बाबरी के खिलाफ याचिका का आधार गलत था तो कोलकाता हाई कोर्ट ने भी उसे खारिज करने में दिमाग नहीं लगाया

सुभाष चन्द्र

कोलकाता हाई कोर्ट में कथित बाबरी मस्जिद की नींव रखने के खिलाफ जो PIL दायर की गई उसका आधार ही गलत था। याचिका में कहा गया कि इससे धार्मिक सौहाद्र बिगड़ सकता है, खासकर बाबरी गिराए जाने के दिन बेलडांगा में नई  मस्जिद की आधारशिला रखने से। यह भी कहा गया कि हुमायूँ कबीर के भड़काऊ बयानों से संवेदनशील जिले में हिंसा फैलने का भय है।

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इस याचिका का आधार ही गलत था याचिका में कहना चाहिए था कि हुमायूँ कबीर नई मस्जिद को अयोध्या की मस्जिद को नया रूप देने के लिए बनाना चाहता है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन 2019 में ही दे दी थी लेकिन मुस्लिम समुदाय अभी तक वहां मस्जिद नहीं बना पाया है ऐसे में किसी और स्थान पर कथित बाबरी मस्जिद नहीं बनाई जा सकती

हाई कोर्ट के संज्ञान में क्या सुप्रीम कोर्ट का निर्णय नहीं था जिसके आधार पर वह मस्जिद की आधारशिला रखने पर रोक लगा सकता था हुमायूँ कबीर के भड़काऊ बयान क्या हाई कोर्ट के संज्ञान में नहीं थे और क्या उनसे कोर्ट को नहीं लगा कि सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है 

हाई कोर्ट को सब कुछ प्लेट में परोसा हुए चाहिए था वो स्वयं मीडिया में हुमायूँ कबीर के बयान नहीं देख सकता जिनमे वह दावा कर रहा है उसका मस्जिद बनाने का बजट 300 करोड़ है लेकिन पैसा कहाँ से आएगा यह नहीं बताया गया वो उस पैसे को अयोध्या में दी गई जमीन पर मस्जिद बनाने में लगा सकता है लेकिन उसे सांप्रदायिक दंगे फ़ैलाने में ज्यादा रूचि है क्योंकि मुर्शिदाबाद में 67% मुस्लिम हैं और हिंदू केवल 33% और वो धमकी दे रहा है कि जो भी भाजपा को समर्थन करेगा उसे भागीरथी में फेंक दूंगा

उधर वो नई कथित बाबरी बनाने को आतुर है और दूसरी तरफ ओवैसी और अन्य बड़े मुस्लिम नेता कह रहे हैं कि उनके लिए अयोध्या की मस्जिद ही असली बाबरी रहेगी जिसे वो लेकर रहेंगे खुली चुनौती दी जा रही है कि राम मंदिर को तोड़ कर फिर मस्जिद बनाएंगे जैसे बाबर ही उनका असली पूर्वज था 

मुर्शिदाबाद में अनेक बार सांप्रदायिक दंगे हुए हैं जिनमें हिंदुओं को निशाना बनाया जाता रहा है इस वर्ष अप्रैल महीने में भी वक्फ बोर्ड कानून के विरोध में दंगे हुए थे 

ममता सरकार का रिकॉर्ड कानून व्यवस्था बनाए रखने में बहुत ख़राब रहा है और वो हिंदुओं को सुरक्षा देने में नाकाम रही है - उसके कहने पर हाई कोर्ट ने कैसे भरोसा कर लिया और केवल उसे कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश देकर मामले को बंद कर दिया यह साफ़ जाहिर करता है कि कोर्ट ने अपना दिमाग उपयोग नहीं किया (there was no application of mind to pass the order in dismissing the petition)

मुझे याद है अयोध्या मामले में एक भूरे लाल हुआ करता था जिसकी हर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल्याण सिंह सरकार के खिलाफ एक टांग पर खड़ा रहता था और न जाने कितने अवरोध पैदा किए थे लेकिन यहां हाई कोर्ट एक नोटिस जारी करके आधारशिला रखने को रोक नहीं लगा सका जो वह कर सकता था अगर 6 दिसंबर को नींव नहीं रखी जाती तो आसमान नहीं गिर पड़ता? हाई कोर्ट नोटिस जारी करके इतना तो पूछ ही सकता था हुमायूँ कबीर से कि 33 साल से तुमने मस्जिद क्यों नहीं बनाई मुर्शिदाबाद में और क्यों अयोध्या में दी गई जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई?

हुमायूँ कबीर के पीछे अगर राजनीति मुसलमानों को ममता के खिलाफ करने की है तो वह समझ से परे है क्योंकि उसके इस काम से हिंदू मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण स्वतः ही हो जायेगा ममता ने बंगलादेशियों और रोहिंग्याओं को बंगाल में घुसा कर जो हिंदुओं को प्रताड़ित किया है, उसका जवाब देने का समय आ गया है

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