महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में खींचतान शुरू हो गई है, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से ही लगातार मंत्री पद न मिलने पर विधायकों की नाराज़गी की ख़बरें सामने आ रही थीं। इस बीच, औरंगाबाद से शिवसेना के विधायक और राज्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अब्दुल सत्तार ने शनिवार (4 जनवरी) को अपने मंत्रिपद से इस्तीफ़ा दे दिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि उन्हें कैबिनेट मंत्री पद नहीं मिला था इस बात से वो ख़ासा नाराज़ थे। अपनी माँग पूरी न होने पर उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया। हालाँकि, विधायक के पद पर वह अभी भी बने हुए हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में कद्दावर नेता माने जाने वाले अब्दुल सत्तार का इस्तीफा उद्धव सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। आपको बता दें कि सत्तार पहले कांग्रेस में थे और उन्होंने विधानसभा चुनावों से कुछ पहले ही शिवसेना का दामन थामा था।
जानकारी के अनुसार, शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में 1994 में प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में अब्दुल सत्तार को दाऊद का क़रीबी बताया था। 25 साल पुरानी सामना की यह रिपोर्ट अब सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है और शिवसेना के नेताओं को इसका जवाब देते नहीं बन रहा है। सामना ने 11 जून, 1994 को ‘शेख सत्तार के दाऊद गिरोह से क़रीबी संबंध’ शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की थी। तब अब्दुल सत्तार कांग्रेस में थे और उन्होंने शिवसेना के पार्षद को चुनाव में हराया था।
इसके अलावा, 1993 के मुंबई विस्फोट मामले में मौत की सज़ा पाए याकूब मेमन के लिए दया का अनुरोध करने वाले विधायकों में भी सत्तार शामिल थे। लेकिन, आज की तस्वीर यह है कि मंत्रालयों के बँटवारे को लेकर एनसीपी और कॉन्ग्रेस में अब ठन गई है।
एनसीपी और शिवसेना अपने कोटे से एक भी मंत्री पद कांग्रेस से अदला-बदली करने के लिए तैयार नहीं है। एनसीपी और कांग्रेस नेताओं के बीच जारी घमासान के चलते दोनों दलों के नेता बैठक बीच में ही छोड़कर वहाँ से चलते बने। दोनों पार्टियों के आपसी विवाद के कारण मंत्रियों के विभागों का बँटवारा एक टेढ़ी खीर बनी हुई है।
अब्दुल सत्तार के इस्तीफ़ा दिए जाने के बाद से उद्धव ठाकरे की मुसीबत बढ़ गई, इसलिए उन्होंने शिवसेना के नेता को उन्हें मनाने के लिए भेज दिया है। ग़ौरतलब है कि 30 दिसंबर को 36 नए मंत्रियों की शपथ के साथ महाराष्ट्र में मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या अब 43 हो गई है, लेकिन नए मंत्रियों को उद्धव ठाकरे ने अभी तक विभागों का आवंटन नहीं किया है।
महाराष्ट्र की राजनीति में कद्दावर नेता माने जाने वाले अब्दुल सत्तार का इस्तीफा उद्धव सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। आपको बता दें कि सत्तार पहले कांग्रेस में थे और उन्होंने विधानसभा चुनावों से कुछ पहले ही शिवसेना का दामन थामा था।
जानकारी के अनुसार, शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में 1994 में प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में अब्दुल सत्तार को दाऊद का क़रीबी बताया था। 25 साल पुरानी सामना की यह रिपोर्ट अब सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है और शिवसेना के नेताओं को इसका जवाब देते नहीं बन रहा है। सामना ने 11 जून, 1994 को ‘शेख सत्तार के दाऊद गिरोह से क़रीबी संबंध’ शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की थी। तब अब्दुल सत्तार कांग्रेस में थे और उन्होंने शिवसेना के पार्षद को चुनाव में हराया था।
According to reports, Sattar who joined the @ShivSena ahead of the assembly polls is unhappy over not getting the Cabinet ministryhttps://t.co/l8ZSKx9xoD— Mumbai Mirror (@MumbaiMirror) January 4, 2020
इसके अलावा, 1993 के मुंबई विस्फोट मामले में मौत की सज़ा पाए याकूब मेमन के लिए दया का अनुरोध करने वाले विधायकों में भी सत्तार शामिल थे। लेकिन, आज की तस्वीर यह है कि मंत्रालयों के बँटवारे को लेकर एनसीपी और कॉन्ग्रेस में अब ठन गई है।
एनसीपी और शिवसेना अपने कोटे से एक भी मंत्री पद कांग्रेस से अदला-बदली करने के लिए तैयार नहीं है। एनसीपी और कांग्रेस नेताओं के बीच जारी घमासान के चलते दोनों दलों के नेता बैठक बीच में ही छोड़कर वहाँ से चलते बने। दोनों पार्टियों के आपसी विवाद के कारण मंत्रियों के विभागों का बँटवारा एक टेढ़ी खीर बनी हुई है।
अब्दुल सत्तार के इस्तीफ़ा दिए जाने के बाद से उद्धव ठाकरे की मुसीबत बढ़ गई, इसलिए उन्होंने शिवसेना के नेता को उन्हें मनाने के लिए भेज दिया है। ग़ौरतलब है कि 30 दिसंबर को 36 नए मंत्रियों की शपथ के साथ महाराष्ट्र में मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या अब 43 हो गई है, लेकिन नए मंत्रियों को उद्धव ठाकरे ने अभी तक विभागों का आवंटन नहीं किया है।