क्या NATO भारत, चीन और ब्राज़ील के साथ अपने सदस्यों पर भी Secondary sanctions लगाएगा? क्या अमेरिका और NATO की प्रतिष्ठा दांव पर लग गयी है?

सुभाष चन्द्र

Operation Sindoor से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ पाकिस्तान को ही बेनकाब नहीं बल्कि इसका असर कई देशों पर हुआ है। एक तो आतंकवाद को समर्थन देने वाले देश ही बेनकाब हो गए। इतना ही नहीं इंडो-पाक के बीच cease fire करवाने का दावा करने वाले अमेरिका राष्ट्रपति भी बेनकाब हो गया। जिसने पता नहीं कितनी बार गिरगिट की तरह रंग बदले। दूसरे, अमेरिका की कठपुतली बने NATO भी बेनकाब होने के कगार पर है।  

नाटो के महासचिव मार्क रुट ने भारत, चीन और ब्राज़ील को खुली धमकी दी है कि अगर ये देश रूस से व्यापार जारी रखते हैं और रूस से तेल और गैस खरीदना बंद नहीं करते तो उन पर 100% Secondary sanctions लगाऊंगा मार्क रुट ने कहा कि भारत, चीन और ब्राज़ील को पुतिन पर युद्ध समाप्त करने के लिए दबाव बनाना चाहिए मतलब ये सब मिलकर खुद न रूस को हरा सके और न युद्ध रुकवा सके अब ये निर्भर हैं भारत, चीन और ब्राज़ील पर कि वो पुतिन को मना लेंगे

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डोनाल्ड ट्रंप तो 500% टैरिफ लगाने की धमकी दे रहा है लगता है अमेरिका और नाटो के पास आर्थिक प्रतिबंधों का सबसे बड़ा हथियार है जिसे चला कर वो अपनी दादागिरी दिखाना चाहता है। NATO भी बिना सोचे समझे ट्रंप के नक्शेकदम पर चल पड़ा है आपका सिद्धांत एक होना चाहिए कि जो देश भी रूस से तेल और गैस खरीदेगा, उस पर Secondary sanctions लगेंगे वैसे NATO के पास कोई ऐसा फंड नहीं है जो किसी पर Sanctions लगा सके

ऐसा तो नहीं है कि दुनिया भर में केवल भारत, चीन और ब्राज़ील ही रूस से तेल और गैस खरीदते हैं मार्क रुट को अपने NATO देशों में ही झांक लेना चाहिए था कि रूस पर गैस के लिए कौन कौन निर्भर है फिर उन पर भी 100% Secondary sanctions लगाएगा क्या?

मार्क रूट को पता नहीं है कि NATO के 32 देशों में 30 यूरोपीय देश हैं जिनमें कई रूस से गैस सप्लाई ले रहे हैं क्या उन देशों पर Secondary sanctions लगाने की हिम्मत करेगा? ऐसे कौन से NATO देश है जो रूस से व्यापार कर रहे हैं, आइये देखते हैं -

-तुर्किये रूस से एल्यूमीनियम और स्टील के अलावा कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है, हथियार अलग से;

-हंगरी, स्लोवाकिया और ऑस्ट्रिया रूस से गैस खरीद रहे हैं जिनमें सबसे ज्यादा हंगरी लेता है;

-फ्रांस, स्पेन और बेल्जियम रूस की LNG के बड़े आयातक हैं और उनके LNG Terminals रूसी गैस से भरे रहते हैं;

-इटली और चेक गणराज्य ने 2024 में रूस से गैस सप्लाई बढ़ा दी थी;

-बुल्गारिया के कुछ हद गैस खरीदना कम किया लेकिन बंद नहीं किया;

-इसके अलावा भी कई यूरोपीय देश रूस से गैस खरीद रहे हैं चाहे मात्रा कम ही हो

यूरोपीय देश रूस से गैस खरीदना कम कर चुके हैं लेकिन पूरी तरह बंद करना उनके बस की बात नहीं है

रूस बड़ी मात्रा में तेल की सप्लाई अफ्रीकन देशों को भी कर रहा है जिनमें शामिल हैं घाना, मिस्र, मोरक्को, टोगो और टुनिशिया

NATO अब बताए कि क्या वह 100% Secondary sanctions भारत, चीन और ब्राज़ील के अलावा अपने नाटो सदस्य देशों पर भी लगाएगा वह भी तब, जब डोनाल्ड ट्रंप EU पर 30% टेर्रिफ लगाने की घोषणा कर चुके हैं जो एक अगस्त से लागू होगी NATO तो खुद अमेरिका के रहमोकरम पर पल रहा है क्योंकि उसके सदस्य देश तो अपना वार्षिक शुल्क भी नहीं दे पा रहे NATO का काम वैसे भी आर्थिक नीति बनाना नहीं है

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