भारतीय राजनीति में ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल से बड़ा नौटंकीबाज़ नहीं। बंगाल विधान सभा में हार देख पांव चोटिल की नौटंकी कर सहानुभूति वोट की बैसाखी पर वोट बटोर लिए, मजे की बात देखिए मतदान संपन्न होते ही व्हीलचेयर गायब हो गयी। उसी तरह लोकसभा चुनावों में हार देख फिर से चोटिल होने की नौटंकी। INDI गठबंधन से दूर भागने का असली कारण नौटंकी से बंगाल जीत सब पर होने का स्वांग खेल पागल बनाना था। केजरीवाल और पार्टी को अच्छी तरह मालूम है कि जिस दिन ED ऑफिस गया नहीं, फिर बाहर नहीं आएगा। कांग्रेस के अनुसार इसकी गिरफ़्तारी दो वर्ष पहले हो जानी थी। क्योकि दिल्ली सरकार में हुए घोटालों का मुख्य सरगना केजरीवाल ही है। सिसोदिया, संजय सिंह, सत्येंद्र आदि तो मात्र प्यादा है। लेखक
मैंने एक बार पहले भी लिखा था कि Rouse Avenue Court ने ED की 2nd शिकायत पर केजरीवाल को फिर से पिछली नियत तिथि 16 मार्च को कोर्ट में हाजिर होने के लिए कह कर गलती की थी क्योंकि जब उसके ED के 3 summons की अवहेलना को कोर्ट ने अपराध माना था तो 8 summons पर हाजिर न होने पर तो सीधा उसे निर्देश देने चाहिए थे ED के सामने पेश होने के लिए।
ऐसी पूरी संभावना थी कि केजरीवाल 16 मार्च को भी कोर्ट को गच्चा दे देगा और उसके लिए उसने विधानसभा का सत्र फिर से 15 मार्च से बुला लिया जिससे एक बार फिर बहाना बना सके कोर्ट में न जाने का।
आज केजरीवाल ने दूसरा खेल खेला है। उसने सेशन कोर्ट में Rouse Avenue Court के summons को चुनौती दे दी जिस पर आज सुनवाई पूरी नहीं हुई जो कल होगी। कल यदि सेशन कोर्ट इसकी अर्जी ख़ारिज करता है (जैसी पूरी संभावना है) तो ये कल ही हाई कोर्ट चला जाएगा और वहां भी बात नहीं बनी तो ये फिर सुप्रीम कोर्ट में जाकर माथा फोड़ेगा।
हाई कोर्ट उसके वक्फ मंत्री अमानतुल्लाह को पहले ही कह चुका है कि उसे ED के सामने पेश होने से कोई छूट नहीं मिल सकती और सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु के 5 DMs को कह चुका है कि उन्हें ED के summons पर पेश होना ही होगा। ऐसे में केजरीवाल को कहीं से कोई राहत मिलने की उम्मीद न के बराबर है लेकिन फिर भी हाथ पांव मार कर केवल Time Gain करना चाहता है।
परंतु ED के summons पर उसे हाजिर होना ही पड़ेगा और जितना यह न जाने के लिए पापड़ बेलता फिरेगा, उतना ये अपने को खुद ही दोषी साबित करता जाएगा।
केजरीवाल ने दिमाग में फितूर है कि चुनाव घोषित होने के बाद आचार संहिता लगने के कारण उसकी गिरफ़्तारी नहीं हो सकेगी परंतु उसे ऐसी सलाह देने वाले केजरीवाल को चौड़े में फसवा देना चाहते है क्योंकि जांच एजेंसियों के काम का आचार संहिता से कोई संबंध नहीं होता और यदि यह सोचता है कि फिर भी गिरफ्तार होने के बाद वो victim card खेल लेगा तो ये उसकी भूल है क्योंकि दोष तो अपने खिलाफ यह खुद सिद्ध कर रहा है बार बार ED के summons की अवहेलना करके और अदालतों में मामले को उलझा कर। अगर कुछ गलत नहीं किया तो उसको ED के सामने पेश होने में कोई डर नहीं होना चाहिए लेकिन उसे पता है जब उसके चेले चपाटे सिसोदिया और संजय सिंह को जमानत नहीं मिल पा रही तो केजरीवाल की भी लंबी जेल यात्रा निश्चित है।
फिर जेल जाते हुए केजरीवाल की पार्टी के लोग ही गीत गाएंगे - “चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना”
ध्रुव राठी के केस में शिकायतकर्ता एक बार फिर वही गलती कर रहा है जो केजरीवाल को माफ़ी देने को तैयार है। ये पूरी तरह उस केस में फंसा हुआ है और जैसे ही 2 साल की सजा होती है, केजरीवाल की राजनीति का the end हो लेगा। शिकायतकर्ता को पुनर्विचार करना चाहिए और इस जैसे मक्कार को माफ़ी नहीं देनी चाहिए।
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“चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना”
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