आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
अक्सर अपने इस ब्लॉग पर प्रकाशित लेखों में लिखता रहता हूँ कि "आज भारत में राजनीति एक व्यापार बन चुकी है, सेवा भाव के नाम पर जनता को मूर्ख और पागल बनाया बनाकर अपनी तिजोरियाँ भरने में तल्लीन रहते हैं।" जिसका सबसे बड़ा प्रमाण उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से अलग हुए शिवपाल यादव द्वारा अपनी रोजी-रोटी की खातिर कोई व्यापार या नौकरी नहीं ढूंढी, विपरीत इसके बना ली एक नयी पार्टी। यानि जिसे "दान का खाना" मुँह लगा हो, मेहनत करने की क्या जरुरत। राजनीतिक पार्टियों को जो चंदा आता है, वह "दान" शब्द का पर्यायवाची शब्द है। शिवपाल ने अपनी पार्टी का नाम रखा है "प्रगतिशील समाजवादी पार्टी" अब यह भविष्य के गर्भ में छिपा है कि प्रगति किसकी होगी, जनजीवन की या अपने पारिवारिक समाज की?
जो जनसेवा आज से तीन दशक पूर्व थी, वही जनसेवा आज व्यापार बन चुकी है। जितनी सुख-सुविधाएँ इन तथाकथित जनसेवकों को मिल रही हैं, तीन दशक पूर्व तक नहीं किसी जनसेवक को नहीं ,मिलती थीं। व्यापारी रोता है व्यापार नहीं, आम आदमी रोता है महंगाई में रोटी खानी मुश्किल हो रही है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता बन अपनी पार्टी को दान दे रहे हैं। नेहरू-गाँधी परिवार को राजनीति में सक्रिय होने पर सब सियापा करते नज़र आते हैं, लेकिन मुलायम सिंह का लगभग सारा ही कुनबा राजनीति के अखाड़े में है, कोई नहीं बोलता, क्यों?
समाजवादी पार्टी से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव ने नई राजनीतिक पार्टी का गठन कर लिया है। उनकी इस पार्टी का नाम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का रजिस्ट्रेशन चुनाव आयोग में भी करा दिया गया है। शिवपाल यादव के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनावों में उनकी यह पार्टी प्रत्येक सीट पर चुनाव लड़ेगी. हर सीट पर पार्टी उम्मीदवार उतारेगी.
शिवपाल सिंह यादव ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के लिए चुनाव आयोग से कार, मोटरसाइकिल या चक्र के चुनाव चिह्न की मांग की है. शिवपाल का दावा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे. ये सभी प्रत्याशी पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे.
समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के संस्थापक और अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने गुरुवार को मेरठ में दावा किया था कि उन्होंने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को अपने मोर्चा से 2019 का चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने यह दावा भी किया कि पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम का आशीर्वाद उन्हें मिला है.
प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने यहां एक स्वागत कार्यक्रम में कहा कि महागठबंधन की बैठक में मुझे नहीं बुलाया गया. उसके बाद जितने भी समान विचारधारा के दल हैं, और वे छोटे-छोटे 40 दल जिन्हें कोई नहीं पूछ रहा है, उन सभी को एकजुट कर संगठन बनाया है. वे सभी हमारे साथ जुड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव सबकुछ तय कर देंगे.
पूर्व सपा नेता ने कहा कि जल्द ही समाजवादी सेक्युलर मोर्चा की कमेटियों का गठन होने जा रहा है. सभी शहरों में भ्रमण कर कमेटियों के पदाधिकारियों को नाम तय कर उन्हें लोकसभा चुनाव का काम सौंपा जाएगा. मोर्चा से कितनी सीटों पर प्रत्याशी उतारने हैं, यह बात पूर्व मंत्री ने नहीं बताई, मगर उन्होंने कहा कि मजबूती से मोर्चा के प्रत्याशी चुनाव लड़कर जीत तय करेंगे.
अक्सर अपने इस ब्लॉग पर प्रकाशित लेखों में लिखता रहता हूँ कि "आज भारत में राजनीति एक व्यापार बन चुकी है, सेवा भाव के नाम पर जनता को मूर्ख और पागल बनाया बनाकर अपनी तिजोरियाँ भरने में तल्लीन रहते हैं।" जिसका सबसे बड़ा प्रमाण उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से अलग हुए शिवपाल यादव द्वारा अपनी रोजी-रोटी की खातिर कोई व्यापार या नौकरी नहीं ढूंढी, विपरीत इसके बना ली एक नयी पार्टी। यानि जिसे "दान का खाना" मुँह लगा हो, मेहनत करने की क्या जरुरत। राजनीतिक पार्टियों को जो चंदा आता है, वह "दान" शब्द का पर्यायवाची शब्द है। शिवपाल ने अपनी पार्टी का नाम रखा है "प्रगतिशील समाजवादी पार्टी" अब यह भविष्य के गर्भ में छिपा है कि प्रगति किसकी होगी, जनजीवन की या अपने पारिवारिक समाज की?
जो जनसेवा आज से तीन दशक पूर्व थी, वही जनसेवा आज व्यापार बन चुकी है। जितनी सुख-सुविधाएँ इन तथाकथित जनसेवकों को मिल रही हैं, तीन दशक पूर्व तक नहीं किसी जनसेवक को नहीं ,मिलती थीं। व्यापारी रोता है व्यापार नहीं, आम आदमी रोता है महंगाई में रोटी खानी मुश्किल हो रही है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता बन अपनी पार्टी को दान दे रहे हैं। नेहरू-गाँधी परिवार को राजनीति में सक्रिय होने पर सब सियापा करते नज़र आते हैं, लेकिन मुलायम सिंह का लगभग सारा ही कुनबा राजनीति के अखाड़े में है, कोई नहीं बोलता, क्यों?
समाजवादी पार्टी से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव ने नई राजनीतिक पार्टी का गठन कर लिया है। उनकी इस पार्टी का नाम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का रजिस्ट्रेशन चुनाव आयोग में भी करा दिया गया है। शिवपाल यादव के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनावों में उनकी यह पार्टी प्रत्येक सीट पर चुनाव लड़ेगी. हर सीट पर पार्टी उम्मीदवार उतारेगी.
शिवपाल सिंह यादव ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के लिए चुनाव आयोग से कार, मोटरसाइकिल या चक्र के चुनाव चिह्न की मांग की है. शिवपाल का दावा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे. ये सभी प्रत्याशी पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे.
प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने यहां एक स्वागत कार्यक्रम में कहा कि महागठबंधन की बैठक में मुझे नहीं बुलाया गया. उसके बाद जितने भी समान विचारधारा के दल हैं, और वे छोटे-छोटे 40 दल जिन्हें कोई नहीं पूछ रहा है, उन सभी को एकजुट कर संगठन बनाया है. वे सभी हमारे साथ जुड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव सबकुछ तय कर देंगे.
पूर्व सपा नेता ने कहा कि जल्द ही समाजवादी सेक्युलर मोर्चा की कमेटियों का गठन होने जा रहा है. सभी शहरों में भ्रमण कर कमेटियों के पदाधिकारियों को नाम तय कर उन्हें लोकसभा चुनाव का काम सौंपा जाएगा. मोर्चा से कितनी सीटों पर प्रत्याशी उतारने हैं, यह बात पूर्व मंत्री ने नहीं बताई, मगर उन्होंने कहा कि मजबूती से मोर्चा के प्रत्याशी चुनाव लड़कर जीत तय करेंगे.
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