क्या राहुल गाँधी और मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई का एक ही DNA है जो विदेशी धरती पर जाकर उल्टा-सीधा बोल रहे हैं? क्या सुप्रीम कोर्ट अपराधियों को संरक्षण और जमानत देने की जन्नत बन गयी? आधी रात को आतंकवादियों की फांसी रुकवाने वाले दलाल वकीलों के लिए सुप्रीम कोर्ट क्यों खोली जाती है?
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने भी अपने कानून के शासन की डींग विदेश की धरती पर मारी है जबकि राहुल गांधी विदेश में जाकर देश के लोकतंत्र पर हमला बता रहा था 2 दिन पहले। चीफ जस्टिस जिस बुलडोज़र को कोस रहे हैं, लोग उसे पसंद कर रहे हैं न कि आपके घटिया कानून के शासन को जिसमें आप न्याय करने में 20-20 साल लगा देते हैं। सत्य तो यह है कि न्यायपालिका कानून के शासन के नाम पर सबसे बड़े बुलडोज़र का शासन चला रही है जो संविधान को ही कुचल रहा है।
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लेखक चर्चित YouTuber |
बुलडोज़र को रोक कर गवई साहेब ने सुप्रीम कोर्ट ने अपना बुलडोज़र चला कर अपराधियों और बलात्कारियों को अपराध करने का संरक्षण दे दिया गया। हमारे कानून का बुलडोज़र ऐसा है कि छोटी छोटी बच्चियों के बलात्कारियों के घरों को संरक्षण देकर उनके अपराधों के लिए फांसी की सजा पर रोक लगा देता है।
हमारे कानून का बुलडोज़र हिंदुओं पर चलता है और भगवान राम, विष्णु, शंकर और सनातन धर्म को डेंगू मलेरिया कह कर समाप्त करने वालों और मंदिरों को लूटने वालों के खिलाफ कुछ नहीं करता। कश्मीर में हिंदुओं पर किये गए जुल्मो सितम की जांच भी नहीं कराना चाहता। बेकसूर नूपुर शर्मा पर शर्मनाक टिप्पणी कर दी जाती है, लेकिन उकसाने वाले के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं, क्यों? कानून का इतना महान बुलडोज़र कहीं मिल सकता है क्या?
हमारे कानूनी बुलडोज़र में वह शक्ति है कि लालू यादव जैसे 32 साल की सजा पाए अपराधी को खुला छोड़ कर मौज करने की अनुमति देता है। हमने ऐसा कानूनी ढांचा खड़ा किया है जिसमें 100 रुपये की रिश्वत लेने के आरोपी को 49 साल में बरी किया जाता है लेकिन हाई कोर्ट के जज के घर 15000 करोड़ की राशि मिलने पर भी उसके खिलाफ FIR तक होने दी जाती।
हमारे कानून का बुलडोज़र ऐसा है कि हमने कॉलेजियम को ख़त्म करने के लिए NJAC बिल को रौंद कर खारिज कर दिया। हम खुद stakeholder और interested party थे जिन्हें NJAC पर सुनवाई का अधिकार नहीं था।
हमारा बुलडोज़र का शासन तो ऐसा है कि हमारे दो जज सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति करेने वाले राष्ट्रपति को भी “आदेश” दे देते हैं और मजे की बात है कि ऐसे नीच कुकृत्य करने के बाद हमें शर्म से डूब मरने को चुल्लू भर पानी भीं नहीं मिलता।
हमारी न्याय व्यवस्था में कुछ गिने चुने वकीलों का दबदबा है, वो जब चाहें अपने केस सुनवाई के लिए लगवा लेते हैं और अक्सर मुस्लिमों के केस तो दौड़ कर हम भी सुनते हैं। हमारा सुप्रीम कोर्ट इंदिरा गांधी के संविधान में “सेक्युलर और सोशलिस्ट” जोड़ने के खिलाफ कुछ नहीं बोल सका जबकि वह संविधान के basic structure को बदलना था जिसका अधिकार किसी को नहीं था।लेकिन कानून का सम्मान करने वाले प्रधानमंत्री मोदी के इलेक्टोरल बांड्स के फैसले को 7 साल बाद कुचल दिया।
हमारी न्याय व्यवस्था अपने आप में ऐसा “बुलडोज़र” है जिसका उदहारण कहीं नहीं मिल सकता - हम हिंदू मानस को उकसा रहे हैं कि हमारे खिलाफ बगावत करो लेकिन वह मानस “संवेदनशील” है हमें पता है विद्रोह नहीं करेगा, इसलिए हम उसे कुचलते रहते हैं
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