कहावत है अपनी नाव वहां डूबी जहाँ पानी काम था, वरना किसी में इतना दम था, दूसरे दिल के फफोले जल उठे सीने की आग से, इस घर को आग लग गई घर के चिराग से ये दोनों ही लालू यादव के परिवार और पार्टी RJD पर सटीक बैठती हैं।
बिहार के विधानसभा चुनाव में सीएम बनने के मुंगेरीलाल बने तेजस्वी यादव के हसीन सपनों पर खुद उनके अपनों ने ही वज्रपात कर दिया है। बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने नया सियासी दांव खेला है। राजद से छह साल के निकाले जाने के बाद तेज प्रताप ने ‘टीम तेज प्रताप’ के बैनर तले पांच पार्टियों-विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP), भोजपुरिया जन मोर्चा, प्रगतिशील जनता पार्टी, वाजिब अधिकार पार्टी और संयुक्त किसान विकास पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया है। उनके इस कदम ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले ही राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का कुनबा बिखर गया है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान तेजस्वी यादव को ही होने जा रहा है। क्योंकि तेजप्रताप उन्हीं के लिए ‘वोट कटुआ’ साबित होंगे। यही वजह है कि बिहार की सियासत में तेज प्रताप यादव का नया गठबंधन सुर्खियों का केंद्र बन गया है।
विधानसभा चुनाव से पहले ही लालू यादव का कुनबा आमने-सामने
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कुछ माह पहले ही अपने ‘लाल’ से नाता तोड़ लिया था। लालू-राबड़ी के बेटे तेज प्रताप यादव ने अपना रिलेशनशिप वाला शिगुफा क्या छोड़ा, उससे पिता लालू यादव समेत सारी पार्टी ही असहज हो गई। उन्हें लगा कि इससे चुनाव में विरोधियों को अच्छा मौका मिल जाएगा। सत्ता पाने के लालच में आखिरकार लालू प्रसाद यादव को कड़ा फैसला लेना ही पड़ा। तेज प्रताप यादव को पार्टी से परिवार से निकाले जाने की घोषणा करते हुए लालू के जो सोशल मीडिया पोस्ट किया। लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। जिसके बाद से ही तेज प्रताप के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। अब तेज प्रताप ने अलग चुनाव लड़ने के ऐलान और पांच पार्टियों के साथ गठबंधन करके अपने अगले कदम से सबको चौंका दिया है। इस बीच लालू यादव की बहू ऐश्वर्या ने दावा किया कि उनके पति तेज प्रताप यादव को पार्टी से निष्कासित करना आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया एक ‘नाटक’ है। भाजपा और अन्य दलों ने भी लालू के इस कदम को चुनाव के लिए उठाया गया राजनीतिक स्टंट करार दिया। यह तय है कि तेजप्रताप को लेकर लालू-तेजस्वी को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा।
तेजप्रताप निर्दलीय लड़ें या पार्टी से, नुकसान राजद को ही होगा
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भले ही तेज प्रताप यादव का नया गठबंधन छोटे दलों के साथ है, लेकिन वे उनके बागी तेवरों ने आरजेडी के भीतर टेंशन बढ़ा दी है। अगर तेज प्रताप निर्दलीय या नई पार्टी से चुनाव लड़ते हैं तो वोटों का बंटवारा राजद को नुकसान पहुंचा सकता है। तेज प्रताप ने निषाद नेता प्रदीप निषाद की VVIP पार्टी से गठजोड़ कर निषाद समुदाय को लुभाने की कोशिश की है। प्रदीप निषाद पहले मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के साथ थे, लेकिन अब उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई है। बता दें कि बिहार में निषाद समुदाय की आबादी लगभग 14 प्रतिशत है जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। तेज प्रताप यादव का यह गठबंधन निषाद वोटों को एकजुट करने की रणनीति हो सकती है।
विक्टिम कार्ड: बिहार और देश जानता है कि मेरे साथ अन्याय हुआ
RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और हसनपुर विधायक तेजप्रताप यादव ने पटना के होटल में पीसी में अपने खिलाफ विक्टिम कार्ड भी खेला। उन्होंने कहा कि VVIP ही ओरिजिनल पार्टी है। VIP वाला तो बहरूपिया है। बेकार का पार्टी बना कर घूम रहा है। तेजप्रताप ने कहा, ‘बहुत सारी चुनौती है। पूरा बिहार और देश जानता है कि किस तरह से मेरे साथ अन्याय हुआ है। राजद में बैठे कुछ विभीषणों ने ही उनके साथ खेल किया है और चुनाव में वो उनकी पोल खोलकर रहेंगे। हमने महुआ से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। महुआ के लिए हमने बहुत काम किया है’। ‘मैं आगे बिहार के लिए लड़ाई लड़ूंगा। मेरे दुश्मन बहुत लोग हैं। आपलोगों के चैनल के माध्यम से वो सुनेंगे तब बुरा लगेगा। तेजस्वी मेरा चैनल देख रहे होंगे।
पांच दलों के गठजोड़ से तेजस्वी यादव की राजद को होगा नुकसान
दरअसल, तेजप्रताप को पार्टी के निष्कासित करते समय राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को भी इसका अहसास नहीं था कि तेज प्रताप इतने कम समय में ही पूरे दम-खम के साथ उनके खिलाफ ताल ठोंक देंगे। राजद से निष्कासित होने के बाद तेज प्रताप ने ‘टीम तेज प्रताप’ के बैनर तले निषाद नेता प्रदीप निषाद की पार्टी सहित पांच दलों से गठजोड़ किया है। बिहार की सियासत में ये सवाल गूंज रहा है कि तेज प्रताप अपने छोटे भाई और उनकी पार्टी को विधानसभा चुनाव में कितना ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे। इसके साथ ही उनके एक और कदम ने तब खलबली मचा दी जब उन्होंने राजद और कांग्रेस को भी गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया और साथ ही यह भी कह दिया कि, जिसको जो सोचना है सोचे। जानकार कहते हैं कि तेज प्रताप का यह बयान उनके भाई तेजस्वी यादव और राजद के प्रति उनकी नाराजगी को बता रहा है। इससे उनके बीच दरार और बढ़ने वाली है।
बिहार में 14 प्रतिशत निषाद वोट कई विधानसभा सीटों पर निर्णायक
तेज प्रताप ने निषाद नेता प्रदीप निषाद की VVIP पार्टी से गठजोड़ कर निषाद समुदाय को लुभाने की शानदार राजनीतिक कोशिश की है। प्रदीप निषाद पहले मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के साथ थे, लेकिन अब उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई है। बता दें कि बिहार में निषाद समुदाय की आबादी लगभग 14 प्रतिशत है जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाती है। ऐसे में तेज प्रताप यादव का यह गठबंधन निषाद वोटों को एकजुट करने की अहम रणनीति हो सकती है। तेज प्रताप के इस गठबंधन से मुकेश सहनी की VIP की इस समुदाय में पकड़ कमजोर हो सकती है। तेज प्रताप यादव का मुकेश सहनी पर सियासी हमला करते हुए उन्हें ‘बहरूपिया’ बताया है। तेज प्रताप का यह तंज भी सहनी और तेजस्वी यादव को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा है।
‘टीम तेज प्रताप’ और महुआ से चुनाव लड़ने की घोषणा बगावती तेवर
जानकार कहते हैं कि राजद से निष्कासन और परिवार से दूरी ने तेज प्रताप को सियासी तौर पर एक नई पहचान दिलाने का अवसर दिया है। उनकी ‘टीम तेज प्रताप’ और महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा उनके ऐसे ही बगावती तेवर दिखाती है। वे एक ओर गठबंधन के साथ अलग-अलग जाति के वोटों को जोड़ रहे हैं, दो दूसरी ओर तेजस्वी के कोर वोटर में भी सेंध लगाने में लगे हैं। उनकी यह दोहरी राजनीतिक रणनीति राजद और तेजस्वी यादव को मुश्किल में डाल सकती है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि दरअसल, तेजस्वी यादव की बौखलाहट यह है कि वे किसी भी रूप में तेज प्रताप को उभरने नहीं देना चाहते। इसीलिए तेज प्रताप की कथित प्रेमिका प्रकरण को इतने जोर-शोर से उठाया गया है।
