डोनाल्ड ट्रंप (बाएँ), TRF का LOGO (बीच में), मोदी (दाएँ), (साभार : The White House, Aajtak & The Economic Times)
एक तारीख जो भारत के दिल में नासूर बनकर दर्ज हो गई, वो है 22 अप्रैल 2025 की। पहलगाम की शांत घाटियों में गूंजती गोलियों की आवाजों ने 26 बेगुनाह जिंदगियों को हमेशा के लिए खामोश कर दिया। इस बार आतंकियों ने न धर्म छिपाया, न नीयत- ‘क्या तुम हिंदू हो’? पूछने के बाद सीधे गोली मार दी। ये कोई छिपा हमला नहीं था, ये एक धार्मिक नरसंहार था।
जिस आतंकी संगठन TRF ने इस कत्लेआम की जिम्मेदारी ली थी, उसे भारत पहले ही आतंकी संगठन घोषित कर चुका था। TRF कोई आम संगठन नहीं है। ये पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की गोद में पला वो खूनी भेड़िया है, जिसे लश्कर-ए-तैयबा ने नया नाम और नया चेहरा देकर छोड़ा है। लेकिन अब अमेरिका ने भी आधिकारिक रूप से TRF को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यह जानकारी दी। मार्को रुबियो ने बताया कि यह फैसला ट्रंप सरकार ने आतंकवाद से लड़ने और पहलगाम हमले में न्याय दिलाने के लिए लिया है।
अमेरिका ने एक प्रेस स्टेटमेंट जारी कर TRF को आतंकी संगठन घोषित कियावहीं, भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका ने TRF को आतंकी संगठन घोषित करके अच्छा किया। उन्होंने X (पहले ट्विटर) पर लिखा कि यह भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ मजबूत साथ होने का सबूत है। जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अमेरिकी विदेश विभाग की तारीफ भी की।
A strong affirmation of India-US counter-terrorism cooperation.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 18, 2025
Appreciate @SecRubio and @StateDept for designating TRF—a Lashkar-e-Tayyiba (LeT) proxy—as a Foreign Terrorist Organization (FTO) and Specially Designated Global Terrorist (SDGT). It claimed responsibility for the…
टीआरएफ क्या है और कैसे काम करता है?
द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) एक आतंकी संगठन है। यह पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही एक नया रूप है। TRF सीधे-सीधे बड़ा संगठन नहीं है। यह छोटे-छोटे आतंकी समूहों की तरह काम करता है, जिन्हें टेरर मॉड्यूल कहते हैं। इनमें फाल्कन स्क्वाड जैसे नाम शामिल हैं।
ये समूह किसी खास काम के लिए तैयार होते हैं और काम खत्म होने के बाद या तो खत्म हो जाते हैं या अपना चेहरा बदल लेते हैं। TRF के आतंकी बहुत चालाक होते हैं। वे आम लोगों की तरह रहते हैं।
हमला करने से पहले वे अपनी जगह की रेकी करते हैं, यानी वहाँ की पूरी जानकारी जुटाते हैं। फिर वे हथियार इकट्ठा करते हैं और ट्रेनिंग लेते हैं। हमले के बाद वे अपने हथियार छिपा देते हैं और घाटियों या जंगलों में छिप जाते हैं।
ये आतंकी सोशल मीडिया का भी खूब इस्तेमाल करते हैं। वे इसके जरिए इस्लामिक कट्टरता फैलाते हैं और युवाओं का ब्रेनवॉश करते हैं, ताकि वे उनके साथ जुड़ जाएँ। ऐसा करने से उन्हें दो फायदे होते हैं। पहला, वे हमलों के लिए स्थानीय लड़कों का इस्तेमाल कर पाते हैं। दूसरा, स्थानीय लोगों को चुनने से उन्हें सहानुभूति भी मिलती है और छिपने के लिए जगह भी मिल जाती है।
TRF जैसे आतंकी संगठन हाइब्रिड मिलिटेंट्स का भी इस्तेमाल करते हैं। ये ऐसे आम नौजवान होते हैं जिनका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होता। ये ऑनलाइन माध्यम से इन आतंकी समूहों से जुड़ते हैं।
फिर इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है और हमला करने का लक्ष्य बताया जाता है। हमला करने के बाद ये फिर से अपने गाँव या शहर जाकर आम जिंदगी जीने लगते हैं। चूंकि इनका कोई रिकॉर्ड नहीं होता, इसलिए इन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
TRF जैसे संगठन आर्टिक्स 370 हटाए जाने के बाद सामने आए। ये ऑनलाइन ही शुरू हुए थे और बाद में दूसरे बड़े आतंकी गुटों से जुड़ गए। ऊपर से देखने पर ये ऐसे लगते हैं जैसे नए बने हों, लेकिन इनका मकसद एक ही होता है- कश्मीर के स्थानीय लोगों के मन में गैर-कश्मीरियों के लिए डर और गुस्सा पैदा करना।
साथ ही, कश्मीर को आतंकवाद से अस्थिर बनाए रखना। ये आतंकी एक ‘शैडो वॉर’ (अदृश्य युद्ध) चला रहे हैं, जिसमें वे खुद को ‘हम’ और बाकी देश व सेना को ‘वे’ बताते हैं, जो उनके साथ गलत कर रहे हैं।
टीआरएफ ने अब तक कितने हमले किए हैं?
