असदुद्दीन ओवैसी को दिल्ली में चुनाव लड़ने के लिए हिन्दू दंगों के आरोपी मिलने से स्पष्ट हो गया है कि AIMIM सिर्फ मुसलमानों के लिए है इसे न हिन्दुओं की चिंता और न ही संविधान की। अपने आपको बैरिस्टर कहने वाले को क्या कानून नहीं मालूम? पूछो इस बैरिस्टर से कि एक कातिल और हिन्दू विरोधी दंगे के आरोपी को टिकट क्यों दिया? जो भी, चाहे वह किसी भी धर्म या मजहब से ताल्लुक रखता हो, दिल्ली या दिल्ली से बाहर AIMIM को वोट देता है उसे दोगला कहने में कोई हिचक नहीं। तेलंगाना में भी केवल मुस्लिम इलाके या जहाँ मुसलमान आबादी हिन्दुओं से ज्यादा हो वहां से AIMIM अपना उम्मीदवार उतारती है। हिन्दुओं को बाटने के लिए दलित हितों की बात करता है। लेकिन मुसलमानों में हिन्दुओं से ज्यादा जातियां है और इतनी दुश्मनाई है कि एक दूसरे की मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ सकते, दूसरे के कब्रिस्तान में मुर्दा दफ़न नहीं कर सकते।
दिल्ली में फरवरी 2020 के हिंदू विरोधी दंगों के मामले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने अंतरिम जमानत माँगी है। ताहिर हुसैन अब एआईएमआईएम में शामिल हो चुका है, उसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद सीट से AIMIM ने टिकट दिया है। इसके बाद उसने चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत की याचिका दायर की है। ताहिर हुसैन ने याचिका में 14 जनवरी से 9 फरवरी 2024 तक का समय माँगा है, ताकि वो चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा ले सके।
याचिका पर सुनवाई पहले जस्टिस अमित शर्मा के सामने होनी थी, लेकिन उन्होंने खुद को मामले से अलग कर लिया। इसके बाद इसे जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की अदालत में भेजा गया, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। अब यह मामला 13 जनवरी को सुना जाएगा।
अरविंद केजरीवाल के मामले का दिया हवाला
ताहिर हुसैन की दलील है कि वह चार साल नौ महीने से जेल में हैं और अब तक मुकदमे में अभियोजन पक्ष के केवल 20 गवाहों की गवाही हुई है, जबकि कुल गवाहों की संख्या 114 है। उनका तर्क है कि मुकदमे के लंबा खिंचने के कारण उन्हें अंतरिम जमानत दी जाए ताकि वह चुनाव प्रचार कर सकें। हुसैन ने याचिका में यह भी कहा कि चुनाव प्रचार प्रक्रिया का हिस्सा बनना उनके लिए जरूरी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें AAP नेता अरविंद केजरीवाल को 2024 के लोकसभा चुनाव में हिस्सा लेने के लिए जमानत दी गई थी।
हुसैन पर दिल्ली दंगों के समय खुफिया ब्यूरो (IB) अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का आरोप है। 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान शर्मा का शव खजूरी खास नाले से बरामद हुआ था, जिनके शरीर पर 51 चोटों के निशान पाए गए थे। उनके पिता रविंदर कुमार ने पुलिस को बताया था कि उनका बेटा 25 फरवरी 2020 से लापता था। अगली सुबह उनका शव खजूरी खास नाले से बरामद हुआ। शर्मा के शरीर पर कई चोटों के निशान मिले, जो उनके साथ हुई क्रूरता को दर्शाते हैं। इस मामले के साथ ही हुसैन पर कई अन्य आरोप भी हैं।
जानकारि के मुताबिक, हुसैन ने अब तक अपने खिलाफ दर्ज 12 मामलों में से 8 में जमानत हासिल की है। हालाँकि, वह अभी भी 3 मामलों में हिरासत में हैं, जिनमें प्रवर्तन निदेशालय (ED) का एक मनी लॉन्ड्रिंग मामला और दिल्ली दंगों से संबंधित बड़ी साजिश का मामला शामिल है।
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