राजस्थान में 197 में से 141 विधायक करोड़पति, अधिकांश अल्‍पशिक्षित

Image result for राजस्थान में करोड़पति विधायकराजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी उठापटक तेज होती जा रही है। इस बीच राज्य विधानसभा का अब तक का इतिहास देखें तो सदन में दागियों की तादाद में बढ़ोतरी के साथ ही करोड़पति विधायकों की संख्या में भी कुछ सालों से खासा इजाफा हुआ है। अगर किसी चीज में बढ़ोतरी नहीं हुई है तो वह है विधायकों की शैक्षणिक योग्यता।
प्रदेश में पिछले कुछ सालों में हुए राजनीतिक बदलावों के बीच जहां बागियों और दागियों की संख्या में इजाफा हुआ है, वहीं कई ऐसे विधायकों की तादाद भी बेतहाशा बढ़ी है, जो संपत्ति के लिहाज से अच्छे-खासे रईस हैं। 2008 में विधायकों की औसत संपत्ति दो करोड़ आठ लाख 56 हजार 474 रुपये थी, जो कि 2013 में बढ़कर पांच करोड़ 81 लाख 44 हजार 654 रुपये हो गई।
Image result for राजस्थान में करोड़पति विधायक
वर्तमान में प्रदेश के 141 विधायक ऐसे हैं, जो करोड़पति हैं। इन विधायकों की संपति लाखों में नहीं करोड़ों में है। विधायकों द्वारा दिए गए अपनी संपति के ब्यौरे और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिर्फोंस (एडीआर) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा के 157 विधायकों में से 115 विधायक करोड़पति हैं।
Related imageकांग्रेस के 25 में से 16, सात निर्दलियों में चार, राजपा के चारों, जमींदारा पार्टी के दो में से एक और बसपा के दो में से एक विधायक करोड़पति है। इस हिसाब से कुल 197 में से 141 विधायकों के नाम करोड़पतियों की श्रेणी में हैं।
कौन-कितना पढ़ा लिखा
आंकड़ों के अनुसार 200 में से छह विधायक साक्षर हैं, जबकि आठ 5वीं कक्षा पास। 14 विधायक 8वीं पास, 19 विधायक 10वीं कक्षा पास, 24 विधायक 12वीं कक्षा पास, 42 विधायक ग्रेजुएट, 35 विधायक ग्रेजुएट , 40 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट, छह विधायक डॉक्ट्रेट, चार विधायक अन्य और एक विधायक द्वारा अपनी शैक्षणिक योग्यता का ब्योरा नहीं दिया जाना बताया गया है।
जिंदल सबसे अमीर विधायक
आंकडों के मुताबिक जमींदारा पार्टी की विधायक कामिनी जिंदल सबसे अधिक पैसे वाली विधायक हैं। इनकी संपति 198 करोड़ 42 लाख 60 हजार 802 रुपये है। दूसरे नंबर पर कांग्रेस विधायक विश्वेन्द्र सिह हैं, जिनकी संपति 118 करोड़ 96 लाख 54 हजार 123 रुपये है। तीसरे नंबर पर भाजपा के प्रेमसिंह बाजौर हैं।
बाजौर की संपति 87 करोड़ 70 लाख 22 हजार 406 रुपये है। चौथे नंबर पर भाजपा के ही गोपाल कृष्ण व्यास हैं। व्यास की संपति 27 करोड़ 88 लाख सात हजार 215 रुपये है । संपति के मामले में पांचवें नंबर पर कांग्रेस के राजेन्द्र यादव हैं, जिनकी संपति 27 करोड़ 39 लाख तीन हजार 326 रुपये है।
अवलोकन करें:--· 

About this website
NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कोई प्रत्याशी अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों पर पर्दा नहीं डाल पाएगा। सुप्र...

About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों पर सात दिसंबर को मतदान होंगे. इसको लेकर मुख्यमंत्री वसु.....

About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
आपको अगर बैंक में कोई भी ट्रांजैक्शन करनी हो या कोई लोन लेना हो तो आपसे बार-बार परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) डिटेल मांगी ....

