सीरिया में हर तरफ कत्लेआम (फोटो साभार: DNA)
सीरिया (Syria) में पिछले दो दिनों से खून की नदियाँ बह रही हैं। सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों और नई सरकार के सुरक्षा बलों के बीच हुई भयंकर झड़पों में 1,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इसमें करीब 750 आम लोग शामिल हैं, जो इस हिंसा की चपेट में आ गए।
ब्रिटेन के मानवाधिकार संगठन ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ ने शनिवार (9 मार्च 2025) को ये चौंकाने वाला आँकड़ा जारी किया। संगठन का कहना है कि ये पिछले 14 साल से चल रहे सीरिया के गृहयुद्ध में सबसे खतरनाक घटनाओं में से एक है। इसमें 745 नागरिकों के अलावा 125 सरकारी सैनिक और असद के वफादार 148 लड़ाके भी मारे गए हैं। ये हिंसा गुरुवार (6 मार्च 2025) से शुरू हुई और अब तक थमने का नाम नहीं ले रही।
फिर से क्यों सुलग रहा है सीरिया
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये सब तब शुरू हुआ जब गुरुवार (6 मार्च 2025) को तटीय शहर जबलेह के पास सुरक्षा बल एक भगौड़े अपराधी को पकड़ने पहुँचे, लेकिन इस दौरान उन पर कथित तौर पर असद के समर्थकों ने घात लगाकर हमला कर दिया। इसके बाद हालात बेकाबू हो गए। नई सरकार का कहना है कि वो असद के बचे हुए लड़ाकों के हमलों का जवाब दे रही है, लेकिन शुक्रवार से ये झड़पें बदले की कार्रवाई में बदल गईं। सरकार से वफादार सुन्नी मुस्लिम हमलावरों ने असद के अलावी समुदाय के लोगों पर हमले शुरू कर दिए।
अलावी समुदाय लंबे वक्त से असद का समर्थन करता रहा है। इस हिंसा ने नई सरकार के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है, जो तीन महीने पहले ही असद को हटाकर सत्ता में आई थी।
बदले की आग में जल रहा सीरिया
शुक्रवार (7 मार्च 2025) को हालात तब और खराब हो गए, जब सुन्नी लड़ाकों ने अलावी गाँवों और कस्बों में घुसकर लोगों को निशाना बनाना शुरू किया। अलावी समुदाय के ज्यादातर पुरुषों को सड़कों पर या उनके घरों के बाहर ही गोली मार दी गई। कई जगहों पर घरों को लूटा गया और फिर आग के हवाले कर दिया गया। महिलाओं को नंगा करके सड़क पर घुमाया गया।
बनियास जैसे शहरों में हालात इतने खराब हैं कि सड़कों पर शव बिखरे पड़े हैं। वहाँ के लोगों का कहना है कि छतों पर भी लाशें पड़ी हैं, लेकिन उन्हें उठाने की इजाजत तक नहीं दी जा रही। बनियास से अपने परिवार के साथ भागे 57 साल के अली शेहा ने बताया कि उनके इलाके में कम से कम 20 लोग मारे गए। कुछ को उनकी दुकानों में, तो कुछ को घरों में गोली मारी गई।
अली ने कहा, “हालात बहुत डरावने थे। हमलावर हमारे अपार्टमेंट से सिर्फ 100 मीटर दूर थे और अंधाधुंध गोलियाँ चला रहे थे।” उन्होंने ये भी बताया कि हमलावर लोगों से उनकी आईडी माँगते थे, उनका मजहब और संप्रदाय चेक करते थे, फिर उन्हें मार देते थे। कई घरों को जलाया गया, गाड़ियाँ लूटी गईं और संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया। अली का कहना है कि ये हमले असद की सरकार के पुराने अपराधों का बदला लेने के लिए किए जा रहे हैं। कुछ लोगों ने ये भी कहा कि हमलावरों में विदेशी लड़ाके और आसपास के गाँवों से आए आतंकी शामिल थे।
लताकिया में बुनियादी सुविधाएँ ठप
इस हिंसा का असर सिर्फ जानमाल तक सीमित नहीं है। तटीय शहर लताकिया के बड़े इलाकों में बिजली और पानी की सप्लाई बंद हो गई है। कई बेकरी बंद हो चुकी हैं, जिससे लोगों को खाने-पीने की चीजों के लिए भी जूझना पड़ रहा है। लोग डर के मारे पहाड़ों की ओर भाग रहे हैं। बनियास के एक शख्स ने बताया कि उनके 5 पड़ोसियों को शुक्रवार को करीब से गोली मारी गई, लेकिन घंटों तक कोई उनके शवों को हटा नहीं सका। हमलावरों ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। साफ है कि ये हिंसा अब सिर्फ लड़ाई नहीं, बल्कि एक समुदाय के खिलाफ नफरत का रूप ले चुकी है।
हयात तहरीर अल-शाम के लिए मुसीबत
ये हिंसा उस गुट ‘हयात तहरीर अल-शाम’ (HTS) के लिए बड़ा झटका है, जिसने असद को हटाकर सत्ता हासिल की थी। HTS के नेतृत्व में विद्रोही समूहों ने दमिश्क पर कब्जा किया था, लेकिन अब उनके सामने अपने ही देश को संभालने की चुनौती है। अलावी समुदाय के खिलाफ ये हमले सीरिया में गहरी धार्मिक और जातीय दरार को दिखाते हैं। अगर ये हालात काबू में नहीं आए, तो ये हिंसा और खतरनाक रूप ले सकती है।
सीरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी ने रक्षा मंत्रालय के अधिकारी के हवाले से कहा कि सरकारी बलों ने ज्यादातर इलाकों पर फिर से कब्जा कर लिया है। तटीय इलाकों की ओर जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया गया है, ताकि और हिंसा न हो और धीरे-धीरे हालात सामान्य किए जा सकें। शनिवार (8 मार्च 2025) को तुवायम गाँव में 31 लोगों की सामूहिक कब्र बनाई गई, जिनमें 9 बच्चे और 4 महिलाएँ शामिल थीं। इन लोगों को शुक्रवार की हिंसा में मारा गया था। वहीं, उत्तर-पश्चिम के अल-जनौदिया गाँव में चार सैनिकों का अंतिम संस्कार हुआ, जो तटीय इलाकों में मारे गए थे।
लेबनान के सांसद हैदर नासर ने बताया कि लोग डर के मारे सीरिया से लेबनान की ओर भाग रहे हैं। कुछ लोग रूस के ह्मेमिम एयरबेस पर शरण ले रहे हैं। नासर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलावियों की सुरक्षा की माँग की। उनका कहना है कि असद के जाने के बाद कई अलावियों को नौकरी से निकाल दिया गया। यही नहीं, जिन सैनिकों ने नई सरकार से सुलह कर ली थी, उन्हें भी मार दिया गया। फ्रांस ने भी इस हिंसा पर गहरी चिंता जताई है। फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वो धार्मिक आधार पर नागरिकों और कैदियों के खिलाफ अत्याचारों की कड़ी निंदा करता है। फ्रांस ने सीरिया की अंतरिम सरकार से माँग की है कि इन अपराधों की निष्पक्ष जाँच हो।
ये हिंसा नई सरकार के लिए एक बड़ा इम्तिहान है। असद के शासन के दौरान अलावी समुदाय सेना और सुरक्षा एजेंसियों में बड़े पदों पर रहा था। अब नई सरकार का कहना है कि असद के समर्थक पिछले कुछ हफ्तों से उनके सैनिकों पर हमले कर रहे हैं। लेकिन जिस तरह ये हिंसा बदले की भावना में बदल गई है, उससे साफ है कि सीरिया में शांति अभी दूर की बात है।
No comments:
Post a Comment