'ऑपरेशन ब्लू स्टार' पर चिदंबरम ने उठाए सवाल (साभार- zeenews, abp)
ब्रिटिश नागरिक द्वारा स्थापित कांग्रेस देशहित में कैसे काम कर सकती है जिसका खुलासा करने में कांग्रेस नेता भी पीछे नहीं। कांग्रेस इस मुगालते में रही कि हमारे गलत फैसले कभी बेनकाब नहीं होंगे और जनता भी इस भ्रम में कांग्रेस पर विश्वास करती रही। जिस खालिस्तान की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा था आज की कांग्रेस विशेष रूप उसी इंदिरा की बहु और पोता-पोती खालिस्तानियों का समर्थन कर वर्तमान सरकार पर हमला कर रही है। लेकिन अक्ल से पैदल जनता कांग्रेस की इस देश विरोधी नीति को नहीं समझ रही।
कांग्रेस की वो पुरानी पोल अब खुद उनके बड़े नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने खोल दी है। कांग्रेस इंदिरा गाँधी को ‘शहीद’ बताकर हमेशा पॉलिटिकल फायदा उठाती रही है, लेकिन चिदंबरम ने साफ कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार एक बड़ी ‘गलती’ थी, जिसे टाला जा सकता था।
इस गलती की कीमत इंदिरा गाँधी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी और फिर 1984 में सिखों का खौफनाक कत्लेआम हुआ। कांग्रेस ने आज तक इन दंगों के लिए माफी नहीं माँगी।
दरअसल, इंदिरा गाँधी ने पहले तो जरनैल सिंह भिंडरावाले को बढ़ावा दिया, ताकि अकाली दल की पॉलिटिक्स को कमजोर कर सकें और पंजाब में अपनी पकड़ मजबूत करें। लेकिन जब बात हाथ से निकल गई, तो उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार करवाया। इसके बाद उनकी हत्या हो गई, और दिल्ली समेत कई जगहों पर कांग्रेस वालों ने सिखों का नरसंहार कर डाला।
भिंडरावाले को बढ़ावा देने की शुरुआत
पंजाब में 1980 के दशक में हालात बिगड़ रहे थे। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पंजाब को भारत से अलग करने की साजिश रच रही थी। भारत ने 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश छीना था, तो बदला लेने के लिए आईएसआई ने सिख आतंकवाद को हवा दी। जरनैल सिंह भिंडरावाले को उन्होंने अपना हथियार बनाया, जो खालिस्तान की माँग कर रहा था।
भिंडरावाले को प्रश्रय देने में कांग्रेस का हाथ था। इंदिरा गाँधी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने उसे सपोर्ट किया, ताकि अकाली दल की पॉलिटिक्स पर हावी हो सकें। अकाली दल सिखों की मुख्य पार्टी थी और कांग्रेस चाहती थी कि पंजाब में उसकी ताकत कम हो।
साल 1981 में गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह (जो बाद में राष्ट्रपति बने) ने भिंडरावाले को जेल से छुड़वाया और कहा कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। 1982 में इंदिरा गाँधी ने बड़ा पॉलिटिकल मूव खेला और ज्ञानी जैल सिंह को राष्ट्रपति बना दिया।
अप्रैल 1983 से भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर को अपना हेडक्वार्टर बना लिया। कांग्रेस की ये रणनीति थी, जिसमें अरुण नेहरू, अरुण सिंह, कमलनाथ और संजय गाँधी जैसे लोग शामिल थे। अंत में ये आग पूरे पंजाब को जला गई, सिखों और पूरे देश का नुकसान हुआ।
ऑपरेशन ब्लू स्टार: राजनीतिक फायदे के लिए करवाया
जब पंजाब हिंसा की आग में जलने लगा, तो इंदिरा गाँधी ने समझौते की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। भिंडरावाले ने हथियारबंद आतंकियों के साथ स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया। खालिस्तानी अलगाववादी पंजाब की स्वायत्तता की माँग को उग्र बना रहे थे। 1984 में लोकसभा चुनाव होने वाले थे और खुद को ‘देशभक्त’ दिखाने के लिए इंदिरा गाँधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को हरी झंडी दे दी।
ऑपरेशन ब्लू स्टार 3 से 6 जून 1984 तक चला। भारतीय सेना का मकसद अमृतसर के हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) को भिंडरावाले और उसके समर्थकों से मुक्त कराना था। 1 जून 1984 को खालिस्तानी आतंकियों से समझौता फेल होने के बाद 3 जून को सुरक्षा बलों ने मंदिर घेर लिया। एक बड़ी वजह ये भी थी कि 3 जून को गुरु अर्जुन देव का शहीदी दिवस था, और हजारों श्रद्धालु वहाँ जुटने वाले थे। मंदिर के अंदर भिंडरावाले की मोर्चाबंदी और बाहर सेना की, पूरे इलाके को छावनी बना दिया।
4 जून को सेना ने गोलीबारी शुरू की, 5 जून को भारी टक्कर हुई। 83 सैनिक मारे गए, 249 घायल हुए। 6 जून को भिंडरावाले की मौत की खबर आई, और सेना ने मंदिर को मुक्त कर लिया। लेकिन सिखों के पवित्र मंदिर में सेना का घुसना दुनिया भर के सिखों को गुस्सा दिला गया।
चिदंबरम ने कहा कि ये गलत तरीका था। उन्होंने बताया, “मैं किसी सैन्य अधिकारी का अनादर नहीं कर रहा, लेकिन स्वर्ण मंदिर को कब्जे में लेने का वो गलत रास्ता था। कुछ साल बाद हमने सेना को बाहर रखकर सही तरीका दिखाया। ऑपरेशन ब्लू स्टार सभी उग्रवादियों को पकड़ने के लिए था। मैं मानता हूँ कि श्रीमती गाँधी ने उस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई। वो गलती सेना, पुलिस, खुफिया और सिविल सर्विस का मिला फैसला था। सिर्फ श्रीमती गाँधी को दोषी नहीं ठहरा सकते।”
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने उनका बयान शेयर कर पूछा है कि क्या अब कांग्रेस सच बोलने और उनके झूठे बयानों का पर्दाफाश करने के लिए चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई करेगी?
