सरकार ने कहा कि पहले दिन योजना को ‘‘जबर्दस्त प्रतिक्रिया ’’ मिली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद इस योजना के घटनाक्रमों की निगरानी कर रहे थे और हर घंटे आकड़े को देख रहे थे। दिल्लीवासियों को ड्राइविंग लाइसेंस और विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र सहित 40 सरकारी सेवाओं की आपूर्ति उनके घरों तक करने के लिए केजरीवाल ने सितम्बर 10 की सुबह कार्यक्रम की शुरूआत की थी।
दिल्लीवासी फोन नंबर 1076 पर कॉल कर घर तक सेवा की आपूर्ति के लिए अनुरोध कर सकते हैं। इसकी आपूर्ति सुबह आठ बजे से रात के 10 बजे तक होगी। हालांकि, सेवाओं की आपूर्ति के लिए बनाया गया कॉल सेंटर चौबीसों घंटे काम करेगा।
"आपकी सरकार, आपके द्वार"
AAP सरकार भिन्न-भिन्न सर्विसेज लाई है आपके द्वार, बहुत हुआ लाइनों में धक्के खाना अब एक फोन मिलाना और सभी सरकारी सुविधाएं अपने द्वार पर पाना।#केजरीवाल_सरकार_आपके_द्वार
डोरस्टेप योजना, दलाल डोरस्टेप साबित होगी, पहले ही दिन रियलटी चेक में फेल !
बीजेपी ने DOORSTEP योजना को बताया दलाल स्टेप योजना। दिल्ली बीजेपी की रियलटी चेक में ये योजना असफल साबित। केजरीवाल दिल्ली की जनता को गुमराह करने की एक चेष्ठा कर रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल की योजना में इन DOORSTEP दलालों की आवश्यकता क्यों ?योजना की घोषणा के कुछ देर बाद ही दिल्ली बीजेपी की रियलटी चेक में ये योजना असफल साबित हुई।हेल्पलाइन नम्बर 1076 पर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मीडिया के सामने ही फोन लगाया तो कॉल नहीं लगा।
मनोज तिवारी ने DOORSTEP योजना को फेल बताते हुए कहा कि यह योजना दिल्ली की जनता को गुमराह करने की एक चेष्ठा है। दिल्ली या देश में न जाने कितनी नागरिक सेवायें बहुत समय से ऑन लाइन व्यवस्था के अंतर्गत हैं पर केजरीवाल ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं मानो वह कोई ऐसी योजना लाये हैं जो विश्व के लिए कोई नई योजना है।
उन्होने सवाल उठाते हुए कहा कि ‘हम मुख्यमंत्री से पूछते हैं कि यदि नगर निगम जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र से लेकर भवन का नक्शा पास करने तक का काम ऑन लाइन व्यवस्था लागू कर आवेदन के साथ-साथ विभागीय स्वीकृति पत्र देना भी ऑन लाइन कर सकते हैं तो अरविन्द केजरीवाल की योजना में इन DOORSTEP दलालों की आवश्यकता क्यों ?
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की गुमराह करने की राजनीति यहीं खत्म नहीं होती वह दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों के निवासियों, सफाई मजदूरों को ही नहीं दिल्ली के नगर निगमों के नेतृत्व को भी गुमराह करने में महारत रखते हैं। नगर निगमों की बिगड़ी आर्थिक स्थिति के कारण अनेक निगम सेवायें प्रभावित तो होती ही हैं पर सबसे दुखद परिणाम है कि दिल्ली की सेवा में लगे निगम के सफाई कर्मचारियों, स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों, शिक्षकों से लेकर अधिकारियों तक को वेतन समय पर नहीं मिलता।
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