कौन है चीन के लिए जासूसी करने वाला US स्टेट डिपार्टमेंट का वरिष्ठ सलाहकार अश्ले टेलिस? हजारों दस्तावेजों के साथ पकड़ा गया, सीक्रेट पेपर्स की करता था चोरी

                                        अश्ले टेलिस (फोटो साभार: Fox News, iStock))
अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के सीनियर सलाहकार अश्ले टेलिस पर सुरक्षित सरकारी जगहों से क्लासिफाइड दस्तावेज चुपके से निकालने का आरोप लगा है। भारतीय मूल का टेलिस एक मशहूर फॉरेन पॉलिसी एक्सपर्ट और डिफेंस स्ट्रैटेजिस्ट है। साल 2023 से ही उसके चीनी अधिकारियों से मीटिंग के आरोप भी हैं।

वर्जीनिया के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट के यूएस अटॉर्नी ऑफिस ने मंगलवार (14 अक्टूबर 2025) को बताया कि अश्ले टेलिस को ‘नेशनल डिफेंस इंफॉर्मेशन को गैरकानूनी तरीके से रखने’ के चार्ज पर गिरफ्तार किया गया है। टेलिस को 11 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया, जब यूएस अथॉरिटीज ने उसके वर्जीनिया के वियना में घर की तलाशी ली।

वर्जीनिया के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट के यूएस अटॉर्नी लिंडसे हेलिगन ने एक स्टेटमेंट में कहा कि वियना के अश्ले टेलिस को वीकेंड पर गिरफ्तार किया गया और क्रिमिनल कंप्लेंट के जरिए नेशनल डिफेंस इंफॉर्मेशन को गैरकानूनी रखने के चार्ज लगाए गए, जो 18 यूएससी § 793(ई) का उल्लंघन है।

स्टेटमेंट में कहा गया, “हम पूरी तरह फोकस्ड हैं अमेरिकी लोगों को हर तरह के खतरे से बचाने पर, चाहे वो विदेशी हो या घरेलू। इस केस में लगे आरोप हमारे नागरिकों की सेफ्टी और सिक्योरिटी के लिए बड़ा खतरा हैं। इस केस के फैक्ट्स और लॉ क्लियर हैं, और हम इन्हें फॉलो करते रहेंगे ताकि जस्टिस हो सके।”

खास बात ये है कि भारतीय मूल का अमेरिकी नागरिक अश्ले टेलिस स्टेट डिपार्टमेंट का अनपेड सीनियर सलाहकार था। वो डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (डीओडी) के ऑफिस ऑफ नेट असेसमेंट का कॉन्ट्रैक्टर भी था।

एफबीआई स्पेशल एजेंट जेफरी स्कॉट के एफिडेविट के मुताबिक, टेलिस के पास टॉप सीक्रेट सिक्योरिटी क्लीयरेंस था, जिसमें ‘सेंसिटिव कम्पार्टमेंटेड इंफॉर्मेशन’ तक एक्सेस था।

फेडरल प्रॉसिक्यूटर्स के अनुसार, टेलिस के वियना वाले घर पर रेड के दौरान इन्वेस्टिगेटर्स को टॉप सीक्रेट और/या सीक्रेट लेवल के क्लासिफिकेशन मार्क्स वाले 1000 से ज्यादा पेज के पेपर डॉक्यूमेंट्स मिले।

अश्ले टेलिस ने सुरक्षित फैसिलिटी से कैसे निकाले क्लासिफाइड दस्तावेज?

अश्ले टेलिस ने 2001 में यूएस गवर्नमेंट के साथ क्लासिफाइड इंफॉर्मेशन नॉनडिस्क्लोजर एग्रीमेंट पर साइन किया था, लेकिन उसने कथित तौर पर ये एग्रीमेंट तोड़ा और सिक्योर्ड कम्पार्टमेंटेड इंफॉर्मेशन फैसिलिटी (एससीआईएफ) से क्लासिफाइड मटेरियल निकाल लिया।

टेलिस की हरकतें तब स्कैनर पर आईं जब 12 सितंबर 2025 को वीडियो सर्विलांस से देखा गया कि वो वर्जीनिया के मार्क सेंटर के डीओडी फैसिलिटी के अंदर ऑफिस ऑफ नेट असेसमेंट (ओएनए) वाले एससीआईएफ में घुसा। कंप्यूटर रिकॉर्ड्स से पता चला कि टेलिस ने एक आईडेंटिफाइड क्यूबिकल पर कंप्यूटर यूज किया और उसके को-वर्कर ने उसी दिन उसके लिए कई क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट्स प्रिंट किए।

एफबीआई एजेंट स्कॉट के एफिडेविट में लिखा है, “उस शाम बाद में, जब टेलिस चला गया, तो इन्वेस्टिगेटर्स को उसी क्यूबिकल में दो रेडवेल्ड फाइल पॉकेट्स मिले, दोनों पर ‘टेलिस’ लिखा था। इनमें वो डॉक्यूमेंट्स थे जो को-वर्कर ने टेलिस के लिए पहले प्रिंट किए थे, जिसमें एक टॉप सीक्रेट लेवल का डॉक्यूमेंट भी था।”

एक और मामले में 25 सितंबर को टेलिस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के एचएसटी बिल्डिंग पहुँचा। वो साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स ब्यूरो के सूट 5247 में घुसा और ‘क्लासनेट’ पर लॉग इन किया, जो डीओएस का सीक्रेट-लेवल कंप्यूटर सिस्टम है। वो करीब एक घंटा रुका और फिर चला गया।

एफिडेविट में लिखा है, “उस शाम बाद में टेलिस एक लेदर ब्रीफकेस लेकर एचएसटी बिल्डिंग लौटा और क्लासनेट पर लॉग इन किया। उसने डेस्कटॉप से एक पीडीएफ फाइल खोली, जिसका फाइलनेम एडवर्सरी फाइटर एयरक्राफ्ट और 2024 का रेफरेंस देता था। फाइल 1288 पेज की खुली, जो टाइटल यूएस एयर फोर्स टैक्टिक्स, टेक्नीक्स एंड प्रोसीजर्स का हिस्सा थी। डॉक्यूमेंट के ऊपर डिपार्टमेंट ऑफ एयर फोर्स का सील था और टॉप-बॉटम पर बैनर मार्किंग्स थे – सीक्रेट//फॉरेन गवर्नमेंट इंफॉर्मेशन/रिस्क सेंसिटिव नोटिस/नोफॉर्न//फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विलांस एक्ट।”

टेलिस ने पीडीएफ को ‘ईकॉन रिफॉर्म’ के नाम से री-सेव किया, प्रिंट विंडो खोली और ‘पेजेस’ में ’59-172′ डाला। उसने सेंसिटिव डॉक्यूमेंट के चुनिंदा पेज प्रिंट करने की कई कोशिशें कीं, लेकिन प्रिंट नहीं हुआ। बाद में उसने एक अनक्लासिफाइड डॉक्यूमेंट खोला, जो किसी यूएस गवर्नमेंट ऑफिशियल के पब्लिक स्पीच का था और उसे प्रिंट किया। कुछ मिनट बाद उसने ‘ईकॉन रिफॉर्म’ डॉक्यूमेंट दोबारा खोला, पेज 943-959 प्रिंट किए और फाइल डिलीट कर दी।

फिर उसने एक पीडीएफ डॉक्यूमेंट खोला जो ‘सीक्रेट’ या ‘नोफॉर्न’ क्लासिफाइड था, मतलब ये इंफॉर्मेशन यूएस पर्सन्स के अलावा किसी को नहीं दी जा सकती।

फाइल यूएस एयर फोर्स वेपन्स स्कूल का डॉक्यूमेंट था, जो मिलिट्री एयरक्राफ्ट कैपेबिलिटीज के बारे में था। टेलिस ने डॉक्यूमेंट स्क्रॉल किया और उसके सारे 40 पेज प्रिंट कर दिए।

एफिडेविट में लिखा है, “रात करीब 8:53 बजे टेलिस ने एक पीडीएफ डॉक्यूमेंट खोला जो सीक्रेट//नोफॉर्न क्लासिफाइड था। ये एक और यूएस एयर फोर्स वेपन्स स्कूल का डॉक्यूमेंट था, मिलिट्री एयरक्राफ्ट के बारे में। टेलिस ने उसके सारे 40 पेज प्रिंट कर दिए।”

अथॉरिटीज ने 10 अक्टूबर को टेलिस को फिर मार्क सेंटर के अंदर ओएनए वाले एससीआईएफ सूट में देखा, उसी क्यूबिकल पर बैठे हुए। वीडियो सर्विलांस से 10 बजे के आसपास देखा गया कि वो लेदर ब्रिफकेस लेकर क्यूबिकल पर पहुँचा। उसने डेस्क पर रेडवेल्ड फाइल पॉकेट से कई पेज निकाले और एक पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन जैसा डॉक्यूमेंट (डॉक्यूमेंट ए) रखा। एफिडेविट के अनुसार, ये डॉक्यूमेंट भी टॉप सीक्रेट लगते हैं, क्योंकि ये पहले प्रिंट होकर 12 सितंबर 2025 को उसी क्यूबिकल में छूटे थे जब टेलिस आया था।

