इटली और अन्य देशों में बुर्का और हिजाब बैन कोई इस्लाम के विरुद्ध नहीं। ज्ञात हो Organiser Weekly के संपादक प्रो वेद प्रकाश भाटिया(स्व) ने अपने बहुचर्चित स्तम्भ Cabbage & Kings एक बार नहीं सैंकड़ों बार लिखा कि "burqa is not an Islamic culture....even charming and attractive males used to come out from house covering them...." जबकि भाटिया के इस स्तम्भ को कट्टरपंथी बड़ी उत्सुकता से पढ़ते थे, लेकिन किसी ने कभी ऊँगली तक नहीं उठाई। जो साबित करता है जो आज बुर्का और हिजाब पर सियासत कर मुसलमानों को भड़का कर अपनी तिजोरियां भर अपना और अपने परिवार की रोजी-रोटी जुटाने का काम करते हैं।
ईरान में बुर्क़े का विरोध करती महिलाएं
दरअसल, भारत में मुसलमान कट्टरपंथियों के मकड़जाल से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर पा रहा। वैसे ex-Muslim इसमें कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या अभी कम होने की वजह से मुसलमान इन कट्टरपंथियों के चुंगल में फंसा हुआ है।
अभी 3 दिन पहले 8 अक्टूबर को इटली की Giorgia Meloni सरकार ने संसद में विधेयक पेश किया है जो मुस्लिम महिलाओं के स्कूल, विश्वविद्यालयों, दुकानों, कार्यालयों और सभी सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को पूरी तरह ढकने वाले कपड़ों पर रोक लगाएगा। इसका मतलब स्पष्ट है सरकार बुरका, हिज़ाब और नकाब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहती है। फ्रांस ने सबसे पहले यह प्रतिबंध लगाया था।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
विधेयक का समर्थन करने वाले एक सांसद एंड्रिया डेल मास्त्रो ने कहा है कि धार्मिक स्वतंत्रता पवित्र है लेकिन इसका प्रयोग खुले तौर पर, हमारे संविधान और इतालवी राज्य के सिद्धांतों का पूर्ण सम्मान करते हुए किया जाना चाहिए।
एक अन्य समर्थक गैलेजो बिगनामी ने लिखा है कि इन उपायों का उद्देश्य इटली को सभी प्रकार के उग्रवाद और इतालवी धरती पर समानांतर समाज बनाने के किसी भी प्रयास से बचाना है।
इस विधेयक में यह भी प्रावधान हैं कि मस्जिदों को अपने वित्तीय स्रोतों का खुलासा करना होगा और विदेशी फंडिंग पर सख्त नियंत्रण लागू किया जाएगा। यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक एकता के लिए लाया गया है।
आखिर यूरोप और ब्रिटेन में मुस्लिमों के खिलाफ आवाज़ क्यों उठ रही है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। पिछले दिनों जर्मनी ने भी कई मस्जिदों पर कार्रवाई की थी जहां इस्लामिक कट्टरता फैलाई जा रही थी। ब्रिटेन में तो हाल ही में लाखों लोग सड़कों पर उतर आये थे और मांग की थी कि विदेशी मुस्लिमों को बाहर करना चाहिए। अभी नॉर्वे, स्पेन और स्वीडन में भी ऐसा ही देखने को मिला।
पिछले वर्ष अक्टूबर में ही एक पाकिस्तानी इमाम जुल्फिकार खान को जो 30 साल से इटली में रह रहा था मैलोनी ने देश छोड़ने के लिए कह दिया। वो प्रचार कर लोगों को Redicalise करता था यह कह कर कि “every Muslim should fight "infidels" or face "catastrophic consequences".
जिम्मेदार तो स्वयं यूरोपीय देश हैं जो उन्होंने मुस्लिमों को अपने देशों में शरण दी जबकि 57 इस्लामिक देशों में किसी ने उन्हें शरण नहीं दी और मुस्लिम शरणार्थी बनकर शरण देने वाले देश के कानून को मानने से मना कर अपना शरिया लागू करने की मांग करने लगते हैं।
अब हमारे कुछ मित्र तपाक से सवाल खड़ा करते हैं कि जब इटली कर सकता है तो भारत में यह क्यों नहीं हो सकता, उन्हें नहीं पता कि इटली वाली मैलोनी अलग है और हमारे देश में बैठी इटली वाली अलग है। वो यहां ऐसा करने पर बलवा करा देगी क्योंकि उसका ही नहीं सभी विपक्षी दलों का वोट बैंक मुस्लिम ही हैं।
इतना ही नहीं राजनीतिक दलों से पहले तो सुप्रीम कोर्ट लट्ठ गाढ़ देगा और ऐसे कदम पर रोक लगा देगा। सुना है कुछ अदालतों में कुछ महिला वकील हिज़ाब पहन कर जाने लगी हैं। पर अभी सब चुप हैं।
लेकिन यह तो अब साफ़ दिखाई दे रहा है मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच टकराव होता नज़र आ रहा है निकट भविष्य में और उस टकराव में निशाना बनेंगे यहूदी और हिंदू। इसलिए अभी से सावधान होना होगा और यह हो सकता है इस्लामिक देशों से हिंदुओं को वापस भारत लौटना पड़े।

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