साभार
ऐसा लगता है जब तक देश से कांग्रेस की अर्थी नहीं निकल जाएगी, गाँधी परिवारभक्त कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। अगर परिवारभक्तों जरा भी आत्मसम्मान बचा है तुरन्त परिवार को दरकिनार कर बिना रिमोट के चलने वाले को पार्टी को अध्यक्ष बनाएं। अगर राहुल और परिवारभक्त भारत को बांग्लादेश, नेपाल या फ्रांस बना देंगे, गलतफमी हैं। वैसे CAA विरोध में शाहीन बनाकर से लेकर तथाकथित किसान आंदोलन और पहलवानों के धरने से नाकाम कोशिश की जा चुकी है। हर षड़यंत्र बेनकाब होता गया।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जानबूझकर देश-विरोधी बयानबाजी करते हैं और फिर उनका दांव उल्टा पड़ जाता है। झूठ का प्रपंच रचकर वे मोदी सरकार पर निशाना साधने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन खुद ही घिर जाते हैं। पहले राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में वोट चोरी के खुलेआम आरोप लगाए और इसके पक्ष में सीएसडीएस के डेटा देकर यह साबित करने का प्रयास किया कि महाराष्ट्र चुनाव में कितनी धांधली हुई है। यह अलग बात है कि जिस CSDS के डेटा के आधार पर आरोप लगाए थे, उसी ने अपनी गलती और बड़ी गड़बड़ी के लिए माफी मांग ली। इसके बाद फिर राहुल गांधी पिछले माह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वोट चोरी का नया शिगूफा लाए हैं। बेहद हैरतअंगेज बात है कि राहुल गांधी की इस वोट चोरी प्रेस कॉन्फ़्रेंस के पीछे Myanmar के ट्रेस मिले हैं। इसका कनेक्शन म्यांमार और काठमांडू तक से जुड़ने के बाद बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या वोट चोरी का यह नैरेटिव भारत को बांग्लादेश-नेपाल जैसे हालात में धकेलने की साजिश है? क्या कोई विदेशी ताकतें भारत में लोकतंत्र को अस्थिर करने की प्लानिंग कर रही हैं? क्या राहुल गांधी महज एक Puppet Rahul बन चुके हैं, जिनके पीछे और लोग धागे खींच रहे हैं? यदि ऐसा है तो वोट चोरी का शोर सिर्फ एक बहाना है। राहुल समेत विदेशी ताकतों का असली मकसद भारत की मजबूत सरकार को अस्थिर करना है। यह अलग बात है वे इसमें कभी भी कामयाब नहीं हो पाएंगे।
महाराष्ट्र में वोट चोरी के आरोपों पर खुद घेरे में आ चुके हैं राहुल
आपको याद होगा कि राहुल गांधी ने पहले महाराष्ट्र में वोट चोरी के आरोप लगाए थे। फिर कर्नाटक में यही कहानी दोहराई गई। दोनों ही जगह उनकी कलई खुल गई। राहुल ने दावा किया था कि लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र की रामटेक विधानसभा में कुल 4,66,203 वोटर्स थे, जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान यहां वोटर घटकर केवल 2,86,931 हो गए। यहां लोकसभा के बाद हुए विधानसभा चुनाव में वोटरों की संख्या में 38 फीसदी की कमी हुई। देवलाली विधानसभा सीट को लेकर भी ऐसे ही दावे किए।
CSDS कोओर्डिनेटर संजय कुमार ने माफी से राहुल का दावा फुस्स
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान यहां 4,56,072 वोटर थे, जबकि विधानसभा चुनाव में ये घटकर 2,88,141 हो गए। यह अलग बात है कि जिस CSDS के आंकड़ों का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने बवंडर खड़ा किया था, उसके कोओर्डिनेटर संजय कुमार ने अपने ट्वीट को डिलीट करते हुए कहा कि महाराष्ट्र चुनाव को लेकर किए गए पोस्ट के लिए मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं। उन्होंने कहा कि पिछले साल हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव के आंकड़ों की तुलना करते समय गड़बड़ी हो गई थी। CSDS के ट्वीट डिलीट करते ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) कांग्रेस पर हमलावर हो गई है। बीजेपी ने राहुल गांधी से भी माफी मांगने की बात की। इस पर कांग्रेस ने तर्क दिया कि उसने जरूर CSDS के आंकड़ों का इस्तेमाल किया, लेकिन अलग से रिसर्च से इकठ्ठे किए गए सबूतों के आधार पर अपने निष्कर्षों पर पहुंची थी।
I sincerely apologize for the tweets posted regarding Maharashtra elections.
