तब्लीगी जमात ने डॉक्टर शाहीन को विस्फोटक खरीदने के लिए दिया था जकात का पैसा; 25-30 जमातियों के फोन हुए ऑफ

                                       तब्लीगी जमात और जिहादी डॉक्टर शाहीन (साभार-mint)
दिल्ली ब्लास्ट की जाँच में कितने गद्दार और कट्टरपंथी संस्थाएं आएंगी कह पाना बहुत मुश्किल है। दरअसल, दशकों से चल रहे गद्दारों और उनके समर्थकों का भांडा फूटना अब शुरू हुआ है। वैसे गद्दारों को पकड़ने का शंखनाद 1965 में हुए इंडो-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कर दिया था। देश का दुर्भाग्य, ताशकंत से उनका मृतक शरीर आया। अन्यथा देश की स्थिति वह नहीं होती जो आज है। दूसरे, यह भी शंका व्यक्त की गयी थी कि गद्दारों पर प्रहार करना ही उनकी अकाल मृत्यु का कारण हो। 
खैर, 2024 चुनावों के दौरान चर्चा थी कि मोदी सरकार के तीसरी बार बनने पर वक़्फ़ बोर्ड, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमात जैसी कट्टरपंथी संस्थाओं को बंद कर देना चाहिए। समय बहुत बलवान होता है, वक़्फ़ बोर्ड पर तो काम चल ही रहा अब दिल्ली ब्लास्ट में पकडे जाने वाले आतंकवादियों के तार कट्टरपंथियों से जुड़ने के साफ सबूत आ रहे हैं। जो मुसलमान जकात के नाम पर धन लुटाते हैं वह धन गरीब और जरूरतमंद मुसलमानों की मदद करने की बजाए देश में दंगे और आतंकवाद को बढ़ावा और पकडे जाने पर दंगाइयों और आतंकवादियों की वकालत करने वाले वकीलों पर खर्च हो रही है। मजे की बात यह है कि वकील भी हिन्दू को ही खरीदते हैं। ताकि  दंगाई और आतंकवादी को जमानत या फिर रिहाई मिलने पर कहे "भाई मुक़दमा लड़ने वाले हिन्दू वकील थे। जितनी फ़ीस बोली दे दी।"       

जिहादी डॉक्टरों के आतंकी मॉड्यूल की अहम किरदार शाहीन का तबलीगी जमात से कनेक्शन सामने आने पर खुफिया विभाग अलर्ट हो गया है। खुलासा हुआ है कि फरीदाबाद से गिरफ्तार महिला डॉक्टर शाहीन को तब्लीगी जमात से टेरर फंडिंग की जाती थी। इसके बाद जमात आने जाने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

इसके अलावा, जमात को हर आने जाने वाले व्यक्ति का नाम, पता, मोबाइल नंबर और फोटो खुफिया विभाग और एटीएस को सौंपने के लिए कहा गया है। कोरोना काल से पहले भी इस तरह की कवायद की जाती थी, लेकिन बीच में ढील बरती जा रही थी।

दिल्ली कार विस्फोट के जिहादी डॉक्टर उमर, मुफ्ती इरफान, डॉक्टर शाहीन और दूसरे लोगों का कनेक्शन जमात से जुड़ गया है। जानकारी के मुताबिक, फरीदाबाद में मिला विस्फोटक भी इन्ही पैसों से खरीदा गया था। टेरर फंडिंग से ही आतंकी विदेश जाते थे और जरूरी सामान खरीदते थे। इस रकम का एक बड़ा हिस्सा आतंकियों को तैयार करने में खर्च होता था।

जिहादी महिला डॉक्टर शाहीन के 7 खातों में पिछले 7 साल में 1.55 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ। इनमें 2014 में 9 लाख, 2015 में 6 लाख, 2016 में 11 लाख और 2017 में 19 लाख का ट्रांजेक्शन हुआ। अब ये पैसे किसने भेजे और किसे दिए गए, इसका पता खुफिया एजेंसियाँ लगा रही है।

आतंकी मॉड्यूल का खुलासा होने के बाद 25- 30 मोबाइल नंबर ऐसे मिले हैं, जो स्विच ऑफ हैं। खुफिया एजेंसियाँ ऐसे डेटा खँगाल रही हैं, जो जमात और आतंकियों को जोड़ रहा था।

दिल्ली, श्रीनगर, पहलगाम, पठानकोट, सहारनपुर, हापुड़, मुरादाबाद, बिजनौर से लेकर दुबई, ओमान तक के तार जुड़ रहे हैं। यहाँ आतंकी गुपचुप तरीके से बैठकें करते थे।

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खुफिया एजेंसियों को कई ऐसे संस्थानों का पता चला है, जो मुस्लिम देशों में हैं। इनकी खातों को अब खंगाला जा रहा है। एजेंसियों को इसकी रिपोर्ट जल्द मिलने की संभावना है। 

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