भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में घुसकर ULFA-I (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट) और NSCN-K (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग) के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक किए। हमले में ULFA-I का कमांडर नयन मेधी उर्फ नयन असोम मारा गया है।
उधर, ULFA-I ने हमले की पुष्टि की है। बताया गया कि कई मोबाइल कैंपों पर ड्रोन से हमले किए गए हैं। संगठन ने बताया कि इसमें एक वरिष्ठ नेता मारा गया है, जबकि लगभग 19 लोग घायल हुए हैं। हालाँकि, भारतीय सेना ने अब तक इस ऑपरेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
रविवार (13 जुलाई 2025) तड़के हुए इस सर्जिकल स्ट्राइक में भारत-म्यांमार सीमा के पास नागा स्व-प्रशासित क्षेत्र में स्थित शिविरों को निशाना बनाया गया। सर्जिकल स्ट्राइक में 100 से अधिक हवाई वाहनों का इस्तेमाल किया गया। ऑपरेशन को म्यांमर सेना के साथ मिलकर अंजाम दिया गया है।
भारतीय सेना के म्यांमार ऑपरेशन को खूब सराहा जा रहा है। इस ऑपरेशन का फ्लान 4 जून को गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजीत दोभाल, सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग और अन्य अधिकारियों की बैठक में बना था।
7 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी के बाद जांबाज जवान 8 और 9 जून की दरम्यानी रात म्यांमार सीमा में विमान से दाखिल हुए और तड़के 3 बजे ऑपरेशन शुरू कर दिया। जानिए भारतीय सेना के पहले 'क्रॉस-बॉर्डर' ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी:
1. भारतीय सेना के 21 पैरा कमांडोज के इस दस्ते ने दुश्मन के खात्मे के लिए पहले मॉक ड्रिल की थी। इसके लिए मॉक कैंप तैयार किए गए। मॉक कैंप पर ऑपरेशन की की रिहर्सल की गई। ऑपरेशन की तैयारी 5 दिनों तक चली।
2. इस ऑपरेशन को जवानों ने 8 घंटो मे अंजाम दिया। इस दौरान जवान दिल्ली में कंट्रोल रूम के संपर्क में थे। स्पेशल फोर्सेस के जवान तीन टीमों में ध्रुव हेलीकॉप्टर में बैठकर रवाना हुए और आधी रात के बाद उन्हें म्यांमार सीमा के भीतर उतारा गया। उग्रवादी कैंपों पर हमला मंगलवार को तड़के तीन बजे शुरू हुआ।
3. सेना के पास इनपुट था कि म्यांमार के पोन्यु इलाके के पास उंजिया में उग्रवादी गुट 'द नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग' (NSCN-K) के कैंप चल रहे हैं। यह जगह मणिपुर सीमा के नजदीक है। वहीं मणिपुर के ऊखरु इलाके के सामने म्यांमार सीमा में एक आतंकी कैंप चल रहा था। उखरु के चसाद इलाके से जवान नुकलूक पहुंचे। यहां कैंप को ठीक उसी तरह से घेरा गया जैसा मॉक कैंप मे अटैक किया गया।
4. स्पेशल फोर्स के जवान तीन टीमों में थे। जवानों के पास एक-दूसरे के संपर्क के लिए रेडियो सेट थे। इसके अलावा ट्रेवोर राइफल, ग्रेनेड, नाइट विजन डिवाइस, रॉकेट लॉन्चर, माउंटेड डिवाइस भी साथ थे। भारतीय सेना के जवान रॉकेट लॉन्चर लिए म्यांमार सीमा के 8 किलोमीटर तक अंदर घुसे और फिर शुरु हुआ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन।
5. उग्रवादियों के गुट को चारों तरफ से घेरकर जवानों ने अटैक कर दिया। ये सारी जानकारी कंट्रोलरूम को दी जा रही थी। जवानों ने पोन्यु से आतंकियों को नुकलुक तक खदेड़ दिया। इस बीच ये खबर आई कि NSCNK का चीफ एसएस खापलांग वहां से भाग निकला है। लेकिन रॉकेट लॉन्चरों के इस्तेमाल से सेना ने कैंपो को ध्वस्त कर दिया। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक NSCNK दोबारा हमले की तैयारी में है और इसकी जानकारी मिलिट्री इंटेलीजेंस के पास भी है।
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