— Sanjay Kumar (@sanjaycsds) August 19, 2025
Error occurred while comparing data of 2024 LS and 2024 AS. The data in row was misread by our Data team.
The tweet has since been removed.
I had no intention of dispersing any form of misinformation.
अब राहुल गांधी के प्रजेंटेशन का ट्रेस Myanmar में भी मिले
अब कांग्रेस के अलग से किए रिसर्च की भी बात कर लेते हैं। पिछले माह 7 अगस्त को विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा वोट चोरी को फिर मुद्दा बनाते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेस की गई। इसमें उन्होंने बकायदा एक प्रजेंटेशन पेश किया। इन कॉंफ्रेंस में मीडिया के अलावा देश के कई बड़े सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर्स ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। लेकिन अब एक पड़ताल में यह दावा किया गया है कि राहुल गांधी के प्रजेंटेशन का ट्रेस Myanmar में मिले हैं, जो वाकई हर किसी के लिए बहुत shocking हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या वोट चोरी का शोर असल में जनता की लड़ाई है, या फिर कहीं से इंपोर्ट किया गया नैरेटिव है? क्या सचमुच लोकतंत्र खतरे में है या फिर TRP और टूलकिट चल रही है? राहुल गांधी सच में विपक्ष के नेता का फर्ज निभा रहे हैं, या बस विदेशी ताकतों के हाथों की कठपुतली बने हैं। उनके जॉर्ज सोरेस से कनेक्शन पहले ही एक्सपोज हो चुके हैं। एक ट्विटर हैंडल खुरपैंच ने अपनी इंवेस्टिगेशन में दावा किया है कि राहुल की प्रेस कांफ्रेंस के तार म्यांमार और काठमांडू तक जुड़े हैं? इसलिए वोट चोरी का नारा सिर्फ एक बहाना है, असली मक़सद भारत को अस्थिर करना है।
धृतराष्ट्र का सलाहकार भी संजय था - हस्तिनापुर साम्राज्य मिट गया
— Dinesh Kumar Jain (@dkjain1308) September 10, 2025
उध्दव का सलाहकार भी संजय है - उध्दव की शिवसेना साफ हो गई
केजरीवाल का सलाहकार भी संजय है - दिल्ली से आप साफ हो गई
ओर अब राहुल गाँधी को डेटा देने वाला भी संजय ही है -------
बस इतना ही बताना था😀🥱🤔🤫😫
🥸🥸…
आइए, इस थ्रेड के माध्यम से जानते हैं कि क्या यह भारत के लोकतंत्र में संक्रमण की तरह फैल रही साज़िश है? क्या ये विदेशी वायरस हमारी राजनीतिक सेहत को कमजोर कर रहा है? खुरपैंच की तहकीकात में यह सामने आया है कि सबसे पहले कांग्रेस पार्टी ने http://RahulGandhi.in वेबसाइट पर वोट चोरी से सम्बन्धित PDFs Upload की।
ये सीएनएन की दिल्ली की संवाददाता सुनमिना उदास हैं जिनके साथ राहुल गांधी नेपाल में एक बार एक डिस्को क्लब में पार्टी एंजॉय कर रहे थे। इनके पिता प्रो भीम उदास लंबे समय तक म्यांमार में खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के राष्ट्रीय प्रभारी रहे। बाद में उन्हें नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने… pic.twitter.com/cvKXi79zUV
— Jay Prakash Mishra (@iamjpmishra) September 10, 2025
इस ट्विटर हैंडल की टीम ने pdf फाइल का metadata निकाला, जिसमे यह पाया यह तीनों भाषाओं की PDF में Create Date में “Myanmar” का timezone +6:30 पाया गया। जो कि English pdf : 29 सेकेंड Hindi pdf : 31 सेकेंड Kannada pdf : 37 सेकेंड के अंतराल पे की गईं।
खुरपेंच टीम ने pdf का metadata निकाला,
— खुरपेंच (@khurpenchh) September 10, 2025
जिसमे यह पाया यह तीनों भाषाओं की PDF में Create Date में “Myanmar” का timezone +6:30 पाया गया।
