरा सीधा सवाल है कि मामला कानून के दायरे में आपके सामने लाया गया था, तो आपने कानूनी पहलु ध्यान में रख कर फैसला क्यों नहीं किया? 

लेखक 
चर्चित YouTuber
 
इसके बाद Ashoka University professor Ali Khan Mahmudabad के खिलाफ भी ऑपरेशन सिंदूर पर सांप्रदायिक टिप्पणी के मामले में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की ही बेंच ने सवाल खड़े किये और हरियाणा सरकार को कटघरे में खड़ा किया दोनों मामलों में वकील कपिल सिब्बल और बेंच भी वही यह अपने आप में संदेह पैदा करता है  कि जैसे सिब्बल जो मर्जी चाहता है, वो उसे मिल जाता है

राहुल गांधी ने आपकी “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” की धज्जियां उड़ाते हुए संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग के खिलाफ अत्यंत घ्रणित टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनाव आयोग की चोरी रंगे हाथों पकड़ी गई है और आयोग “भाजपा की इलेक्शन चोरी शाखा” बन चुका है साथ ही उसने असम के मुख्यमंत्री को धमकी दी है कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा

वैसे चुनाव आयोग पर ऊँगली उठाने वाला कौन है? अजीत अंजुम जो अपने यूट्यूब चैनल पर झूठ परोसता है और उस पर FIR दर्ज हो चुकी है, उसे राहुल गांधी बचा रहा है

चुनाव आयोग का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और बावजूद उसके राहुल गांधी का यह बयान सुप्रीम कोर्ट को अपनी अवमानना नहीं लगता क्या? सुप्रीम कोर्ट को स्वत संज्ञान लेकर राहुल गांधी को नोटिस जारी कर मुकदमा चलाना चाहिए या आप इंतज़ार करेंगे कि मुकदमा पहले ट्रायल कोर्ट में दायर हो, फिर समन के खिलाफ वो हाई कोर्ट जाए और फिर मामला आपके पास आए और आप केस को स्टे कर दें जैसे आपने सावरकर के अपमान पर केस को स्टे करके किया

दरअसल वर्तमान चीफ जस्टिस बीआर गवई ने ही राहुल गांधी को मोदी सरनेम के मामले में छोड़ कर उसे उद्दंड बना दिया और वे ही आज राहुल गांधी की हर करतूत के लिए जिम्मेदार माने जा सकते हैं

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