मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने में अगर गहराई से सोंचा जाए तो सुप्रीम कोर्ट सनातन धर्म पर ऊलजलूल बयानबाज़ी करने के लिए तो जिम्मेदार है ही लेकिन प्रधानमंत्री भी कम नहीं। अब सवाल है मोदी जिम्मेदार क्यों? राष्ट्र जानना चाहता है कि तत्कालीन बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने महात्मा गाँधी के लिए क्या गलत बोला था जो उससे नाराजगी दिखाई; दूसरे, प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने वही कहा जो मजहबी किताबों में लिखा है, जिससे मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा "सिर तन से जुदा" होने के साथ-साथ जगह-जगह दर्ज हुई FIRs को एक जगह करने पर सुप्रीम कोर्ट जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या बकवास की थी, क्यों प्रधानमंत्री मोदी चुप्पी साधे रहे?
इतना ही नहीं, मोदी सरकार को चाहिए था कि मुस्लिम कट्टरपंथियों को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस कर जेहादी जुबेर द्वारा प्रसारित सम्पादित वीडियो और TimesNow की असली वीडियो दिखानी चाहिए थी। लेकिन को काम मोदी नहीं कर पाए इसी चैनल के Navbharat के एंकर सुशांत सिन्हा ने सारे मुल्ला, मौलवी, इमाम और मुस्लिम विद्वानों को खुली चुनौती दी कि "बताएं की नूपुर शर्मा ने जो कहा वह इनकी इस्लामिक किताबों में नहीं लिखा" कोई माई का लाल सामने नहीं आया। कन्हैया लाल के कातिलों को आज तक फांसी क्यों नहीं हुई? क्या सुप्रीम कोर्ट से लेकर प्रधानमंत्री तक किसी के पास कोई जवाब है?
प्रधानमंत्री को बहुत सी बातों पर चुप्पी साधनी पड़ती है और जरूरी नहीं जो हम सोचते हैं वही बातें वो अपने बयान में कहें। सुप्रीम कोर्ट के जज कितनी ही अनर्गल बातें करते हैं लेकिन प्रधानमंत्री से हम यह नहीं चाह सकते कि वो हर जज की हर टिप्प्णी पर टिप्पणी करे। लेकिन अगर कोई वकील चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की कोशिश करेगा तो उस पर प्रतिक्रिया देना प्रधानमंत्री के लिए जरूरी है और उनकी प्रतिक्रिया में भी हो सकता है चीफ जस्टिस के लिए चेतावनी छुपी हो कि हिन्दू मानस के लिए शब्दों का चयन सोच समझ कर किया जाये।
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लेखक चर्चित YouTuber |
अब बात आती है चीफ जस्टिस गवई पर जूता फेंकने वाले वकील की। यह कोई साधारण कार्य नहीं है और सुप्रीम कोर्ट के जजों को/के लिए यह चेतावनी है जो आए दिन हिन्दू समाज पर पत्थर फेंकते रहते हैं।
उन्हें समझना चाहिए कि यह चिंगारी यदि विकराल रूप ले लेगी तो तो क्या होगा? मोदी ने देश को सब कुछ दिया लेकिन राहुल गांधी फिर भी श्री लंका, बांग्लादेश और नेपाल के Gen Z को भारत में लाना चाहता है। वो भूल जाता है Gen Z ने वहां के सुप्रीम कोर्ट को भी निशाना बनाया था। तो क्या राहुल गांधी या विपक्ष के लोग कहने की हिम्मत कर सकते हैं कि Gen Z की शुरुआत हमारे सुप्रीम कोर्ट से ही हो गई है?
गवई साहेब ने वकील राकेश किशोर पर कोई कार्रवाई करने से मना कर दिया और उन्होंने उसे क्षमा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने उसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं की और इसलिए पुलिस ने उसे छोड़ दिया लेकिन सवाल यह उठता है कि फिर बार कौंसिल ने उसका suspension ख़त्म क्यों नहीं किया जबकि उस पर कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ? बार कौंसिल ने कभी सुप्रीम कोर्ट से सजा पाए हुए प्रशांत भूषण को तो Suspend नहीं किया? उस पर भी तो कम से कम 6 महीने की प्रैक्टिस पर रोक लगाते लेकिन किशोर को तो हर कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोक दिया।
कपिल सिब्बल पूछ रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इतना समय क्यों लगाया X पर पोस्ट करने में? अबे निकम्मे तू बता क्या तूने गवई के विष्णु भगवान पर दिए बयान की निंदा की थी? सिब्बल ने उनसे कहा था क्या कि ऐसा बयान कभी अल्लाह के लिए भी दिया करो लेकिन तू ये नहीं कह सकता क्योंकि तू तो हर आतंकी का वकील है। कांग्रेस के लोग खासकर माँ-बेटे गवई पर हुए हमले की कोशिश की निंदा कर रहे हैं लेकिन गवई ने विष्णु भगवान का अपमान किया, उस पर खामोश थे।
इतना समझ लेना चाहिए कि विष्णु भगवान ने यह बानगी दिखाई है और वो जो कर सकते हैं, उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। बार कौंसिल भी राकेश किशोर का सस्पेंशन ख़त्म करें। उन्होंने परदीवाला के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जिसने नूपुर शर्मा के खिलाफ मर्यादाएं तोड़ते हुए हेट स्पीच दी और राष्ट्रपति को आदेश दिए?
अवलोकन करें:-
अभी दिवाली आ रही है, सुप्रीम कोर्ट एक दिन के त्यौहार को हिंदुओं को ख़ुशी ख़ुशी मनाने दे। एक दिन के पटाखे 4 महीने प्रदूषण नहीं फैलाते।
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