जो कि English pdf : 29 सेकेंड
Hindi pdf : 31 सेकेंड
Kannada pdf : 37 सेकेंड के अंतराल पे की गईं। pic.twitter.com/5Niv4HmmXW
जिसकी एक Summary Table कुछ ऐसी है। जिसमे किस समय क्या हुआ है ये बताया गया है। इस pdf को adobe illustrator सॉफ्टवेयर द्वारा बनाया गया है ,जो की इस्तेमाल हो रहे कंप्यूटर का Timezone लेता है। Metadata से साफ़ पता चल रहा है जब ये फ़ाइल Export की गई उसका timezone +6:30 MMT है।
जिसकी एक Summary Table कुछ ऐसी है। जिसमे किस समय क्या हुआ है ये बताया गया है।
— खुरपेंच (@khurpenchh) September 10, 2025
इस pdf को adobe illustrator सॉफ्टवेयर द्वारा बनाया गया है ,जो की इस्तेमाल हो रहे कंप्यूटर का Timezone लेता है।
Metadata से साफ़ पता चल रहा है जब ये फ़ाइल Export की गई उसका timezone +6:30 MMT है। pic.twitter.com/J2yh808P2u
PDFs गूगल ड्राइव के लिंक के माध्यम से शेयर की गई हैं जिससे pdf के Metadata पे कोई फरक नहीं पड़ता है।
PDFs गूगल ड्राइव के लिंक के माध्यम से शेयर की गई हैं जिससे pdf के Metadata पे कोई फरक नहीं पड़ता है। pic.twitter.com/7zkM6CiHnf
— खुरपेंच (@khurpenchh) September 10, 2025
अब आते हैं VPN पे, इन pdfs को बनाने में जो सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल हुआ है वो system clock का timezone लेता है और VPN system के Timezone को नहीं चेंज कर सकता।
अब आते हैं VPN पे, इन pdfs को बनाने में जो सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल हुआ है वो system clock का timezone लेता है और VPN system के Timezone को नहीं चेंज कर सकता। pic.twitter.com/U8mSrCgyRj
— खुरपेंच (@khurpenchh) September 10, 2025
इस हैंडल की टीम की पड़ताल ने हैरान कर दिया। इस पूरे अभियान में Myanmar के डिजिटल ट्रेस मिले। अब सवाल यह उठता है क्या भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पड़ोसी मुल्क की दखलअंदाजी हो रही है? प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर सोशल मीडिया प्रचार तक, क्या यह सब पहले से तय स्क्रिप्ट थी? बड़े इन्फ़्लुएंसर्स ने क्या अनजाने में किसी बाहरी नैरेटिव को amplify किया? और अगर हां, तो इसका फायदा किसे मिल रहा है और नुकसान किसका हो रहा है? क्या वोट चोरी का नैरेटिव सिर्फ घरेलू राजनीति का हिस्सा है या इसके पीछे कोई और बड़ी साज़िश छुपी है?
इस हैंडल की टीम की पड़ताल ने हैरान कर दिया। इस पूरे अभियान में Myanmar के डिजिटल ट्रेस मिले। अब सवाल यह उठता है क्या भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पड़ोसी मुल्क की दखलअंदाजी हो रही है? प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर सोशल मीडिया प्रचार तक, क्या यह सब पहले से तय स्क्रिप्ट थी? बड़े इन्फ़्लुएंसर्स ने क्या अनजाने में किसी बाहरी नैरेटिव को amplify किया? और अगर हां, तो इसका फायदा किसे मिल रहा है और नुकसान किसका हो रहा है? क्या वोट चोरी का नैरेटिव सिर्फ घरेलू राजनीति का हिस्सा है या इसके पीछे कोई और बड़ी साज़िश छुपी है?
लेकिन खुरपेंच टीम की तहक़ीक़ात ने चौंका दिया। इस पूरे अभियान में Myanmar के डिजिटल ट्रेस मिले।
— खुरपेंच Satire (@Khurpench_) September 10, 2025
अब सवाल यह उठता है 👇
क्या भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पड़ोसी मुल्क की दखलअंदाज़ी हो रही है?
