केन्द्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से जनता जानना चाहती है कि कानून अंधा है या बनाया हुआ? कानून की आँखों पर पट्टी बंधी हुई या बाँधी हुई है? आखिर सफेदपोशी अपराधी नेताओं और आम नागरिकों के साथ कानून में फर्क क्यों?
लालू यादव, पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव पर कोर्ट ने नौकरी के बदले जमीन घोटाले में 13 अक्टूबर को आरोप तय कर दिए। तेजस्वी यादव बड़ी शान से कह रहा है कि तूफानों से लड़ने में कुछ और ही मजा आता है, मतलब ऐसे बोल रहा है जैसे कोई सरकार से कोई बहादुरी का मैडल मिला हो। बात तो सही है जिस व्यक्ति को 17 साल की उम्र में 11 संपत्तियों का मालिक बना दिया गया हो, उसे भला कोर्ट केस से क्या फर्क पड़ेगा जैसे बाप को नहीं पड़ा।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
लालू यादव की आज आयु 77 वर्ष है और 32 साल की सजा पाया हुआ सजायाफ्ता मुजरिम मौज से रहता है न्यायपालिका की मेहरबानी से। उसे चारा घोटाले के 5 मुकदमों में साढ़े 32 साल की सजा हुई थी और पहली सजा 5 साल की 2013 में हुई जब दिसंबर में रामजेठमलानी उसे जमानत पर छुड़ा लाए और 12 साल से अपील हाई कोर्ट में लंबित है और इसी तरह अन्य 4 मामलों में भी वह जमानत पर है और सब अपीलें हाई कोर्ट ले कर सो रहा है। सब पैसे का खेल नहीं है क्या?
लालू यादव के जैसा केस अपने आप में न्यायपालिका और सजायाफ्ता मुजरिमों के बीच के “गठजोड़” का बेजोड़ नमूना है। एक केस में उसे 7-7 साल की दो सजा हुई जिसमें एक सजा के लिए वह साढ़े 3 साल कथित तौर पर जेल में रहा (क्योंकि अधिकांश समय वह हॉस्पिटल में रहा) और कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को “अल्लाह” जाने क्या घुट्टी पिलाई कि आधी सजा भुगतने पर ही उसे जमानत दे दी।
फिर कहते हैं चीफ जस्टिस बीआर गवई कि न्यायपालिका संविधान और जनता के बीच पुल का काम करती है। लालू यादव को जमानत पर छोड़ कर और उसके मुकदमों पर 12 साल से फैसले न करके न्यायपालिका कैसे पुल का काम कर रही है, बस इतना बता दें गवई साहेब। इसे संविधान और जनता के बीच पुल बनाना नहीं, अलबत्ता घोर भ्रष्टाचार कहा जा सकता है जो अपराधी को मौज में छोड़ रखा है। अश्वनी उपाध्याय की एक याचिका 6 साल से लिए बैठा है सुप्रीम कोर्ट जिसमें मांग की गई थी कि कोई सजायाफ्ता मुजरिम को किसी राजनीतिक दल का अध्यक्ष बने रहने की अनुमति न हो। लेकिन इसमें कोर्ट “पुल” बनाने का कष्ट नहीं करना चाहता।
लालू यादव के चारा घोटाले के मुकदमों को अंजाम तक पहुंचने में 15 से 20 साल लगे लेकिन अदालत ने CBI की मेहनत पर उसे जमानत पर छोड़ कर पानी फेर दिया और नौकरी के बदले जमीन घोटाले का मामला में भी फैसला होने में 15 साल तो लगेंगे। जब अभी ही लालू को सजा होने पर भी सजा नहीं मिली तो 90-92 साल की उम्र में क्या मिलेगी? तब तक तेजस्वी भी 50 का हो जायेगा।
अभी आरोप तय हुए है लेकिन यह भी कहा गया है कि 10 नवंबर को आरोप तय होने के लिए आगे भी बहस होनी है। क्या और भी आरोप तय होने हैं यह बात समझ नहीं आई।
लालू यादव मौज करता है लेकिन जिस दिन कोर्ट जाना होता है व्हीलचेयर पर जाता है। इतना तो कोर्ट को भी पूछ लेना चाहिए कि लालू जी बैडमिंटन खेलते हो, Morning Walk पर जाते हो तो फिर हमारे पास व्हीलचेयर पर काहे आए? कोर्ट के जज वैसे तो सोशल मीडिया की रिपोर्टिंग पर कई बार बरस पड़ते हैं तो क्या उन्हें सोशल मीडिया में लालू यादव की ख़बरें नहीं दिखाई देती जो कोर्ट की आंखों में धूल झोंक रहा है व्हीलचेयर पर जा कर।

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