दागी विधायकों में भी इजाफा, 46 से बढ़कर हुए 72 फीसदी 
आंकड़ों के मुताबिक, दागी विधायकों की संख्या 2008 की तुलना में 2013 में 26 प्रतिशत तक बढ़ी है। 2008 में आपराधिक रिकॉर्ड वाले 46 प्रतिशत थे, जो बढ़कर वर्तमान में 72 प्रतिशत हो गए । भाजपा के 25 विधायकों पर मामले दर्ज थे, जिनमें 16 गंभीर आपराधिक मामले थे। कांग्रेस के छह विधायकों पर मामले दर्ज थे। सात निर्दलीय विधायको में से दो के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
Image result for वसुंधरा राजेराजे सरकार में सभी मन्त्रियों ने संपत्ति सार्वजनिक नहीं करके 
उड़ाया मोदी का मजाक 
राजस्थान की मौजूदा भाजपा सरकार के, कुछ मन्त्रियों को छोड़, एक भी मंत्री ने पांच वर्ष के अपने कार्यकाल में अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया, जबकि केन्द्र सरकार के नियम के अनुसार सरकार के हर मंत्री को प्रतिवर्ष अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना होता है।
केन्द्र में यूपीए सरकार के समय वर्ष 2010 में एक नियम बनाया गया था, जिसके तहत सभी केन्द्रीय व राज्य सरकारों के मंत्रियों को हर वर्ष 31 अगस्त तक अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना होता है। राजस्थान की पिछली कांग्रेस सरकार ने इस नियम का पूरी तरह पालन किया और हर वर्ष मंत्रियों और मुख्यमंत्री की सम्पत्ति सार्वजनिक की गई। इसके लिए राजस्थान सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर अलग से लिंक दिया गया था। इस पर हर वर्ष मंत्रियों और उनके जीवनसाथी की सम्पत्ति और आयकर रिटर्न का ब्यौरा होता था, लेकिन मौजूदा सरकार ने इस नियम का पालन एक बार भी नहीं किया।
मंत्रियों ने या तो सम्पत्ति की जानकारी ही नहीं भेजी, भेजी तो पूरी नहीं भेजी और सरकार ने इसे कभी सार्वजनिक नहीं किया। सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर सम्पत्तियों वाले लिंक तो मौजूद है, लेकिन इस पर आज भी पूर्व मंत्रियो की सम्मपत्ति का ब्यौरा ही है और इसका शीर्षक संशोधित कर पूर्व मंत्रियों की सम्पत्ति के ब्यौरा कर दिया गया है।
नियमानुसार सम्पत्ति का ब्यौरा लेने के लिए कैबिनेट सचिवालय को भी मंत्रियों को बार बार स्मरण पत्र भेजने पडे। कैबिनेट सचिवालय के रिकॉर्ड के अनुसार अब तक 13 कैबिनेट मंत्री, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों और 6 राज्यमंत्रियों ने सरकार के रिमांइडर के बाद एक या दो बार सम्पत्ति का ब्यौरा भेजा, लेकिन पूरे पांच वर्ष तक किसी भी मंत्री ने जानकारी नहीं भेजी। वहीं तीन केबिनेट और एक राज्यमंत्री तो ऐसे रहे, जिन्होंने एक बार भी सम्पत्ति की जानकारी सरकार को नहीं भेजी।
यह देनी होती है जानकारी 
*मंत्री को अपने और अपने जीवनसथी की परिसम्पत्तियों, देयताओं और व्यापारिक हितों की जानकारी देनी होती है।
*इस ब्यौरे में सभी अचल सम्पत्ति, शेयर-डिबेंचर, नकदी, आभूषण की कुल अनुमानित कीमत बतानी होती है।
*मंत्री बनने के बाद उसे और उसकी पत्नी को व्यापार और कार्यों के प्रबंधन-स्वामित्व छोडने की जानकारी शामिल होती है।
अब चुनाव में देना पडेगा ब्यौरा
सरकार के ये मंत्री पांच साल तक किसी तरह बचे रहे, लेकिन अब चुनाव लड़ने के लिए इन्हें अपनी और पूरे परिवार की सम्पत्ति का ब्यौरा देना पडेगा। यह जनकारी नामांकन पत्र के साथ ही देनी पड़ेगी। तभी सामने आ पाएगा कि पांच वर्ष में मंत्रियों की सम्पत्ति कितनी बढ़ी या कम हुई।
इन्होंने दिया ब्यौरा 
गुलाब चंद कटारिया 
राजेन्द्र सिंह राठौड़
कालीचरण सराफ
प्रभु लाल सैनी 
यूनुस खान 
गजेन्द्र सिंह खींवसर
डॉ रामप्रताप 
गजेन्द्र सिंह खींवसर
बाबू लाल वर्मा 
हेमसिंह भड़ाना
अरूण चतुर्वेदी
जसवंत सिंह यादव 
श्रीचंद कृपलानी
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
वासुदेव देवनानी 
कृष्णेन्द्र कौर दीपा
अनीता भदेल 
राजकुमार रिणवा
सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी
राज्य मन्त्री 
पुष्पेन्द्र सिंह 
ओटाराम देवासी
बंसीधर 
धनसिंह रावत
सुशील कटारा 
कमसा मेघवाल

No comments: