केजरीवाल के “शीश महल” पर रेड में जो ED अधिकारियों और अन्य लोगों की जासूसी के सबूत मिले वो उसे देशद्रोह के केस में दोषी करार दे सकते हैं बशर्ते मीलॉर्ड मेहरबान न हों।
केजरीवाल की गिरफ़्तारी के समय उसका माता पिता के चरण छू कर आशीर्वाद लेना नहीं दिखाया गया और भागता रहा अदालतों में लेकिन गांधी समाधि पर “अनशन” करने नहीं गया। अब अन्ना हज़ारे, कल तक के गुरु ने भी कह दिया कि केजरीवाल को अपने “कर्मों” का फल मिला है और यह होना ही था, उसने मेरी बात नहीं मानी कि शराब का विरोध होना चाहिए।
दरअसल केजरीवाल ने सत्ता के नशे में हर किसी को भुला दिया। उसे यह भान ही नहीं रहा कि नरेंद्र मोदी जैसे भगवान के भक्त पर राजनीति के चलते भी मर्यादा में रहना चाहिए। आज भी उसे मोदी का अहंकार दिखाई दे रहा है, अपने अहंकार को चरम पर पहुंचा हुआ नहीं देख रहा। मोदी ने कभी केजरीवाल की बेबुनियाद और असभय भाषा और अनर्गल आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया लेकिन यह तो निश्चित है मोदी का दिल केजरीवाल को श्राप जरूर देता होगा।
श्राप, आशीर्वाद और कसम के फलीभूत होने का समय इनके लेने से ही नियत हो जाता है। ईश्वर करे केजरीवाल की कसम कभी फलीभूत न हो, मोदी के श्राप का फल तो सामने आ गया। यह बात राहुल गांधी भी समझ ले तो अच्छा है।लेखक
सुबह से “आप” के नेता ढोल पीट रहे हैं कि केजरीवाल के घर पर रेड में एक रुपया भी नहीं मिला और अगर घोटाला हुआ तो पैसा कहां गया? ऐसी घिसी पिटी बातें सत्येंद्र जैन, सिसोदिया और संजय सिंह के घरों पर रेड के बाद खुद केजरीवाल ने की थी। लेकिन यह भी सत्य है कि इन तीनों को कहीं जमानत नहीं मिल रही और सुप्रीम कोर्ट ने तो 338 करोड़ की गड़बड़ी मिलने की बात साफ़ साफ़ कही थी।
इन 3 नेताओं की जमानत ख़ारिज करते हुए अदालतों ने यही माना है कि ये प्रभावशाली लोग सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं, उन्हें नष्ट कर सकते हैं। केजरीवाल तो मुख्यमंत्री है उसके पास तो इन सबसे ज्यादा शक्ति है सबूतों को ख़त्म करने की। मतलब साफ़ है जब ये तीनों बाहर नहीं आ पा रहे तो केजरीवाल कैसे आएगा?
आज केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने उसका एक बयान मीडिया में पढ़ा - News Portals पर heading में लिखा गया कि केजरीवाल ने कहा है - “Go to temple, seek blessings for me” - मगर ये शब्द जो मीडिया में उसका पढ़ा हुआ बयान आया है, उसमे नहीं हैं।
सवाल यह है मंदिरों में कौन जाएगा? हिंदू ही जाएंगे न। परंतु हिंदू केजरीवाल के लिए मंदिरों में जाकर क्यों प्रार्थना करें जब वह सब कुछ लुटाता है मस्जिदों के इमामों पर और वक्फ बोर्ड पर। इतना ही नहीं पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता देने का विरोध करते हुए उन्हें चोर, डकैत और बलात्कारी कहता है। फिर हिंदू कौम उसके लिए क्यों कष्ट उठाए क्योंकि केजरीवाल ने वोटों के लिए तो मुस्लिम समुदाय के सामने ही नाक रगड़नी है।
परसों दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद गिरफ्तार हुआ और आज फिर उसी कोर्ट में गिरफ़्तारी को चुनौती देने पहुंच गया। जिस कोर्ट ने गिरफ़्तारी पर रोक नहीं लगाईं, वह गिरफ़्तारी के खिलाफ कैसे फैसला देगा? कोर्ट से कह रहा था कि कल रविवार को ही सुनवाई कीजिए लेकिन कोर्ट ने टरका दिया और बुधवार 27 मार्च को सुनवाई तय कर दी।
देश को सावधान रहना होगा, जो व्यक्ति खुद को “अराजक” तत्व मानता है, वह गिरफ़्तारी के खिलाफ कोई भी हिंसक कार्य कर सकता है चाहे आतंकी हमला ही क्यों न हो। राघव चड्ढा तो कहते गया ही है लंदन कुछ जुगाड़ करने।
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