मानहानि के मुकदमों पर सुप्रीम कोर्ट खुद 10 -10 वर्ष फैसले नहीं होने देता और अब कह रहे हैं इस कानून को ही रद्द कर दो; मतलब राहुल गांधी को बचाने का रास्ता बनाने का खेल शुरू हो गया

सुभाष चन्द्र

अभी कुछ दिन पहले JNU की पूर्व प्रोफेसर द्वारा The Wire के खिलाफ मानहानि के केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस  M. M. Sundresh and जस्टिस  Satish Chandra Sharma की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब मानहानि को अपराध की श्रेणी से मुक्त कर देना चाहिए While hearing a case against the news portal The Wire, Justice Sundresh orally observed, "I think time has come to decriminalise all this. How long will you go on dragging this?". 

जब मुकदमों का लंबा खींचना ही पैमाना हैं तो सुप्रीम कोर्ट को भी बंद कर देना चाहिए। 

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यह टिप्पणी बहुत सोच समझ कर की गई है जिसका निशाना राहुल गांधी को बचाना है क्योंकि उसके खिलाफ 25 से ज्यादा मानहानि के मुक़दमे चल रहे हैं और अगर मानहानि कानून ही रद्द कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने तो राहुल गांधी को हर केस से मुक्ति मिल जाएगी आप जस्टिस सुंदरेश के शब्दों पर ध्यान दीजिए जिसमें वे कह रहे हैं कि How long will you go on dragging this?". 

राहुल गांधी के भी मुक़दमे 12-12 साल से चल रहे हैं ट्रायल कोर्ट उसे पहले ही छूट दे चुकी है कि वह चाहे किसी भी किताब के शब्दों को बोलकर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानी का अपमान करे, उसे कोर्ट में किताब पेश करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता और जब इतने लंबे समय तक मुकदमों का फैसला ही नहीं होने दिया जाएगा तो फिर कानून ही ख़त्म कर दो लेकिन अदालतें फैसले जल्दी करने के लिए स्वयं नहीं सुधर सकती

जिस केस का फैसला 2 महीने में हो सकता है आप उसका ट्रायल भी शुरू नहीं होने देते और हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट इसमें पूरा योगदान देती हैं फिर कह रहे हो मानहानि कानून ही ख़त्म कर दो क्या Contempt of Court का कानून भी ख़त्म करने की हिम्मत कर सकते हो जिससे लोग खुल कर आपके खिलाफ बोल सकें? 

वर्ष 2016 में JNU की प्रोफेसर अमिता सिंह ने The Wire के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था उसके द्वारा छापे गए एक आर्टिकल के खिलाफ जिसमें अमिता सिंह पर आरोप लगाया गया था कि उसने एक Dossier लिखने में योगदान दिया जिसमे JNU को "sex racket" den बताया गया था The Wire ने ट्रायल कोर्ट के समन को चुनौती दी थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट के महान जज ने यह टिप्पणी की है

अब आप देखिए मामला 2016 है जिसमें ट्रायल कोर्ट ने 2017 में समन जारी किए जिसे The Wire ने चुनौती दी और रद्द करने की मांग की सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2024 में (यानी 7 साल बाद) समन को रद्द करते हुए ट्रायल कोर्ट को इस पर पुनर्विचार करने को कहा लेकिन ट्रायल कोर्ट ने फिर से समन जारी कर दिए और The Wire फिर अपने कदरदान सुप्रीम कोर्ट चला गया और अब 25 सितंबर, 2025 को Learned Judges ने कानून को ही ख़त्म करने की वकालत कर दी यह कहते हुए कि कब तक इसे खींचोगे 

7 साल आप समन के खिलाफ फैसला नहीं कर सके और दोष दे रहे हो कि कब तक चलेगा केस? ट्रायल कोर्ट को फैसला तो करने देते क्या पता वो ही केस ख़ारिज कर देता और न भी करता या सजा देता तो मामला हाई कोर्ट जाता और फिर आपके पास आता लेकिन आपने तो ट्रायल कोर्ट का ही गला घोट दिया ये तो आपने ऐसा किया जैसे भ्रूण हत्या कर दी हो

जिस जज के मन में जो आता, वो बोल रहा है जिसका मतलब कुछ का कुछ निकल सकता है आपकी बात का मतलब तो यही निकल रहा है कि आप राहुल गांधी को बचाने का षड़यंत्र रच रहे हैं जिससे उसे छूट मिल सके कि वह देश में और विदेश में किसी के खिलाफ कुछ भी बोल सके  वैसे हाई कोर्ट ने एक आदेश दे दिया है आज कि अगर मानहानि का आरोप कुछ विदेश में कहने पर भी लगाया गया ही तो उस पर भी कार्रवाई भारत में हो सकती है 

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