आज एक खबर पढ़ने को मिली जिसमे बताया गया था कि पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की पत्नी वसुधा रोहतगी ने गोल्फ लिंक, दिल्ली में 23 अगस्त को 115 करोड़ का बंगला खरीदा है जिसकी स्टाम्प ड्यूटी 5.7 करोड़ दी गई है। उन्होंने इसके पहले फरवरी 2023 में इसी इलाके में एक अन्य बंगला 160 करोड़ में खरीदा था। यह खबर किसी ने नवभारत टाइम्स के हवाले से दी है।
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लेखक चर्चित YouTuber |
कभी कपिल सिब्बल, सिंघवी या किसी और वकील की संपत्ति के बारे में ऐसी खबरें क्यों नहीं आती?
सुप्रीम कोर्ट के एक जज है जस्टिस के वी विश्वनाथन, उन्हें 2009 में Senior Advocate का दर्जा दिया गया था और मई, 2023 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने। पिछले 14 वर्षों में उन्होंने 91.47 करोड़ इनकम टैक्स दिया और 2024-25 में ही 6.47 करोड़ दिया - इतना ही नहीं 120 करोड़ का निवेश उन्होंने किया हुआ है। यह सब ठीक है लेकिन Assets & Liabilities Statement से यह भी तो जांच होनी चाहिए कि क्या टैक्स की अदायगी और 120 करोड़ का निवेश उनकी आमदनी से मेल खाते हैं या नहीं।
जो सूचना रोहतगी की प्रकाशित होती है, वह सभी बड़े वकीलों और और जजों की भी प्रकाशित होनी चाहिए।
मई के महीने में जब जजों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी तब 33 में से 21 ने यह घोषणा नहीं की थी। 26 मार्च, 2025 की सूचना के अनुसार हाई कोर्ट के 763 जजों में से केवल 57 ने ही अपनी संपत्ति घोषित की थी।
आज भी सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने अपनी संपत्ति वेबसाइट पर नहीं डाली है। उनके नाम हैं:-BV Nagarathna; NK SINGH; AS Chandurkar और Vipul Manubhai Pancholi मजे की बात है जस्टिस नागराथ्ना कॉलेजियम की सदस्य हैं।
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि हमारे यहां सुप्रीम कोर्ट कानून के शासन से चलता है बुलडोज़र के शासन से नहीं।
असली बुलडोज़र का शासन तो यह है कि जज अपनी संपत्ति भी घोषित नहीं करते और किसी के घर में करोड़ों बरामद हो जाएं तो उस पर जांच के लिए FIR की अनुमति भी चीफ जस्टिस नहीं देते।
चीफ जस्टिस को चाहिए कि एक आंतरिक समिति से जांच करवाएं कि जजों की घोषित संपत्ति उनकी आय से मेल खाती है या नहीं अन्यथा यह काम वे ED को सौंप दें।
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