अक्सर आदमी किसी आलोचना और भविष्यवाणी को यह सोंच अनदेखा कर देते हैं कि ये इस पार्टी या उस पार्टी का समर्थक है इसलिए ऐसा बोल रहा है। सारा विपक्ष नरेंद्र मोदी के पीछे उस दिन से पड़ा है जब भारत में हर कोई मोदी को जानता या पहचानता तक नहीं था। और मोदी को मात देने अक्ल से पैदल सारा विपक्ष कांग्रेस की गोदी में बैठ गया। इन पागलों को नहीं मालूम कि मोदी को इस स्थान में पहुँचाने में कांग्रेस का ही योगदान है। या दूसरे शब्दों में कह सकते हो कि सोनिया गाँधी से लेकर प्रियंका वाड्रा तक कांग्रेस बीजेपी की Star प्रचारक बन चुकी है, जिसे सारा विपक्ष आंखें बंद कर कांग्रेस की पिछलग्गू बन अपनी भी पार्टियों को हाशिए पर ले आये। विनाश काल विपरीप बुद्धि।
दूसरे, मुसलमानों को भी समझना होगा कि उन्हें भारत ही नहीं विदेशों में भी कांग्रेस और वामपंथियों ने ही कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक शक के दायरे में खड़ा कर रखा है। इन्हें नहीं मालूम की इन लोगों ने कितना इतने आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाया है। मुसलमानों को अभी बिहार तक में हुए चुनावों से नसीहत लेनी चाहिए। बीजेपी को हराने जिस तरह एकजुट होकर वोट दिया क्या मिला मुस्लिम कौम को? बीजेपी फिर भी जीत गयी लेकिन मुसलमान हरामफरमोश के नाम से बदनाम हो गया। क्योकि जिस बीजेपी को हराने एकजुट बीजेपी के खिलाफ वोट दिया उसी मोदी सरकार के सुविधाओं के सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाला मुसलमान ही है, इसीलिए तुम्हे हरामफरमोश कहा जाता है।
वर्ष 1998 से 2017 तक सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष रही, दिसंबर, 2017 से जुलाई, 2019 तक राहुल गांधी और उसके बाद अक्टूबर, 2022 तक सोनिया गांधी पार्टी की “अंतरिम अध्यक्ष” थी। अक्टूबर, 2022 में खड़गे को “फर्जी गांधी” परिवार का दरबारी अध्यक्ष बनाया गया।
एक सूचना के अनुसार वर्ष 2010 से कांग्रेस और वामपंथी दलों CPI और CPIM) ने पतन ही देखा है जबकि भाजपा का उत्थान ही हुआ है। 2010 में कांग्रेस के सभी राज्यों में कुल मिला कर 1176 विधायक थे और भाजपा के 877 जबकि अब 2025 में बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस के 639 विधायक रह गए है जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 1657 हो गई है।
![]() |
| लेखक चर्चित YouTuber |
उधर CPIM को देखे तो केवल केरल में उसके 62 विधायक है जबकि अन्य सभी राज्यों में कुल मिलाकर केवल 18 विधायक है और लोकसभा में मात्र 5 सदस्य हैं। CPI के कुल 19 में 16 विधायक अकेले केरल में हैं जबकि 2 तमिलनाडु और एक तेलंगाना में है - उधर वामपंथी आतंकी नक्सलवादियों का लगभग सफाया हो चुका है। जिस बंगाल में CPI(M) ने करीब 35 साल राज किया, वहां आज उनका एक भी विधायक नहीं है।
कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकतम लोकसभा सांसद 1962 में 29 थे (जब कम्युनिस्ट पार्टी एक ही थी) और CPM के अधिकतम लोकसभा सांसद 43 थे 2004 की 14th लोकसभा में। इन दोनों दलों का पतन ऐसा हुआ कि आज की लोकसभा में CPI(M) के 4 और CPI के मात्र 2 सदस्य है और पिछली 17th लोकसभा में भी दोनों के कुल मिलाकर 5 सदस्य थे।
संख्या बेशक कम हो गई है कांग्रेस, वामपंथी और अन्य कई दलों की लेकिन वह देश में उत्पात मचाने और संसद की कार्रवाई को ठप करने के लिए पर्याप्त है। सभी विपक्षी दलों का लक्ष्य केवल मुस्लिम वोट बैंक को साधना है जो हिंदू जनमानस को एकजुट होने में मदद ही कर रहा है जो विपक्ष को समझ नहीं आ रहा। विपक्ष शुरू से हिंदुओं को बांटने और मुस्लिमों को एकजुट रख कर उनके वोट बटोरने की राजनीति पर चला है और उसी के लिए कांग्रेस और अन्य दल बांग्लादेशी और रोहिंग्या को देश में घुसाते रहे लेकिन अब चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए SIR से सभी विपक्षी दलों में खलबली मची है क्योंकि उन घुसपैठियों को भारत छोड़ने के हालात पैदा हो गए है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को उसकी करतूतों की वजह से सही नाम दिया है "Muslim League-y Maoist Congress" (MMC)। आज कांग्रेस खुल कर आतंकवाद और पाकिस्तान के साथ खड़ी दिखाई देती है और अब अल फलाह के डॉक्टरों के आतंकी ब्लास्ट को भी कांग्रेस ने समर्थन दे दिया। फिर कैसे उम्मीद कर सकती है कांग्रेस कि जनता उसका साथ देगी वह भी हर समय बिना वजह मोदी पर निजी हमले करके।

No comments:
Post a Comment