राजद की संगठनात्मक संरचना को तेजप्रताप की सेंध से बचाना चुनौती
तेजस्वी यादव के सामने तेज प्रताप के आने के बाद से सबसे बड़ी चुनौती राजद की संगठनात्मक संरचना को तेज प्रताप की सेंध से बचाना है। राजद सूत्रों का ही कहना है कि पार्टी में कई लोग तेज प्रताप के निष्कासन से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि चुनाव जीतने के लिए तेजस्वी यादव और तेज प्रताप को मिलकर लड़ना चाहिए था। लेकिन अब एक-दूसरे के सामने आने से ज्यादा नुकसान तेजस्वी यादव को ही होगा। क्योंकि तेज प्रताप यादव के पास को खोने के लिए कुछ नहीं है। तेज प्रताप ने जो कुछ भी हासिल किया यह उनकी जीत के रूप में ही देखा जाएगा। इसीलिए तेज प्रताप कथित रूप से राजद के कोर वोट बैंक- यादव, मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग में सेंध लगाने के समीकरणों में जुटे हुए हैं।
तेजप्रताप ने ताल ठोंककर कहा कि तेजस्वी महुआ से नहीं लड़ेंगे चुनाव
महुआ से तेजस्वी यादव के चुनाव लड़ने वाले सवाल पर तेज प्रताप ने ताल ठोंककर कहा कि तेजस्वी वहां से किसी भी सूरत में कभी भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। आप लोग अगर मगर छोड़ दीजिए। तेजप्रताप यादव ने कुछ दिन पहले ही महुआ सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि ‘टीम तेज प्रताप एक प्लेटफार्म है, जो चुनाव में युवाओं को समर्थन देगी। जो लड़ना चाहेंगे, उन्हें पूरा सपोर्ट मिलेगा’। तेज प्रताप बोले कि महुआ सीट को अमानत के तौर पर हमने मुकेश रौशन को सौंपा था। उस समय कुछ पॉलिटिकल सिनेरियो बना था, जिस कारण मुझे हसनपुर से लड़ना पड़ा था।
मंडल को अब कमंडल ले कर बनारस जाना चाहिए – तेजप्रताप
राजद प्रदेश अध्यक्ष मांगनी लाल मंडल ने कहा कि था कि तेज प्रताप यादव का कोई अस्तित्व नहीं है। तेज प्रताप यादव ने इसका जवाब देते हुए कहा कि वो अपने अस्तित्व की चिंता करें। मांगनी लाल मंडल जी को इस उम्र में कमंडल लेकर बनारस जाना चाहिए। बता दें कि 29 जून 2025 को मुकेश सहनी के पीए और काफी नजदीकी रहे प्रदीप निषाद ने नई पार्टी वीवीआईपी के गठन की घोषणा की थी। प्रदीप निषाद पहले ही कह चुके हैं कि वे 70 फीसदी सीटें मल्लाह समाज के उम्मीदवार को देंगे।
पत्नी ऐश्वर्या बोली- बिहार विधानसभा चुनाव के लिए लालू का नाटक
बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए सभी दलों ने अभी से कमर कस ली है। लेकिन चुनावी तैयारियों से पहले ही लालू यादव के कुनबे में बम फूट गया था। लालू प्रसाद ने अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को कथित रूप से ‘गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार’ के कारण छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया और उनके साथ सभी पारिवारिक संबंध भी तोड़ दिए। इस बीच तेज की पत्नी ऐश्वर्या ने संवाददाताओं से बात करते हुए अपने ससुराल वालों पर एक ऐसे व्यक्ति से उनकी शादी कराकर जीवन बर्बाद करने का आरोप लगाया, जिसका व्यवहार ‘असामान्य’ है। ऐश्वर्या ने यह भी जोर देकर कहा, ‘इस परिवार का यह नाटक चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। मुझे लगता कि ये लोग दरार से ज्यादा दिखावा कर रहे हैं। वे सभी मिले हुए हैं। मुझे यकीन है कि आज नहीं तो कल राबड़ी देवी (ऐश्वर्या की सास) ने तेजप्रताप के आंसू पोंछकर और यह आश्वस्त करके उन्हें सांत्वना देने की कोशिश करेंगी। तेजप्रताप और ऐश्वर्या ने 2018 में शादी की थी, लेकिन बाद में ऐश्वर्या ने शारीरिक और भावनात्मक यातना का आरोप लगाते हुए ससुराल छोड़ दिया।
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