जिस आज़म खान पर 80 मुक़दमे चल रहे हैं और जिसे करीब 20 वर्ष की सजा हो चुकी है (बेशक उन पर स्टे लगा हुआ है) उसे Y सुरक्षा देने की घोषणा की गई है। 3 गनर समेत 11 सुरक्षा कर्मी उसके साथ रहेंगे तो एक अपराधी पर जनता के पैसे पर खर्च का बोझ क्यों पड़े और वह खर्च उससे वसूल होना चाहिए।
मजे की बात है 14 अक्टूबर को उसे Y सुरक्षा देने के बाद आज़म खान ने सुरक्षा का मजाक उड़ाते हुए “sarcastically remarked, "I am a chicken-thief, a goat-thief, and I have a 21-year sentence, so how am I getting security? I don't trust the people in uniform".
जब पुलिस पर भरोसा नहीं है तो अपनी सुरक्षा का प्रबंध खुद ही कर लेना चाहिए।
मुझे याद है 2022 में एक बिकाश साहा नाम के कथित social activist & Law Student ने मुकेश अंबानी और उनके परिवार की Z+ सुरक्षा हटाने के लिए त्रिपुरा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसके खारिज होने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट चला गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन ने उसकी याचिका खारिज कर दी और कहा इस मामले में उसे बोलने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन फरवरी 2023 में उसी की याचिका पर clarification देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा का खर्चा अंबानी परिवार को वहां करना पड़ेगा।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
जो व्यक्ति मुकेश अंबानी देश की प्रगति में योगदान दे रहा है, उससे सुरक्षा का भी खर्च मांगा जाए लेकिन एक अपराधी को सरकार सुरक्षा देगी वह भी जनता के पैसे से यह बात समझ से परे है। वैसे अनेक लोग हैं जिन्हें सुरक्षा दी जा रही है। लालू यादव को 32 साल की सजा मिलने के बाद भी Z सुरक्षा मिल रही है।
महाराष्ट्र सरकार ने सलमान खान और कई अन्य को सुरक्षा दे रखी है जबकि सलमान अपने निजी सुरक्षा गार्ड को 2 करोड़ रुपये सालाना सैलरी देता है, तो वह सरकारी सुरक्षा का खर्च भी झेल सकता है।
अंबानी की सुरक्षा हटाने के लिए 2019 में भी बॉम्बे हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगी थी। सवाल यह पैदा होता है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा हुआ है कि किसे सुरक्षा देनी है और किसे नहीं, यह फैसला करना केंद्र और राज्य सरकार का काम है तो ऐसे में इस तरह की याचिकाएं सुनवाई के लिए स्वीकार करके अदालत का समय क्यों बर्बाद किया जाता है।
हर तरह अंबानी और अडानी को उलझाए रखो जिससे की रफ़्तार रुक जाए।
अगर सुनवाई करनी ही है और फैसला करना ही है तो इस बात पर किया जाए कि जिसे सुरक्षा दी जा रही है, उसका खर्च उस व्यक्ति से लिया जाए या नहीं। जो सजायाफ्ता मुजरिम हैं, उन्हें तो फ्री में सुरक्षा देने का तो कोई प्रावधान होना ही नहीं चाहिए। लेकिन जो देश की प्रगति में योगदान दे रहा है, उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तो सरकार को लेनी चाहिए।
यह अजीब मजाक है कि बहुत से लोग खुद दुश्मनी मोल लेकर रखते हैं और फिर सुरक्षा मांगते हैं। याद होगा पिछले साल पप्पू यादव ने 24 घंटे में लारेन्स बिश्नोई को ख़त्म करने की धमकी थी लेकिन जब बिश्नोई की तरफ से कुछ कहा गया तो पप्पू यादव अमित शाह से Z+ सुरक्षा मांगने लगा। बिश्नोई को धमकी क्या अमित शाह से पूछ कर दी थी।

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