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि कांग्रेस इंदिरा और राजीव गाँधी को ‘शहीद’ बताकर माइलेज लेती है, लेकिन चिदंबरम ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को गलती बताकर इस मिथक को तोड़ दिया। राजीव गाँधी की हत्या भी पड़ोसी देशों से निपटने में फेल होने का नतीजा थी। अब क्या कांग्रेस चिदंबरम के खिलाफ एक्शन लेगी, क्योंकि उन्होंने सच बोला और उनके झूठ का पर्दाफाश किया?
The Congress never misses a chance to claim that Indira Gandhi and Rajiv Gandhi were “martyrs.”
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 12, 2025
But senior Congress leader P. Chidambaram has now busted that myth — calling Operation Blue Star a mistake for which Indira Gandhi paid with her life. By the same logic, Rajiv… https://t.co/wnImZBsEKi
राजनीतिक फायदे के लिए किया ऑपरेशन- बीजेपी
बीजेपी नेता आरपी सिंह कहते हैं, “ये विवादास्पद नहीं, सच है। ऑपरेशन टाला जा सकता था। गुरुद्वारे की बिजली-पानी काटकर या दूसरे रास्तों से आतंकियों को निकाला जा सकता था। लेकिन इंदिरा गाँधी सिर्फ चुनाव की चिंता में थीं। कांग्रेस को माफी माँगनी चाहिए। इससे बड़ा अपराध नहीं हो सकता। देश ऐसे अपराध को माफ नहीं करेगा। कांग्रेस के सारे फैसले पॉलिटिकल हैं।”
#WATCH | Delhi: On former HM and Congress leader P Chidambaram's remarks on Operation Blue Star, BJP leader RP Singh says, "It is not a controversial statement. He has told the truth. Operation Blue Star could have been avoided...The government did not want to explore those… pic.twitter.com/oF91wDUT50
— ANI (@ANI) October 12, 2025
इंदिरा गाँधी की हत्या और सिखों का नरसंहार
3 से 6 जून 1984 तक भारतीय सेना द्वारा चलाए गए सैन्य कार्रवाई को ऑपरेशन ब्लू स्टार कहा जाता है। इसका मकसद अमृतसर (पंजाब) में हरिमंदिर साहिब परिसर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराना था।
ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला 31 अक्टूबर 1984 को लिया गया। इंदिरा गाँधी के दो सिख बॉडीगार्ड्स, सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने उन्हें गोली मार दी। हत्या के तुरंत बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। दिल्ली समेत 40 से ज्यादा शहरों में ये हुआ। दिल्ली में सबसे खराब हालत थी, जहाँ 3,000 से ज्यादा सिख मारे गए। कुल मिलाकर करीब 15,000 लोग मारे गए, और कम से कम 50,000 सिखों को घर छोड़कर भागना पड़ा।
आरोप कांग्रेस नेताओं पर लगा कि उन्होंने ये दंगे भड़काए। फरवरी 2025 में दिल्ली की एक कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को 1984 दंगों में सरस्वती विहार में दो सिखों की हत्या का दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा दी। कांग्रेस ने इन दंगों के लिए कभी माफी नहीं माँगी।
कांग्रेस का पुराना चरित्र और चिदंबरम की चुप्पी का टूटना
कांग्रेस हमेशा पॉलिटिकल फायदे के लिए फैसले लेती रही। मनमोहन सिंह सरकार में 26/11 मुंबई अटैक हुआ, तो पाकिस्तान पर सबूतों के बावजूद अटैक नहीं किया, क्योंकि डर था कि बीजेपी को फायदा हो जाएगा। ये खुलासा पूर्व अमेरिकी प्रेसिडेंट ओबामा ने अपनी किताब में किया। कांग्रेस के इसी चरित्र को जानते हुए चिदंबरम ने अब चुप्पी तोड़ी।
कांग्रेस की इन गलतियों का खामियाजा देश और जनता को भुगतना पड़ा। भिंडरावाले को बढ़ावा दिया, फिर हिंसा रोकने के नाम पर ऑपरेशन किया, हत्या हुई तो सिखों का कत्लेआम करवाया। चिदंबरम का बयान पुराने जख्म ताजा कर गया और साफ है कि कांग्रेस को इन सबके लिए माफी माँगनी चाहिए।
No comments:
Post a Comment