आम आदमी पार्टी झूठों, मक्कारों और घोटालेबाज़ों का गैंग है। अरविन्द केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आतिशी के मुख्यमंत्री बनने पर उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुख्यमंत्री कार्यालय में रखी CAG रिपोर्ट्स को विधानसभा में रखने के कहने के बावजूद टेबल नहीं कर दिल्ली वालों को गुमराह किया। आतिशी अच्छी तरह जानती है कि CAG रिपोर्ट्स को विधानसभा में रखते ही सरकार ही नहीं आम आदमी पार्टी की बड़ी तेजी के साथ उलटी गिनती शुरू हो जाएगी, कोई पार्टी को भी नहीं बचा पाएगा। आधी से ज्यादा पार्टी तिहाड़ में चली जाएगी।
इस चुनाव में अगर कांग्रेस आक्रामक हो केजरीवाल पर हमला करती है, केजरीवाल सरकार एक इतिहास ही नहीं बनेगी बल्कि कांग्रेस को ही नई जान मिलेगी। पंजाब में आप सरकार की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी वो कांग्रेस की दूसरी सबसे जीत होगी। पंजाब में सरकार गिरते ही केजरीवाल पार्टी इतिहास बन जाएगी, जिसे एक-दो चुनाव के बाद जनता भी भूल जाएगी बशर्ते न कांग्रेस और न बीजेपी इस पार्टी के किसी भी तथाकथित नेता को अपनी पार्टी में शामिल करे। दूसरे, अगर कांग्रेस 10 सीटें भी जीत जाती है केजरीवाल कम से कम 20/22 सीटों का नुकसान होगा। जो कांग्रेस की बहुत बड़ी जीत होगी। बीजेपी का भी 30 से 32 सीटें जीतने की संभावनाएं की जा रही है। लेकिन कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के किसी भी कीमत पर 2013 वाली भयंकर गलती कर केजरीवाल को समर्थन न दे, जो कांग्रेस के लिए आत्मघाती कदम होगा। अगर उस समय कांग्रेस ने समर्थन नहीं दिया होता एक विपक्ष के रूप में उभर कर आती।
दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, अरविंद केजरीवाल सरकार की इस शराब नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2026 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ। यह नीति नवंबर 2021 में लागू की गई थी और इसका उद्देश्य शराब की बिक्री के माध्यम से राजस्व बढ़ाना और व्यवस्था में सुधार लाना था। हालाँकि, रिपोर्ट में इसे भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और कमीशनखोरी से भरा बताया गया है। इस चक्कर में मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल समेत कई बड़े नेताओं को जेल की हवा भी खानी पड़ी थी, क्योंकि शराब घोटाले से जमा किए पैसों की मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला सामने आ गया था।
कथित तौर पर लीक हुई CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब की दुकानों के लाइसेंस जारी करने में नियमों का उल्लंघन किया गया। कई ऐसी कंपनियों को लाइसेंस दिए गए, जो घाटे में थीं या जिनके खिलाफ शिकायतें थीं। नियम तोड़ने वालों को सज़ा देने की बजाय उन्हें छूट दी गई। रिपोर्ट में कहा गया कि शराब नीति के कई अहम फैसले बिना कैबिनेट और उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए गए।
यही नहीं, दिल्ली शराब नीति घोटाले के दौरान एक्सपर्ट पैनल की सिफारिशों को नजरअंदाज कर मनमाने तरीके से फैसले लिए गए। लाइसेंसधारकों और थोक विक्रेताओं के बीच अनुचित समझौते हुए। सरकार ने कोविड-19 के नाम पर 144 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं थी।
CAG ने अपने विश्लेषण में बताया कि शराब नीति के तहत कई मोर्चों पर नुकसान हुआ। इसमें-
- लाइसेंस वापस लिए गए, लेकिन उन्हें दोबारा टेंडर नहीं किया गया, जिससे ₹890 करोड़ का नुकसान हुआ।
- ज़ोनल लाइसेंसधारकों को दी गई छूट से ₹941 करोड़ का घाटा हुआ।
- कोविड-19 के नाम पर ₹144 करोड़ की माफी ने राजस्व को और कमजोर किया।
- सुरक्षा जमा राशि सही से वसूलने में ₹27 करोड़ का नुकसान हुआ।
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