प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर सोशल मीडिया प्रचार तक , क्या यह सब पहले से तय स्क्रिप्ट थी?…
बांग्लादेश-नेपाल के पैटर्न पर लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश
पिछले कुछ सालों में भारत के पड़ोसी मुल्कों (श्रीलंका,बांग्लादेश और अब नेपाल) में जो हालात हुए हैं उनमे एक सेट पैटर्न देखने को मिलता है जो कि बेहद चिंताजनक है। लेकिन कल नेपाल में जो हुआ और भारत में लोगों को खुश देखकर हमें चिंता महसूस हुई , क्या हमारा स्मूथ ट्रांजिशन ऑफ पावर से भरोसा उठता जा रहा है? हमें लोकतांत्रिक तरीकों से सरकार को घेरते रहना चाहिए लेकिन हम किसी भी प्रकार की देशविरोधी गतिविधियों का पुरजोर विरोध करते हैं। देश की सरकार, विपक्षी पार्टियों,संस्थाओं और सुरक्षा एजेंसियों से हमारा निवेदन है कि मिल जुलकर देश को एक स्वस्थ्य लोकतंत्र बनाइए, उससे ही देश का भविष्य उज्ज्वल होगा।
पिछले कुछ सालों में भारत के पड़ोसी मुल्कों (श्रीलंका,बांग्लादेश)जो हालात हुए हैं उनमे एक सेट पैटर्न देखने को मिलता है जो कि बेहद चिंताजनक है।
— खुरपेंच (@khurpenchh) September 10, 2025
लेकिन कल नेपाल में जो हुआ और भारत में लोगों को खुश देखकर हमें चिंता महसूस हुई , क्या हमारा स्मूथ ट्रांजिशन ऑफ पावर से भरोसा उठता जा रहा…
कांग्रेस और राहुल की इस खुरपेंच का म्यांमार तक से संबंध
खुरपेंच की पड़ताल में यह शीशे की तरह साफ है कि कांग्रेस ने ‘वोट चोरी’ से जुड़ी जो पीडीएफ अपलोड कीं, उसके metadata में उन्हें मिला कि उस pdf को adobe illustrator सॉफ्टवेयर द्वारा बनाया गया है, जो की इस्तेमाल हो रहे कंप्यूटर का Timezone लेता है। Metadata से साफ पता चल रहा है जब ये फाइल Export की गई उसका timezone +6:30 MMT है। यानी म्यांमार का था। खुरपेंच के अनुसार ये पीडीएफ म्यांमार में बनाई गई हैं, इसलिए कांग्रेस की इस खुरपेंच का म्यांमार तक से संबंध है।
वोट चोरी को लेकर ट्विटर हैंडल की यह पड़ताल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। नेटिजंस इस बारे में और जानकारी एकत्र कर अपने विचार शेयर कर रहे हैं। एक ट्वीट में दावा किया गया है कि इसे सीएनएन की रिपोर्टर ने तैयार किया।
राहुल गांधी का प्रेजेंटेशन CNN संवाददाता सुनमिना उदास ने बनाया था,जो म्यांमार से अपलोड हुआ। pic.twitter.com/rFSc6DsZnk
— Dinesh Kumar Jain (@dkjain1308) September 10, 2025
सवाल बड़ा है कि क्या लोकतंत्र बचाने की असली लड़ाई दिल्ली में हो रही है या फिर इसके तार विदेशी ताकतों के इशारे पर म्यामार और नेपाल के काठमांडू तक से जुड़े हुए हैं।
क्या वोट चोरी का शोर असल में जनता की लड़ाई है,
— खुरापात (@KHURAPATT) September 10, 2025
या फिर किसी का इम्पोर्टेड नैरेटिव?
क्या सचमुच लोकतंत्र बच रहा है,
या बस TRP और टूलकिट चल रही है?
राहुल गांधी सच में विपक्ष के नेता हैं,
या फिर बस पपेट शो के चेहरा-मास्क?
