चिदंबरम ने 10 दिन के भीतर कहने को कांग्रेस का भेद खोलने का काम किया है लेकिन उसे भी हम कोई दूध का धुला व्यक्ति नहीं मान सकते। चिदंबरम स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं और भाजपा के घोर विरोधी रहे है। जब वो 105 दिन जेल में थे तो सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह उनसे मिलने गए थे क्योंकि चिदंबरम के पास सोनिया के कई राज थे जिनके उजागर होने का डर था सोनिया को और इसके लिए उसे डराने और धमकाने गई थी कि मुंह बंद रखना।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
"Condoleeza Rice, who was then US Secretary of State, flew in two or three days after I took over, to meet me and the Prime Minister. And to say, 'please don't react'. I said this is a decision that the government will take. Without disclosing any official secret, it did cross my mind that we should do some act of retribution," he acknowledged.
Chidambaram went on to say that he discussed a possible retaliation with the Prime Minister and “other people who mattered”.
लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में अपने 8 अक्टूबर के भाषण में चिदंबरम की बातों का जिक्र किया तो वह भड़क गए और उसने कहा कि “मेरे नाम से गढ़े गए शब्द पूरी तरह गलत” और पीएम मोदी ने अपने शब्द मेरे बता कर बोले। मेरे शब्दों को Twist कर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की गई।
चिदंबरम ने कहा कि government opted for diplomatic means instead of military action to avoid wider conflict and this was the right decision at that time”, तो बोले क्यों जब कुछ ना करना सही कदम था?
फिर कौन से शब्दों को मोदी ने तोड़ मरोड़ कर पेश किया और चिदंबरम भूल गए कि ओबामा ने भी कहा था कि मनमोहन सिंह सरकार ने यह कह कर पाकिस्तान पर हमला नहीं किया कि इससे भाजपा को लाभ हो जायेगा। चिदंबरम बस एक प्रश्न का उत्तर दे दे कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा उसने और किससे पाकिस्तान पर हमला करने की चर्चा की थी “which mattered” और पाकिस्तान पर हमला न करने का अंतिम निर्णय किसका था क्योंकि शहजादा तो 26/11 के बाद पार्टी कर रहा था। क्या सोनिया गांधी ने अंतिम निर्णय लिया था?
चिदंबरम जैसे व्यक्ति पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसे लोगों का अंतिम लक्ष्य मोदी को लपेटना होता है और यही काम उसने किया।
अब ऑपरेशन ब्लू स्टार पर 40 साल बाद चिदंबरम के बयान का क्या औचित्य है? इस बयान से भी कल को मुकर न जाए। उसने कहा है कि “Indira Gandhi choose the "wrong way" to retrieve the Golden Temple in Amritsar from the control of radical elements. "No disrespect to any military officers, but that (Blue Star) was the wrong way to retrieve the Golden Temple. A few years later, we showed the right way to retrieve the Golden Temple by keeping out the Army."
"Mrs Gandhi paid with her life for that mistake. It was a decision of the Army, Police, intelligence, and the civil services. You cannot blame it only on Mrs Gandhi," he said.
भारतीय सेना का कब चिदंबरम ने आदर किया है जो कह रहा कि वह फैसला आर्मी समेत सभी सुरक्षा एजेंसियों का था। सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट और अभी ऑपरेशन सिन्दूर पर भी चिदंबरम ऊँगली चुका है। चिदंबरम को स्वर्ण मंदिर वापस लेने के तरीके पर सवाल उठाने से पहले इंदिरा गांधी को दोष देना चाहिए था उन परिस्थितियों का निर्माण करने के लिए जिसके कारण स्वर्ण मंदिर कथित खालिस्तानियों के कब्जे में चला गया।
कांग्रेस ने बस राशिद अल्वी को आगे किया हुआ है क्योंकि केवल वो ही 26/11 के बयान पर बोला और अब ऑपरेशन ब्लू स्टार पर भी वही बोला है। वो कहता है कि चिदंबरम पर केस चल रहे हैं उनसे बचने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं। उससे बचना था तो बहुत पहले बोलना चाहिए था।
लेकिन मैं चिदंबरम को भरोसे लायक नहीं समझता। इसका इतिहास भाजपा, संघ, मोदी और सेना विरोधी रहा है।

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