टेलिस ने कथित तौर पर क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट को अपने नोटपैड्स के पेजों में मिला दिया, ब्रिफकेस में रखा और ऑफिस से चला गया। वो अपनी वियना वाली घर पर ड्राइव करके लौटा।

अश्ले टेलिस और चीन कनेक्शन

कोर्ट फाइलिंग के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में अश्ले टेलिस ने कई बार पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की। एक मीटिंग 15 सितंबर 2022 को हुई, जब टेलिस और कई पीआरसी ऑफिशियल्स ने वर्जीनिया के फेयरफैक्स में एक रेस्टोरेंट पर डिनर किया। मीटिंग में टेलिस एक मनीला एनवेलप लेकर आया और पीआरसी ऑफिशियल्स गिफ्ट बैग लेकर रेस्टोरेंट में घुसे। फेडरल प्रॉसिक्यूटर्स का आरोप है कि टेलिस ने एनवेलप पीआरसी (चीनी) ऑफिशियल्स को सौंप दिया।

टेलिस ने 11 अप्रैल 2023 को वर्जीनिया के एक रेस्टोरेंट में चीनी गवर्नमेंट ऑफिशियल्स से मीटिंग की। डिनर के दौरान टेलिस और चीनी ऑफिशियल्स को ‘ओवरहीयर्ड’ करते हुए ईरानी-चीनी रिलेशंस और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में बात करते सुना गया।

मार्च 2024 में एक इसी तरह की मीटिंग में, टेलिस और चीनी गवर्नमेंट ऑफिशियल्स ने यूएस-पाकिस्तान रिलेशंस पर डिस्कस किया।

जब टेलिस ने 2 सितंबर 2025 को कथित तौर पर क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट्स निकालना शुरू किया, उसके कुछ दिन पहले टेलिस और कुछ चीनी ऑफिशियल्स ने फिर डिनर किया। इस बार उन्होंने टेलिस को एक लाल रंग का गिफ्ट बैग दिया।

टेलिस के घर की तलाशी से क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट्स मिले

फेडरल कोर्ट के ऑर्डर पर 11 अक्टूबर को इन्वेस्टिगेटर्स ने वर्जीनिया के वियना में टेलिस के घर की तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान, घर के अलग-अलग जगहों पर टॉप सीक्रेट या सीक्रेट लेवल के क्लासिफिकेशन मार्क्स वाले 1000 से ज्यादा पेज के पेपर डॉक्यूमेंट्स मिले।

एफिडेविट में डिटेल किया गया है और ये जोड़ा गया कि बेसमेंट होम ऑफिस एरिया में “सीक्रेट” पोरशन मार्क्स वाला एक डॉक्यूमेंट रिकवर किया गया। इसमें डॉक्यूमेंट्स मुख्य रूप से चार जगहों पर मिले-

बेसमेंट होम ऑफिस एरिया के क्लोजेट में एक फोर-ड्रॉअर लॉक्ड फाइलिंग कैबिनेट
बेसमेंट होम ऑफिस एरिया में एक टू-ड्रॉअर लॉक्ड फाइलिंग कैबिनेट
बेसमेंट होम ऑफिस एरिया में डेस्क के आसपास
बेसमेंट के अनफिनिश्ड स्टोरेज रूम में तीन बड़े ब्लैक ट्रैश बैग्स में।

अगर दोषी साबित हुआ, तो टेलिस को 10 साल तक की जेल हो सकती है।

अश्ले टेलिस और उसका परेशान करने वाला ट्रैक रिकॉर्ड

अश्ले टेलिस अभी कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस (सीईआईपी) में टाटा चेयर फॉर स्ट्रैटेजिक अफेयर्स और सीनियर फेलो है। दिलचस्प बात ये है कि सीईआईपी को हंगेरियन-अमेरिकी इन्वेस्टर और रिजीम चेंज स्पेशलिस्ट जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से फंडिंग मिलती है।

सोरोस की मोदी गवर्नमेंट से दुश्मनी जगजाहिर है और वो नई दिल्ली में अपनी पसंद का पपेट एडमिनिस्ट्रेशन लगाने की कोशिश करता रहा है। सोरोस ने पब्लिक फोरम्स पर भारत के खिलाफ अपनी बुरी नीयत खुलकर जाहिर की है। वो अपनी दौलत का इस्तेमाल भारत को कमजोर करने के लिए करता रहता है।

सीईआईपी को सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से लगातार फंड्स मिलते हैं। ग्रुप के ग्रांट्स रिकॉर्ड्स के मुताबिक, ओएसएफ ने सीईआईपी को करीब 40 ग्रांट्स में लाखों डॉलर दिए हैं। 2024 में ओएसएफ ने सीईआईपी को ‘जनरल सपोर्ट’ के लिए 3,000,000 डॉलर दिए।

