मोदी की विदाई करवाने वाले मार्क जुकरबर्ग लताड़ पड़ते ही META लगा गिड़गिड़ाने: कहा- अनजाने में हुई गलती के लिए माफ करें, भारत हमारे लिए महत्वपूर्ण देश

                           जुकरबर्ग के बयान पर मेटा ने माफी माँगी है (फोटो साभार: India TV)
2024 में भारत और अमेरिका में हुए चुनावों में मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के विरोधियों में कोई फर्क नहीं था, दोनों देशों में एक ही नारे थे। यानि जॉर्ज सोरोस और Deep State के हाथों बिकाऊ या कहा जाए भिखारी विपक्ष कठपुतली बन दोनों देशों की जनता को गुमराह करती रही। ट्रम्प के सत्ता संभालने से पहले ही भगदड़ शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही इन भारत विरोधी विपक्ष को "बटोगे तो कटोगे" नारा देगा चारों खाने चित करना शुरू कर दिया था। और योगी के इस नारे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "एक रहोगे तो safe रहोगे" कहकर चार चाँद लगा दिए। इन नारों को साम्प्रदायिक बताने वालों को जवाब देने का भारत में समय आ गया है। इन नारों को साम्प्रदायिक बताने वालों वोट के माध्यम से पूछना चाहिए कि ट्रम्प के सत्ता संभालने से पहले भगदड़ क्यों? 
फेसबुक और इंस्टाग्राम के स्वामित्व वाली कंपनी मेटा ने भारत से माफी माँगी है। मेटा ने अपने सीईओ मार्क जुकरबर्ग के बयान पर सार्वजनिक रूप से यह माफी माँगी है। मेटा ने कहा है कि भारत उसके लिए काफी महत्वपूर्ण है। मेटा की यह माफी उसे आईटी मामलों की संसदीय समिति द्वारा तलब किए जाने के ऐलान के बाद आई है।

मेटा की तरफ से उसके भारत के पब्लिक पॉलिसी के मुखिया शिवनाथ ठुकराल ने यह माफी एक्स (पहले ट्विटर) पर माँगी। उन्होंने अश्विनी वैष्णव के जुकरबर्ग की आलोचना वाले ट्वीट के नीचे इससे सम्बन्धित जवाब दिया है। उन्होंने मार्क जुकरबर्ग के बयान को लापरवाह और अनजाने में दिया गया बताया है।

शिवनाथ ठुकराल ने लिखा, “माननीय मंत्री अश्विनी वैष्णव जी, मार्क का यह कहना कि 2024 के चुनावों में कई मौजूदा पार्टियाँ दोबारा सरकार में नहीं लौटीं, कई देशों के संदर्भ में ठीक है लेकिन भारत के लिए नहीं। हम अनजाने और लापरवाही के चलते हुई इस गलती के लिए माफ़ी चाहते हैं। भारत मेटा के लिए महत्वपूर्ण है और हम इसके इनोवेटिव भविष्य के केंद्र में होने की आशा करते हैं।”

इससे पहले संचार और आईटी मामलों की स्थायी संसदीय समिति के मुखिया निशिकांत दुबे ने इस मामले में मंगलवार (14 जनवरी, 2025) को मेटा को तलब करने का ऐलान किया था। निशिकांत दुबे ने लिखा था, “मेरी कमिटी ग़लत जानकारी फ़ैलाने के लिए मेटा को बुलाएगी। किसी भी लोकतांत्रिक देश की ग़लत जानकारी उसकी छवि को धूमिल करती है। इस गलती के लिए भारतीय संसद से तथा यहाँ की जनता से उस संस्था को माफ़ी माँगनी पड़ेगी।”

इस मामले को लेकर आईटी मामलों के केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने एक ट्वीट में भारत में हुए चुनावों की कुछ जानकारी देते हुए जुकरबर्ग के बयान पर निराशा जताई थी। अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि मेटा के मुखिया का ही गलत जानकारी देते हुए देखना एकदम निराशाजनक है। 

मेटा मुखिया जुकरबर्ग हाल ही में जो रोगन के पॉडकास्ट में गए थे। उनका यह पॉडकास्ट 10 जनवरी, 2025 को रिलीज हुआ था। इस पॉडकास्ट के दौरान ही उन्होंने कंटेंट मॉडरेशन, सरकार पर भरोसा, COVID-19, एल्गोरिदम, सरकारी प्रभाव जैसे मुद्दों पर बात की थी। इसी बीच उन्होंने दावा किया था कि कोविड महामारी के बाद कई देशों की सरकारे गईं और इसी में भारत का उदाहरण दिया। जुकरबर्ग की गलत बयानी के ऊपर भारत में काफी आलोचना हुई थी।

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