| मतदान प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाते गाँधी परिवार और उम्मीदवार राजेश खन्ना |
दूसरे, कोई भी कानून हो या फिर संविधान उसकी धज्जियां कैसे उड़ाई जाती है, वह कांग्रेस से सीखने की जरुरत है। देश का जब सबसे पहला चुनाव हुआ था तब उत्तर प्रदेश के रामपुर से नेहरू के लाडले मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को हिन्दू महासभा के उम्मीदवार विशन सेठ ने 6000 वोट से हरा दिया जो नेहरू से बर्दाश्त नहीं हुआ। पढ़िए नीचे दिए लिंक में:-
अवलोकन करें:-
दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य सोनिया गाँधी को नोटिस जारी किया है। कोर्ट में दायर अर्जी में दावा किया गया है कि उनका नाम नई दिल्ली से 1980 वोटर लिस्ट में जोड़ा गया, फिर 1982 में हटा दिया गया। नोटिस नागरिकता लेने से पहले वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने को लेकर है। सोनिया गाँधी और राजीव गाँधी की शादी 25 फरवरी 1968 को हुई थी। दावा किया जा रहा है कि उन्होंने 1983 में देश की नागरिकता ली।
अर्जी में कहा गया है कि सोनिया गाँधी का नाम 3 साल पहले वोटर लिस्ट में जोड़ दिया गया था। इस संबंध में एक अर्जी मजिस्ट्रेट कोर्ट में खारिज की गई थी, जिसके खिलाफ रिवीजन अर्जी दायर की गई थी। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सोनिया गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश देने से मना कर दिया था।
फर्जी दस्तावेज का किया गया होगा इस्तेमाल- याचिकाकर्ता
याचिका में कहा गया है कि पहली बार नाम जोड़ने में फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया होगा। क्योंकि उस वक्त उनके पास देश की नागरिकता से जुड़े दस्तावेज नहीं थे। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि ये अपराध है इसलिए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया जाए।
स्पेशल जज (PC Act) विशाल गोगने ने क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन पर सीनियर एडवोकेट पवन नारंग की शुरुआती दलीलें सुनीं और सोनिया गाँधी और दिल्ली पुलिस से जवाब माँग लिया। इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2026 को होगी।
अपनी अर्जी में त्रिपाठी ने कहा है कि सोनिया गाँधी का नाम 1980 में नई दिल्ली चुनाव क्षेत्र के इलेक्टोरल रोल में शामिल किया गया था, जबकि वह अप्रैल 1983 में भारत की नागरिक बनी थीं। अर्जी में जानकारी दी गई है कि सोनिया गाँधी का नाम 1980 में जोड़ा गया, 1982 में हटाया गया और फिर 1983 में जोड़ा गया।
इससे पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि कोर्ट याचिकाकर्ता की माँग के अनुसार जाँच शुरू नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा था कि किसी व्यक्ति की नागरिकता से जुड़े मामले केंद्र सरकार के खास अधिकार क्षेत्र में आते हैं और किसी व्यक्ति को इलेक्टोरल रोल में शामिल करने या बाहर करने की योग्यता तय करने का अधिकार भारत के चुनाव आयोग (ECI) के पास है।
कोर्ट ने माँगा सोनिया गाँधी से जवाब
नागरिक बने बगैर वोटर लिस्ट में नाम होने के फर्जीवाड़े को लेकर कोर्ट ने सोनिया गाँधी के खिलाफ दाखिल रिवीजन पिटीशन पर नोटिस जारी किया और जवाब माँगा। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी इस मामले में नोटिस जारी किया है।
सोनिया गाँधी ने 30 अप्रैल 1983 को भारत की नागरिक बनीं। 1980 में सोनिया गाँधी का नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया गया। जबकि 1982 में उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया। याचिका में वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने का भी जिक्र किया गया है। अब सवाल यह है कि 1980 में नागरिकता किस आधार पर दी गई।
क्या है सोनिया गाँधी के वोटर लिस्ट का मामला
सोनिया गाँधी का नाम पहली बार 1980 में मतदाता सूची में दिखाई दिया था, उस वक्त उनके पास इटली की नागरिकता थी। इसके तीन साल बाद वो भारत की नागरिक बनीं। 1980 में गाँधी परिवार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के आधिकारिक निवास 1, सफदरजंग रोड में रहता था। 1980 में गाँधी परिवार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के आधिकारिक निवास 1, सफदरजंग रोड में रहता था।
Sonia Gandhi’s tryst with India’s voters’ list is riddled with glaring violations of electoral law. This perhaps explains Rahul Gandhi’s fondness for regularising ineligible and illegal voters, and his opposition to the Special Intensive Revision (SIR).
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 13, 2025
Her name first appeared… pic.twitter.com/upl1LM8Xhl
बीजेपी नेता अमित मालवीय के मुताबिक, 1980 से पहले पीएम आवास के पते पर पंजीकृत मतदाता सूची में इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, संजय गाँधी और मेनका गाँधी के नाम थे। नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में 1 जनवरी, 1980 को अर्हता तिथि मानकर 1980 में संशोधन किया गया था। संशोधन के बाद सोनिया गाँधी का नाम मतदान केंद्र 145 के क्रमांक 388 पर जोड़ा गया। यह प्रक्रिया उस कानून का स्पष्ट उल्लंघन थी, जिसके अनुसार मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए किसी व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।”
नाम हटा, फिर 2 साल बाद जुड़ा
सोनिया गाँधी का नाम वोटर लिस्ट से हटाने और फिर जोड़ने को लेकर अमित मालवीय ने कहा कि 1982 में भारी विरोध के बाद सोनिया गाँधी का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया और 1983 में फिर से नाम जोड़ दिया गया। इस बार भी नाम जोड़ने पर सवाल उठे थे। 1983 के मतदाता सूची के संशोधन में सोनिया गाँधी का नाम मतदान केंद्र 140 के क्रम संख्या 236 पर दर्ज था। पंजीकरण की अर्हता तिथि 1 जनवरी, 1983 थी। जबकि उन्हें 30 अप्रैल, 1983 को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।
कानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मालवीय ने कहा, “सोनिया गाँधी का नाम नागरिकता के लिए अनिवार्य शर्तें पूरी किए बिना ही दो बार मतदाता सूची में दर्ज हुआ। पहली बार 1980 में , जब वह एक इतालवी नागरिक थीं और दूसरी बार 1983 में जब कानूनी रूप से वह भारत की नागरिक नहीं बनी थीं।”
सोनिया गाँधी ने शादी के तुरंत बाद नागरिकता क्यों नहीं ली? इस पर सवाल खड़ा न करते हुए बीजेपी नेता ने कहा, “हम यह भी नहीं पूछ रहे हैं कि राजीव गाँधी से शादी करने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में 15 साल क्यों लग गए? लेकिन यह घोर चुनावी धाँधली नहीं है, तो और क्या है?”

No comments:
Post a Comment