टीआरएफ ने अब तक कई आतंकी हमले किए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हमले नीचे दिए गए हैं।
अप्रैल 2020 में कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में घुसपैठ करने के बाद इस हमले में सेना के 5 जवान बलिदान हुए थे, जिनमें एक जेसीओ भी शामिल थे।
30 अक्टूबर 2020 को साउथ कश्मीर के कुलगाम जिले में बीजेपी के तीन कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
26 नवंबर 2020 को श्रीनगर के लवेपोरा इलाके के पास श्रीनगर-बारामूला हाईवे पर उन्होंने दो सैनिकों को गोली मारी और उनके हथियार छीन लिए। उन्होंने इस हत्या का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था।
26 फरवरी 2023 को कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
20 अक्टूबर 2024 को गांदरबल के गगनगीर इलाके में श्रीनगर-लेह नेशनल हाईवे पर टनल बनाने वाली जगह पर फायरिंग की। इस हमले में बडगाम के डॉक्टर शहनवाज मीर और पंजाब-बिहार के 6 मजदूर मारे गए थे।
अमरनाथ यात्रा शुरू होने से ठीक पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। इस हमले में कई लोग घायल भी हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी भी TRF ने ही ली थी। यह हमला टीआरएफ ने अपने फाल्कन स्क्वाड की मदद से किया था, जिसे बेहद खूंखार और तेज-तर्रार माना जाता है।
अमेरिकी अधिकारियों मार्को रुबियो ने इस हमले को 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में नागरिकों पर हुआ सबसे घातक हमला बताया।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो का स्टेटमेंटपहलगाम हमला
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमला हुआ। यह हमला पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने मिलकर प्लान किया था।
इसे पाकिस्तान के नेताओं और सेना के कहने पर अंजाम दिया गया था। यह हमला सिर्फ पाकिस्तानी आतंकियों ने ही किया था। ISI ने पाकिस्तान में बैठे लश्कर कमांडर साजिद जट्ट को साफ निर्देश दिए थे कि वह पहलगाम में केवल विदेशी आतंकियों का इस्तेमाल करे।
हमले को गुप्त रखने के लिए किसी भी कश्मीरी आतंकी को इसमें शामिल नहीं किया गया। इसके बजाय, जम्मू-कश्मीर में पहले से मौजूद लश्कर के विदेशी आतंकियों को यह काम सौंपा गया।
पहलगाम हमले की अगुवाई सुलेमान नाम का एक शख्स कर रहा था। वह पाकिस्तान के विशेष बल का एक संदिग्ध कमांडो रह चुका है। उसने 2022 में LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) पार करके जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की थी।
सुलेमान ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लश्कर के ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण लिया था। इस दस्ते में सुलेमान के अलावा दो और पाकिस्तानी आतंकी थे। सैटेलाइट फोन से पता चला कि सुलेमान 15 अप्रैल 2025 को त्राल के जंगल में था।
इससे पता चलता है कि वह हमले से करीब एक हफ्ते पहले ही पहलगाम के पास पहुँच गया था। सुलेमान अप्रैल 2023 में पुंछ में सेना के एक ट्रक पर हुए हमले में भी शामिल था, जिसमें पाँच सैनिक शहीद हुए थे।
हालाँकि, ISI और लश्कर के इस बड़े मिशन को अंजाम देने से पहले वह दो साल तक शांत रहा था। हमलावरों ने 26 लोगों को चुना और मार दिया, जिनमें सभी पुरुष थे और 25 हिंदू थे। अभी घाटी में करीब 68 विदेशी आतंकी और 3 स्थानीय आतंकी एक्टिव हैं।
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