य़ूके ग्रूमिंग जिहाद (फोटो साभार: BBC/South Yorkshire Police/Facebook)
ब्रिटेन के रोथरहम में एक भयावह सच सामने आया है। पाँच पीड़ित महिलाओं ने खुलासा किया है कि पाकिस्तानी मुस्लिम पुरुषों की गैंग ने न सिर्फ उनके बचपन को तबाह किया, बल्कि साउथ यॉर्कशायर पुलिस (SYP) के कुछ पुलिस वालों ने भी उनकी जिंदगी नर्क बना दी।
एक पीड़िता ने सनसनीखेज आरोप लगाया कि दो पुलिस वालों ने उसका यौन शोषण किया, जिसमें से एक का नाम पीसी हसन अली था। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों पुलिस वालों ने न सिर्फ उसका शोषण किया, बल्कि उसे नशे की दवाइयाँ भी दीं। हसन अली की जनवरी 2015 में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई। उस वक्त वह शोषण के मामले में जाँच के दायरे में था और उसे प्रतिबंधित ड्यूटी पर रखा गया था, लेकिन उसे कभी गिरफ्तार नहीं किया गया।
पुलिस की सफाई और छिपी सच्चाई
साउथ यॉर्कशायर पुलिस ने दावा किया कि हसन अली के खिलाफ शिकायतें थीं, लेकिन ये सिर्फ ‘एक पीड़िता को बार-बार डेट के लिए पूछने, गोपनीय जानकारी साझा करने और पीड़ितों की सुरक्षा में नाकामी’ से जुड़ी थीं। पुलिस ने नशे की सप्लाई के आरोपों को खारिज किया। लेकिन ‘ऑपरेशन लिंडन’ में दो साल तक काम करने वाले गैरी हार्पर ने इस दावे को झूठा करार दिया।
गैरी हार्पर ने दो साल तक इंडिपेंडेंट ऑफिस फॉर पुलिस कंडक्ट (आईओपीसी) के लिए जाँच जीस जिसमें एसवाईपी द्वारा 1997 से 2013 तक रॉदरहैम में चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज की रिपोर्ट्स को कैसे हैंडल किया गया, ये पता लगाना था।
अपनी जाँच के बाद हार्पर ने बताया कि हसन अली पर नशा सप्लाई करने और पीड़िताओं के यौन शोषण के कई गंभीर आरोप थे। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि दूसरा पुलिस वाला भी इन घिनौनी हरकतों में शामिल था, लेकिन उसे रिटायर होने की इजाजत दे दी गई। हार्पर ने इसे पुलिस की बदनामी छिपाने की कोशिश बताया और कहा, “ये सबसे अच्छे हाल में उनकी प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश थी। और सबसे बुरे हाल में, ये खुला भ्रष्टाचार था।”
पुलिस की क्रूरता और पीड़िताओं का दर्द
पीड़िताओं ने बताया कि 1990 के दशक के मध्य से 2000 के शुरुआती सालों तक, पुलिस वालों ने पाकिस्तानी गैंग के साथ मिलकर उनका शारीरिक और यौन शोषण किया। ज्यादातर पीड़िताएँ उस वक्त किशोर थीं, लेकिन कुछ तो महज 11 साल की थीं।
एक पीड़िता ने बताया कि गैंग ने उसका बार-बार बलात्कार किया और उसे गैरकानूनी गर्भपात के लिए मजबूर किया। जब एक यूथ वर्कर ने सोशल सर्विस और पुलिस को इसकी सूचना दी, तो उसी पुलिस वाले ने उसका बयान लिया, जो उसका शोषण कर रहा था। कुछ दिन बाद, उस पुलिस वाले ने पीड़िता के सामने उसका बयान फाड़कर कूड़ेदान में फेंक दिया। इस घटना के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
12 साल की बच्ची को पुलिस की गाड़ी में बनाया शिकार
एक अन्य पीड़िता ने बताया कि जब वह 12 साल की थी, तब एक पुलिस वाले ने उसे एक पुलिस गाड़ी में यौन शोषण का शिकार बनाया। उसने धमकी दी कि अगर उसने उसका विरोध किया, तो वह उसे वापस उन बलात्कारियों के पास भेज देगा। एक महिला जो 1990 के दशक में फोस्टर केयर में थी और बच्चों के आश्रय गृह से बार-बार भागती थी, उसने बताया कि एक पुलिस वाला उसे ढूँढकर एक खाली मकान में ले जाता और बलात्कार करता।