जॉर्ज डब्ल्यू बुश एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान वो अंडरसेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर पॉलिटिकल अफेयर्स का सीनियर एडवाइजर था। उसे यूएस-इंडियन सिविल न्यूक्लियर डील नेगोशिएट करने में अहम रोल का क्रेडिट मिलता है। वो यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के स्ट्रैटेजिक इंस्टीट्यूट में रिसर्च डायरेक्टर भी रहा।

टेलिस का रैंड कॉर्पोरेशन से भी गहरा कनेक्शन था, जो एक नॉन-प्रॉफिट ग्लोबल पॉलिसी थिंक टैंक है। उसकी इन्वॉल्वमेंट यूएस गवर्नमेंट सर्विस से पहले की है। अश्ले टेलिस रैंड में सीनियर पॉलिसी एनालिस्ट था, जो ओपन सोसाइटी फाउंडेशंस से स्पेसिफिक प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग लेता था।

बिना आश्चर्य के अश्ले टेलिस को इंडियन लेफ्ट लिबरल मीडिया सर्कल में हाइप मिला। लेफ्टिस्ट प्रोपगैंडा पोर्टल और चाइनीज फंडिंग लेने व एफसीआरए रूल्स तोड़ने के आरोपि न्यूजक्लिक से लेकर द वायर तक, टेलिस इंडियन लेफ्ट लिबरल गिरोह का फेवरेट रहा। टेलिस करण थापर के एक इंटरव्यू में आ चुका है, जो इंडियन लेफ्टिस्ट्स और पाकिस्तानियों में पॉपुलर है।

अपने आर्टिकल्स और इंटरव्यूज में टेलिस ने मोदी गवर्नमेंट को बुरा कहने का कोई मौका नहीं छोड़ा। वो अक्सर कहता था कि भारत को अपनी स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी छोड़ देनी चाहिए और चीन को काउंटर करने के लिए यूएस का ‘जूनियर पार्टनर’ बन जाना चाहिए।

फॉरेन अफेयर्स मैगजीन में कंट्रीब्यूटर के तौर पर टेलिस ने एक्सपर्ट जियोपॉलिटिकल एनालिसिस के बहाने एंटी-इंडिया आर्टिकल्स लिखे। एक ऐसे पीस में, “इंडिया’s ग्रेट पावर डेल्यूशंस” टाइटल से टेलिस ने कहा कि भारत का मल्टीपोलैरिटी और स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी में विश्वास ‘इफेक्टिव या रियलिस्टिक नहीं हो सकता।’

उसका चीन प्रेम भी आर्टिकल में झलका, जब उसने पाकिस्तान के बेबुनियाद दावे को बढ़ा-चढ़ाकर बताया कि मई के कॉन्फ्लिक्ट में पाक ने चाइनीज डिफेंस सिस्टम्स से इंडियन फाइटर जेट गिराया, जबकि भारत ने पहलगाम में इस्लामिक टेरर अटैक के बाद दुश्मन पड़ोसी को करारा जवाब दिया था।

टेलिस ने इस साल जून में पब्लिश हुए आर्टिकल में लिखा, “हालाँकि भारत ने पिछले दो दशकों में इकोनॉमिक स्ट्रेंथ बढ़ाई है, लेकिन वो चीन को बैलेंस करने जितनी तेजी से नहीं बढ़ रहा, छोड़िए यूएस को, लॉन्ग टर्म में भी। ये मिडसेंचुरी तक रिलेटिव जीडीपी के टर्म्स में ग्रेट पावर बनेगा, लेकिन सुपरपावर नहीं। मिलिट्री टर्म्स में ये साउथ एशिया की सबसे सिग्निफिकेंट कन्वेंशनल पावर है, लेकिन यहाँ भी लोकल राइवल पर इसका एडवांटेज बहुत बड़ा नहीं।”

उसने आगे लिखा, “मई की लड़ाई में पाकिस्तान ने चाइनीज-सप्लाइड डिफेंस सिस्टम्स यूज करके इंडियन एयरक्राफ्ट गिराए। चीन एक तरफ और एडवर्सरियल पाकिस्तान दूसरी तरफ होने से, भारत को हमेशा अनपैलेटेबल टू-फ्रंट वॉर का डर रहता है।”

बिना आश्चर्य के टेलिस ने भारत के कथित ‘हिंदू नेशनलिज्म’ को अपनाने और ‘लिबरल डेमोक्रेसी’ को छोड़ने पर भी निराशा जताई।

No comments: