‘अब्दुल’ ने कहा कुरान जला दिया, सारे ‘अब्दुल’ नागपुर जलाने निकल पड़े: ‘अफवाह’ की आड़ में प्लानिंग के साथ फूँक दी 40+ गाड़ियाँ; उपद्रवियों को सरकारी सुविधाएं से ब्लैकलिस्ट किया जाए

                                                   नागपुर में हिंसा (फोटो साभार: X_ANI)
जब तक केंद्र और राज्य सरकारें इन उपद्रवियों को ब्लैकलिस्ट कर इन्हे और इनके परिवारों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं से वंचित नहीं करती ये जेहादी किसी न किसी बहाने उपद्रव करते रहेंगे। अगर निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट संविधान की आड़ लेकर बहाल करने के लिए कहे उस स्थिति में सख्त लब्जों को अदालतों को सरकार को अदालत से पूछना होगा कि कुछ रूपए के लालच में आकर उपद्रव करना कौन से संविधान में लिखा है। अपने जिन आकाओं के कहने पर उपद्रव किया है इनकी देखभाल करना उनका काम है सरकार का काम है। किसी भी सूरत में इन्हे ब्लैकलिस्ट सूची से नहीं निकाला जाएगा। जब तक केंद्र और राज्य सरकारें इस तरह सख्त नहीं होंगी ये बिकाऊ उपद्रवी उपद्रव करते रहेंगे।   

नागपुर में 17 मार्च 2025 की शाम हुई हिंसा को ‘अफवाह’ का नतीजा बताया जा रहा है। लेकिन जिस तरीके से इसे अंजाम दिया गया उससे लगता है सब कुछ पूरी प्लानिंग के साथ हुआ। औरंगजेब की कब्र पर गरम माहौल में किसी ‘अब्दुल’ ने शोर मचाया कि कुरान जला दी गई है। फिर सारे अब्दुल एक साथ निकल पड़े शहर को जलाने।

गाड़ियाँ फूँकी गई। पत्थरबाजी हुई। पुलिस पर हमले हुए। हालात पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा है। ये मुस्लिम भीड़ की हिंसा का वही ‘मॉडल’ है जो आपको कभी भी किसी भी शहर में देखने को मिल सकता है। क्योंकि इस मॉडल में हिंसा ही सत्य है, कथित अफवाह की पुष्टि करने की फुर्सत किसी को नहीं है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार की सुबह 7 से 9 बजे के बीच नागपुर के महाल इलाके में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के पास शिव जयंती का कार्यक्रम चल रहा था। लोग आए, नारे लगे, सब शांत था। दोपहर 12 बजे के आसपास विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता औरंगजेब की कब्र को हटाने की माँग लेकर सड़क पर उतरे। उन्होंने औरंगजेब का पुतला बनाया, उस पर कपड़ा डालकर उसे जला दिया। ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। इसके बाद अफवाह उड़ाई गई कि चादर पर कुरान की आयतें लिखी थीं और उसे जलाया गया। पुलिस ने बताया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ, फिर भी हिंसा को अंजाम दिया गया।

इस प्रदर्शन के बाद शाम 5 बजे तक माहौल गरमाने लगा। नागपुर के महाल, कोतवाली, गणेशपेठ और चितनवीस पार्क जैसे इलाकों में मुस्लिम युवकों की भीड़ जमा होने लगी। मुस्लिमों की भीड़ सड़कों पर निकल आई। शाम 7 बजने तक तक नारेबाजी शुरू हो गई और थोड़ी देर में सैकड़ों की संख्या में लोग सड़क पर थे।

भीड़ में ज्यादातर नकाबपोश थे, जिनके हाथों में लाठियाँ, पत्थर, बोतलें और कुछ के पास तो पेट्रोल बम भी थे। शाम 7:30 बजे के बाद इस हिंसा ने रफ्तार पकड़ ली। चितनवीस पार्क से लेकर शुक्रवारी तालाब रोड तक उपद्रवियों ने 40 से ज्यादा गाड़ियाँ जला दीं। कारें, बाइक यहाँ तक कि एक क्रेन को भी आग के हवाले कर दिया गया। इस दौरान मुस्लिमों की भीड़ ने दुकानों में तोड़फोड़ की और घरों पर पथराव किया।

डीसीपी निकेतन कदम पर कुल्हाड़ी से हमला, 15 पुलिस वाले घायल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने हालात काबू करने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने उन पर भी पत्थर बरसाए। पहले लाठीचार्ज हुआ, फिर आँसू गैस के गोले छोड़े गए, लेकिन हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही थी। इस बीच डीसीपी निकेतन कदम पर भी हमला हुआ। भीड़ में से किसी ने उन पर कुल्हाड़ी से वार किया, जिससे उनके हाथ में गहरी चोट लगी। उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया। कुल मिलाकर 15 से ज्यादा पुलिसवाले घायल हुए, जिनमें कुछ की हालत गंभीर थी। इसके अलावा 5-6 आम लोग भी चोटिल हुए।
एक स्थानीय महिला ने बताया, “अचानक भीड़ हमारे इलाके में घुस आई। उनके चेहरेढके थे, हाथों में पत्थर और हथियार थे। वो चिल्ला रहे थे, पत्थर फेंक रहे थे। दुकानों को तोड़ा, गाड़ियों में आग लगाई। सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि समझ ही नहीं आया। हमारे घर की खिड़कियाँ टूट गईं। गाड़ियों को फोड़कर उनमें आग लगाई गई।” महिला का बयान साफ बताता है कि हिंसा में ज्यादातर बाहरी नकाबपोश शामिल थे, जिन्होंने प्लानिंग करके हमला किया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस तांडव में 40 से ज्यादा गाड़ियाँ जलकर खाक हो गईं। इसमें कारें, बाइक, दो जेसीबी मशीनें और कुछ अन्य वाहन शामिल थे। कई घरों और दुकानों को निशाना बनाया गया। पत्थरबाजी में खिड़कियाँ टूटीं, संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। अग्निशमन कर्मियों ने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन उन पर भी हमला हुआ। एक फायरमैन घायल हो गया। कुल 4 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए, जिनका इलाज चल रहा है।

अब तक 50 से ज्यादा गिरफ्तार, हिंसा करने वालों की हो रही पहचान

पुलिस ने हालात संभालने के लिए अतिरिक्त फोर्स बुलाई। रात तक हंसपुरी इलाके में भी उपद्रव की खबरें आईं, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति काबू में आई। अब तक 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सीसीटीवी फुटेज और वीडियो क्लिप्स की मदद से पत्थरबाजों और आग लगाने वालों की पहचान की गई।
नागपुर और महाराष्ट्र की साइबर पुलिस टीम ने 100 से ज्यादा सोशल मीडिया अकाउंट्स की जाँच शुरू कर दी है, क्योंकि अफवाह इन्हीं के जरिए फैली थी। इस बीच, नागपुर शहर के 10 पुलिस थाना इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
हिंसा बढ़ने के बाद इंटरनेट सेवा भी कुछ घंटों के लिए बंद कर दी गई, ताकि अफवाहें और न फैलें। देर रात हालात सामान्य होने पर इसे बहाल कर दिया गया। लेकिन शहर में अभी भी तनाव का माहौल है। लोग डरे हुए हैं, सड़कें सूनी हैं और पुलिस हर गली-नाके पर नजर रख रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये हिंसा अचानक नहीं हुई। भीड़ में ज्यादातर बाहरी लोग थे, जो प्लानिंग के साथ आए। एक शख्स ने कहा, “हमारे इलाके में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। ये लोग बाहर से आए, उनके पास पेट्रोल बम थे। 8 गाड़ियाँ तोड़ीं, 2 में आग लगा दी।” सीएम देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी ने शांति की अपील की है। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि स्थिति अब काबू में है, लेकिन सतर्कता बरती जा रही है।

 

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