साभार: MEA Fact check
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के बाद सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट की बाढ़ आ गई, जिसमें भारत-अमेरिका के बीच सबकुछ ‘सही’ नहीं होने की बात कही जा रही थी। यही नहीं, दावे ये भी किए जा रहे थे कि अब भारत अमेरिका के साथ कोई संबंध नहीं रखेगा और वो अमेरिका पर पलटवार की तैयारी कर रहा है। भारत अब अमेरिका की ‘शत्रुतापूर्ण आर्थिक नीतियों’ के जवाब में ‘दोगुना’ तक टैरिफ लगा देगा।
भारत-अमेरिका के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने वाले फर्जी सोशल मीडिया पोस्ट चीन समर्थित या इस्लामी देशों से जुड़े दिखने वाले हैंडल्स से लगातार किए जा रहे थे। ऐसे ही एक हैंडल ‘मिडिल ईस्टर्स अफेयर्स’ की पोस्ट में दावा किया गया कि अगर अमेरिका अपनी ‘होस्टाइल’ नीतियों को नहीं बदलता है, तो भारत सरकार अमेरिका से साथ सभी व्यापारिक समझौतों को रद्द कर सकती है।
इसी तरह से ‘चाइना इन इंग्लिश’ नाम के हैंडल से बाकायदा एक लिस्ट ही जारी कर दी गई, जिसके इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट को लेकर भारत सरकार फैसले लेने वाली है। दावा किया गया कि भारत अमेरिका को देने वाली व्यापार छूटों को खत्म कर देगा।
हालाँकि विदेश मंत्रालय ने उन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया है। मंत्रालय की फैक्ट चेक यूनिट ने साफ कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है। ये भी साफ कर दिया गया है कि भारत सरकार फिलहाल किसी भी जल्दबाजी में नहीं है। वो अमेरिका को दी गई व्यापारिक छूटों को वापस लेने या समीक्षा करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जो 1 अगस्त से लागू हो चुका है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर भारत की आलोचना करते हुए कहा था कि भारत के टैरिफ दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस को अपनी अर्थव्यवस्थाओं के साथ ‘डूब जाना चाहिए।’ ट्रंप का यह बयान भारत द्वारा रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के कारण भी आया, क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका इससे नाराज है।
इन तनावों के बावजूद भारत और अमेरिका व्यापारिक रिश्तों को बेहतर करने की दिशा में काम कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों देश आपसी सहमति से लाभकारी व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि वर्चुअल मोड में चर्चा चल रही है और 24 अगस्त को अमेरिकी व्यापार वार्ता टीम नई दिल्ली आएगी। इस दौरे में छठे दौर की वार्ता होगी, जिसमें व्यापारिक मुद्दों को सुलझाने पर जोर रहेगा।
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इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से ‘स्वदेशी’ अपनाने का आह्वान किया है, ताकि भारतीय उत्पादों को बढ़ावा मिले। वहीं, विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही गलत खबरें, जैसे कि भारत का ‘कोई सम्मान नहीं तो कोई छूट नहीं’ जैसा बयान, पूरी तरह बेबुनियाद हैं। सरकार का ध्यान व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने पर है, न कि उन्हें तोड़ने पर।
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