सवाल बड़ा है—
लोकतंत्र की असली लड़ाई दिल्ली में हो रही है,…
चाणक्य ने एकदम सही कहा था की विदेशी कोख
— श्रवण बिश्नोई (किसान/ Hindus) (@SKBishnoi29Rule) September 10, 2025
से पैदा हुआ व्यक्ति कभी भी देशभक्त हो सकता।
वोट चोरी में पहले भी राहुल गांधी का झूठ पकड़ा गया
इससे पहले भी राहुल गांधी का वोट चोरी को लेकर झूठ पकड़ा गया है। आजतक ने अपनी इस रिपोर्ट में लिखा था, ‘कर्नाटक की वोटर लिस्ट में ‘Aditya Shrivastava’ नाम का एक व्यक्ति दर्ज है। लेकिन लखनऊ और महाराष्ट्र, दोनों स्थानों पर जब उसी नाम और एपिक नंबर से खोज की गई, तो ‘No result found’ दिखाया गया।’ राहुल ने देश को गुमराह करते हुए दावा किया कि ‘आदित्य श्रीवास्तव’ नाम का वोटर कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र, तीनों राज्यों की वोटर लिस्ट में दर्ज है। सच्चाई यह है कि चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में यह नाम सिर्फ कर्नाटक में पंजीकृत है। राहुल गांधी ने झूठ बोलकर जनता को भड़काने और चुनाव आयोग जैसी लोकतांत्रिक संस्था की साख पर कीचड़ उछालने का काम किया। यह केवल एक झूठ नहीं, बल्कि भारत के चुनावी तंत्र की विश्वसनीयता पर सीधा हमला है।
राहुल को नोटिस भेजकर आयोग ने मांगे थे दस्तावेज
दरअसल, राहुल गांधी बिहार से कर्नाटक तक वोट चोरी के अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। राहुल के झूठे दावे करने के कारण अब कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने राहुल गांधी से सबूत मांगे हैं, जिनके आधार पर उन्होंने दावा किया था कि एक महिला ने दो बार वोट डाला। आयोग ने कहा कि बिना प्रमाण ऐसे आरोप चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं। राहुल गांधी ने यह बयान हाल ही में दिया था। यह मामला राजनीतिक और चुनावी नियमों के लिहाज से गंभीर माना जा रहा है। चुनाव आयोग का कहना है कि ऐसे आरोपों की पुष्टि के लिए ठोस प्रमाण जरूरी हैं। नोटिस में कहा गया कि आपसे अनुरोध है कि आप वे प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराएं जिनके आधार पर आपने यह निष्कर्ष निकाला है कि श्रीमती शकुन रानी या किसी और ने दो बार मतदान किया है, ताकि इस कार्यालय द्वारा विस्तृत जांच की जा सके।
राहुल का दावा गलत- शकुन रानी ने दो नहीं, एक बार किया मतदान- आयोग
राज्य के शीर्ष निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक ये दस्तावेज उनके कार्यालय को विस्तृत जांच करने में मदद करेंगे। गांधी ने पिछले हफ्ते राष्ट्रीय राजधानी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये दस्तावेज दिखाए थे। आयोग ने कहा कि राहुल गांधी ने यह दावा भी किया था कि मतदान अधिकारी द्वारा दिए गए रिकॉर्ड के अनुसार, श्रीमती शकुन रानी ने दो बार मतदान किया था। जांच करने पर, श्रीमती शकुन रानी ने कहा है कि उन्होंने केवल एक बार मतदान किया है, दो बार नहीं, जैसा कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया है। नोटिस में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि कांग्रेस नेता द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुति में दिखाया गया सही का निशान वाला दस्तावेज मतदान अधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया था।
राहुल गांधी की मतदाता सूची को आयोग ने बताया भ्रामक
कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने सख्त रुख दोहराया है। आयोग ने कहा है कि राहुल गांधी या तो समय रहते इस मामले में एक घोषणा पत्र दें या फिर अपने आरोपों के लिए देश से माफी मांगें। भारत के चुनाव आयोग ने रविवार को कांग्रेस राहुल गांधी की तरफ से जारी उस मतदाता सूची को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया है, जिसमें 30,000 मतदाताओं के पते फर्जी होने का दावा किया है। चुनाव आयोग ने फैक्ट चेक के बाद कहा कि विधि सम्मत प्रक्रिया को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं और जितना भी संभव हो सकता है, उतना ज्यादा लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक एक्स सोशल मीडिया पर कांग्रेस की पोस्ट को साझा करते हुए लिखा, यह बयान पूरी तरह भ्रामक है। अगर राहुल गांधी को लगता है कि उनकी तरफ से साझा की जा रही सूची वाकई सही है तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्हें बिना देरी कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जवाब भेजना चाहिए।
No comments:
Post a Comment