पीड़िता ने कहा, “वह जानता था कि हमारी कोई सुनवाई नहीं होगी। हम अनाथ थे, कमजोर थे, और वह हमारा डर जानता था। वह जानता था कि हम कुछ नहीं बोल पाएँगे।”
पुलिस और कानूनी व्यवस्था पर भरोसा टूटा
30 पीड़िताओं में से सिर्फ 17 ने अपनी सहमति दी कि उनके बयान पुलिस जाँच में इस्तेमाल किए जाएँ। कई पीड़िताओं ने अब इस जाँच से खुद को अलग कर लिया है, क्योंकि उनका पुलिस और कानूनी व्यवस्था पर से भरोसा पूरी तरह उठ चुका है।
गैरी हार्पर ने साउथ यॉर्कशायर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने हर संभव तरीके से जवाबदेही से बचने की कोशिश की। उन्होंने आठ साल की जाँच को ‘शुरू से अंत तक पूरी तरह नाकाम’ करार दिया।
कुछ कार्रवाई, लेकिन सजा का नामोनिशान नहीं
वॉचडॉग ने 43 पुलिस वालों के खिलाफ शिकायतों को सही पाया, जिनमें से आठ पर छोटे-मोटे गलत व्यवहार और छह पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप थे। इसके बावजूद, किसी भी पुलिस वाले को न तो कोई सजा हुई और न ही उनकी नौकरी गई।
दिसंबर 2024 से अब तक तीन पूर्व पुलिस वालों को बलात्कार की कोशिश, यौन उत्पीड़न और अपने पद के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। ये अपराध 1995 से 2004 के बीच हुए, जब ये पुलिस वाले ड्यूटी पर थे। लेकिन अभी तक इनमें से किसी को भी सजा नहीं हुई है।
नई जाँच की शुरुआत
साउथ यॉर्कशायर पुलिस की मेजर क्राइम यूनिट अब पुलिस वालों की इस घिनौनी साजिश की नई जाँच शुरू कर रही है। यह जाँच पुलिस वॉचडॉग की निगरानी में होगी। स्वतंत्र पुलिस आचरण कार्यालय (IOPC) ने 91 जाँचें कीं, जिनका निष्कर्ष 2022 में आया।
IOPC के एक प्रवक्ता ने कहा, “हमने पाया कि उस दौरान साउथ यॉर्कशायर पुलिस कमजोर बच्चों और युवाओं की सुरक्षा में पूरी तरह नाकाम रही।”
रोथरहम में 1400 बच्चियों का शोषण
2014 में प्रोफेसर एलेक्सिस जे की जाँच से खुलासा हुआ कि 1997 से 2013 के बीच रोथरहम में कम से कम 1,400 बच्चियों का यौन शोषण हुआ। जे ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “हमने जो सबूत देखे और सुने, उनके आधार पर ज्यादातर पीड़ितों ने अपने शोषकों को पाकिस्तानी मूल का बताया।”
पाकिस्तानी गैंग और पुलिस की मिलीभगत का काला सच
ब्रिटेन में कई दशकों से पाकिस्तानी गैंग ग्रूमिंग जिहाद करते हुए नाबालिग ब्रिटिश लड़कियों को निशाना बनाते रहे हैं। इन गैंग्स ने बलात्कार, शारीरिक शोषण और यातना जैसे जघन्य अपराध किए। सरकार, पुलिस और मीडिया पर भी गंभीर आरोप हैं कि उन्होंने इन अपराधों की गंभीरता को दबाने की कोशिश की, ताकि नस्लवाद का ठप्पा न लगे।
यह घिनौना सच अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है, लेकिन पीड़िताओं को अभी तक इंसाफ का इंतजार है। उनकी आवाजें दबाई गईं, उनके बयान फाड़े गए और उनकी जिंदगियाँ तबाह कर दी गईं। अब सवाल यह है कि क्या इस नई जाँच से इन पीड़िताओं को इंसाफ मिल पाएगा या यह भी एक और नाकाम कोशिश साबित होगी?
No comments:
Post a Comment