बिहार विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद महागठबंधन की आपसी खींचतान और दलों के बीच घमासान के चलते आरजेडी नेता तेजस्वी यादव चौतरफा घिर गए हैं। एक ओर कांग्रेस और वीआईपी के साथ सीट शेयरिंग का विवाद अभी तक नहीं सुलझा है, दूसरी ओर चुनाव से ऐन पहले कोर्ट ने लालू-तेजस्वी को करारा झटका दे दिया है। इधर कांग्रेस ज्यादा सीटें लेने पर अड़ी है, तो उधर तेजस्वी के भाई तेजप्रताप ने जिन सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा की है, उनमें से आधी सीटें आरजेडी के सिटिंग विधायक की हैं। यानी तेजप्रताप ने अपने पिता लालू प्रसाद और छोटे भाई तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी को डैमेज करने की तैयारी कर ली है। इसके चलते महागठबंधन पीछे छूटता जा रहा है, जबकि एनडीए की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। दरअसल, बिहार में आगामी चुनावों के बीच, आईआरसीटीसी होटल भ्रष्टाचार मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू यादव पर आरोप तय किए। लालू के अलावा राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ भी धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र का आरोप तय किए गए हैं। अदालत का यह निर्णय विधानसभा चुनाव पर बड़ा असर डाल सकता है।महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर घमासान, एनडीए में सहमति
दरअसल, विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद महागठबंधन सीट शेयरिंग में पेंच फंसता नजर आ रहा है। बाहर से सभी नेता एकजुटता का दिखा रहे हैं, लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि अंदरखाते सीट बंटवारे को लेकर जबरदस्त खींचतान मची हुई है। जहां कांग्रेस तेजस्वी को सीएम प्रोजेक्ट करने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं, वहीं सीटों के बंटवारे पर भी महागठबंधन में सहमति नहीं बन पा रही है। दूसरी ओर एनडीए में सीटों के बंटवारे पर ना सिर्फ सहमति बन चुकी है, बल्कि बीजेपी और जेडीयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है। इसके अलावा एनडीए को पीएम मोदी, विकास और वर्क परफार्मेंस के चलते वोट पोल में बढ़त मिल रही है। ऐसे में चेहरा, नैरेटिव, संगठन और सहयोगी दलों की सीमाओं के चलते बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन का पिछड़ना लाजिमी नजर आ रहा है।
IRCTC होटल भ्रष्टाचार मामले में लालू-तेजस्वी के खिलाफ आरोप तयआगामी बिहार चुनाव के बीच आइआरसीटीसी होटल भ्रष्टाचार मामले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आरोप तय हो गए। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने आइआरसीटीसी होटल भ्रष्टाचार मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, धारा 120 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) के तहत आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ भी धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप तय किए। अदालत ने तीनों आरोपितों से पूछा कि क्या खुद को दोषी मानते हैं या मुकदमे का सामना करेंगे? तीनों आरोपितों ने कहा कि वे मुकदमे का सामना करेंगे और इसे चुनौती देंगे। विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह निर्णय अहम माना जा रहा है और चुनाव में फैसले का बड़ा असर देखने को मिल सकता है। 24 सितंबर को विशेष अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी व बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनके बेटे व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित अन्य आरोपितों को उक्त तिथि पर पेश होने का निर्देश दिया था। अदालत ने मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 29 मई को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
लालू ने होटल आवंटन के बदले में परिवार को पहुंचाया लाभयह मामला रांची और पुरी स्थित दो आइआरसीटीसी होटलों के टेंडर आवंटन में भ्रष्टाचार से जुड़ा है, जब लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि होटल आवंटन के बदले में परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन सौदे किए गए थे। बताया गया कि लालू प्रसाद यादव व्हीलचेयर में कोर्ट पहुंचे। तेजस्वी यादव और राबड़ी भी लालू यादव के साथ कोर्ट पहुंचे थे। वहीं, नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में भी अदालत जल्द लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आरोप तय हो सकती है। कोर्ट के आदेश से ही यह तय होगा कि इस मामले में लालू परिवार के सदस्यों के खिलाफ मुकदमा चलेगा या नहीं। लालू यादव, तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी कोर्ट में मौजूद रहे। लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, प्रेम गुप्ता समेत IRCTC घोटाले में 14 आरोपी हैं।
चारा घोटाला समेत लालू और परिवार पर कई स्कैम के आरोप
वैसे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने का यह पहला मामला नहीं है। उनका सबसे चर्चित मामला 1990 के दशक का ‘चारा घोटाला’ है। इसमें बिहार के पशुपालन विभाग से फर्जी बिलों के जरिए 950 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी हुई थी। इस मामले में लालू यादव कई बार दोषी ठहराए गए और वे जेल भी जा चुके हैं। इसके अलावा, ‘जमीन के बदले नौकरी घोटाले’ में भी लालू परिवार के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में कहा गया है कि रेल मंत्रालय में ग्रुप डी की नौकरियां दिलाने के बदले में उम्मीदवारों से जमीनें ली गईं, जो राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य परिजनों के नाम पर ट्रांसफर करवाई गईं। इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी दोनों कर रही हैं।महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर फंसा पेच अभी सुलझता नहीं दिख रहा है। कुछ सीटों पर आरजेडी और कांग्रेस के बीच अधिकार को लेकर अभी भी विवाद बना हुआ है। इसके चलते सहमति नहीं बन पाई है। तेजस्वी यादव के दिल्ली से लौटने के बाद यह तस्वीर साफ हुई है, लेकिन कुछ सीटों पर कौन लड़ेगा, यह अभी तक तय नहीं हो पाया है। दूसरी ओर वीआईपी पार्टी के चीफ मुकेश सहनी ने भी तेजस्वी की धड़कनें बढ़ाई हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक मुकेश सहनी को कुल 16 सीटें देने पर बात हुई है और इसमें से भी कुछ सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे, लेकिन चुनाव चिह्न वीआईपी का होगा। तेजस्वी यादव की सारी कोशिशों के बाद भी उपमुख्यमंत्री के नाम पर भी सहमति नहीं बन पाई है और यह फैसला अब चुनाव के बाद लिया जाएगा।
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