बांके बिहारी मंदिर का धन श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर खर्च हो; सुप्रीम कोर्ट ने कहा केवल एक मंदिर पर नज़र क्यों है, जो सरकारें मंदिरों से धन लूट रही हैं, ये आदेश उनके लिए क्यों नहीं?

सुभाष चन्द्र

अगस्त 5 को सुप्रीम कोर्ट ने वृन्दावन के प्रसिद्ध बांके बिहार मंदिर के प्रबंधन और मंदिर के पैसे का उपयोग कॉरिडोर बनाने में के लिए किये जाने के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान कहा कि मंदिर का पैसा श्रद्धालुओं की सुविधा पर खर्च होना चाहिए, वह किसी की जेब में क्यों जाए। उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश पर सवाल उठाते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची ने कहा कि अध्यादेश जारी करने में इतनी जल्दी क्यों की गई और कहा कि कोर्ट मंदिर का प्रबंधन अंतरिम तौर पर हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली समिति को सौंप सकता है इस केस में वकील थे घोर हिन्दू विरोधी कपिल सिब्बल, श्याम दीवान और आनंद तिवारी

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उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि मंदिर के बेहतर प्रशासन के  लिए अध्यादेश लाया गया 

आप सुप्रीम कोर्ट हैं, जो मर्जी आदेश दे सकते हैं लेकिन आपके आदेश कि मंदिर का पैसा श्रद्धालुओं पर ही खर्च होना चाहिए, सब राज्यों के मंदिरो पर लागू होना चाहिए केवल बांके बिहारी मंदिर पर नहीं जबकि सत्य तो यह है कि -

"The Tamil Nadu Hindu Religious and Charitable Endowments Act XXII of 1959 controls 36,425 temples, 56 mathas or religious orders (and 47 temples belonging to mathas), 1,721 specific endowments and 189 trusts.

Tamil Nadu is known for its ancient temple architecture. Nearly 33,000 ancient temples, many at least 800 to 2000 years old, are found scattered all over Tamil Nadu. As per Tamil Nadu Hindu Endowments Board, there are 38,615 temples". 

तमिलनाडु सरकार इन सभी मंदिरों से पैसा लूटती है और राज्य की सत्ताधारी पार्टी सनातन को डेंगू मलेरिया बता कर उसे ख़त्म करने की बात करती है

कर्नाटक सरकार ने अभी एक कानून लागू किया है जिसके अनुसार वह एक करोड़ से ज्यादा कमाई करने वाले मंदिरों से 10% कमाई का हिस्सा लेगी 

कर्नाटक के 2 लाख मंदिरों में लगभग 50,000 मंदिर रखरखाव के अभाव के कारण बंद हो गए हैं

ऐसा ही पैसा महाराष्ट्र सरकार मंदिरों से वसूल करती है। आंध्र प्रदेश सरकार नें लगभग 34,000 मंदिर को अपने अधीन ले लिया था। कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु ने भी मंदिरों को अपने अधीन कर दिया था। इसके बाद शुरू हुआ मंदिरों के चढ़ावे में भ्रष्टाचार का खेल-उदाहरण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग 3500 करोड़ रूपए है। मंदिर में रोज बैंक से दो गाड़ियां आती हैं और मंदिर को मिले चढ़ावे की रकम को ले जाती हैं।

इतना फंड मिलने के बाद भी तिरुपति मंदिर को सिर्फ 7 % फंड वापस मिलता है, रखरखाव के लिए।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री YSR रेड्डी ने तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से 5 को सरकार को देने का आदेश दिया था।

इन पहाड़ियों पर चर्च का निर्माण किया जाना था। मंदिर को मिलने वाली चढ़ावे की रकम में से 80 % "गैर हिंदू" कामों के लिए किया जाता है। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक हर राज्य़ में यही हो रहा है।

मंदिर से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल मस्जिदों और चर्चों के निर्माण में किया जा रहा है। दिल्ली में जामा मस्जिद, निजामुद्दीन दरगाह और अजमेर दरगाह आदि मस्जिदों और दरगाहों पर हो रही भरपूर कमाई का क्यों नहीं हिसाब लिया जाता?  

अब सुप्रीम कोर्ट बताए कि वह केवल बांके बिहारी मंदिर को कैसे टारगेट कर सकता है 

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