आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
एक शेर है:
दिल के फफोले जल उठे,
सीने की आग से,
इस घर को आग लग गयी,
घर के चिराग से।।
यह चरितार्थ सिद्ध हो रहा है अखिलेश यादव पर, जिसने मुख्यमन्त्री बनने के नशे में धुत होकर अपने ही पिता मुलायम सिंह को पार्टी से अलग कर दिया। यह मुलायम सिंह का ही साहस था कि स्वयं मुख्यमंत्री बनने की बजाए अपने अहंकारी पुत्र को राज की गद्दी सौंप दी। उसका परिणाम यह हुआ कि चाचा शिवपाल ने भी अलग पार्टी बनाकर भतीजे को मात देने मैदान में कमर कस ली है। यानि हबीब पेन्टर की कव्वाली "जब खून ही दुश्मन बने, फिर दोष किसे दीजियेगा....." सटीक बैठ रही है। देखा जाए तो मुलायम सिंह परिवार में ग्रहचाल ठीक नहीं चल रही। कभी साधना गुप्ता(यादव) कारण बनती है तो कभी अखिलेश और अब शिवपाल सिंह यादव।
अवलोकन करें:--
अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया चेहरा एंट्री कर रहा है। दरअसल, नवाबगंज नगर पालिका की अध्यक्ष और बसपा नेता शहला ताहिर बसपा छोड़ कर शिवपाल की पार्टी में शामिल होने का एलान कर दिया है। शाहिला के साथ ही उनके तमाम समर्थक भी समाजवादी सेक्युलर मोर्चा में शामिल हो रहे हैं।
शहला ताहिर जल्द ही शिवपाल यादव से मुलाकात करेंगी। पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक नवाबगंज नगर पालिका की अध्यक्ष शहला ताहिर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी बेटी समन ताहिर को चुनाव मैदान में उतारेंगी।अगर शिवपाल यादव चुनाव लड़ने का आदेश देते है तो वो खुद चुनाव लड़ेंगी या अपनी बेटी समन ताहिर को चुनाव मैदान में उतारेंगी। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों शहला ताहिर और शिवपाल के बीच हुई मुलाकात में उन्हें चुनाव लड़ने का इशारा भी मिल चुका है।
नवाबगंज की धाकड़ नेता शहला ताहिर लम्बे समय तक समाजवादी पार्टी में रह चुकी है। समाजवादी पार्टी ने उन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव में नवाबगंज से प्रत्याशी भी बनाया था लेकिन शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच हुए विवाद के बाद उनका टिकट काट दिया गया और वो आईएमसी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ी और उन्होंने लगभग 36 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। विधानसभा चुनाव के बाद वो नगर निकाय के पहले बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुई और नगर पालिका चेयरमैन का चुनाव लड़ा इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के जिलाध्यक्ष के छोटे भाई की पत्नी को हराया। शहला ताहिर शिवपाल यादव की करीबी नेताओं में से एक थी और मोर्चा बनने के बाद माना जा रहा था कि वो जल्द ही शिवपाल यादव के सेक्युलर मोर्चा में शामिल होंगी।
अभी पिछले दिनों जब शिवपाल यादव बरेली आए थे तो शहला ताहिर ने उनसे सर्किट हाउस में मुलाक़ात की थी। इस दौरान दोनों के बीच लम्बी बात हुई थी। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वो जल्द ही शिवपाल यादव के समाजवादी सेक्युलर मोर्चा में शामिल होंगी और अब जब वो बसपा छोड़ चुकी है तो सेक्युलर मोर्चा से उनकी बेटी बरेली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतार सकती हैं।
बसपा को एक और झटका, शाही नगर पंचायत चेयरमैन साइकिल पर हुईं सवार
लोकसभा चुनाव से पहले बरेली की सियासत में दलबदलू भूचाल आया हुआ है। पहले, वीरपाल फिर शहला और अब नगर पंचायत शाही की चेयमैन ने पार्टी बदलते हुए सियासी समीकरण का गठजोड़ बदलना शुरू कर दिए हैं।
बसपा छोड़ शाही नगर पंचायत की चेयरमैन रुखसाना तारिक अख्तर सपा में शामिल हो गई हैं । उनके साथ सात सभासदों ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण की, जिसमें जफर मियां, मोहम्मद मोबीन, मुख्तार, सज्ज़ाद हुसैन, जमील अहमद, फिरोज कुरैशी, खतीबुल शामिल है। इसकी घोषणा जिलाध्यक्ष शुभलेश यादव ने सोमवार को पार्टी कार्यालय पर हुई प्रेसवार्ता में की। इस मौके पर इस्लाम साबिर, हैदर अली आदि मौजूद रहे।
एक शेर है:
दिल के फफोले जल उठे,
सीने की आग से,
इस घर को आग लग गयी,
घर के चिराग से।।
यह चरितार्थ सिद्ध हो रहा है अखिलेश यादव पर, जिसने मुख्यमन्त्री बनने के नशे में धुत होकर अपने ही पिता मुलायम सिंह को पार्टी से अलग कर दिया। यह मुलायम सिंह का ही साहस था कि स्वयं मुख्यमंत्री बनने की बजाए अपने अहंकारी पुत्र को राज की गद्दी सौंप दी। उसका परिणाम यह हुआ कि चाचा शिवपाल ने भी अलग पार्टी बनाकर भतीजे को मात देने मैदान में कमर कस ली है। यानि हबीब पेन्टर की कव्वाली "जब खून ही दुश्मन बने, फिर दोष किसे दीजियेगा....." सटीक बैठ रही है। देखा जाए तो मुलायम सिंह परिवार में ग्रहचाल ठीक नहीं चल रही। कभी साधना गुप्ता(यादव) कारण बनती है तो कभी अखिलेश और अब शिवपाल सिंह यादव।
अवलोकन करें:--
अक्सर अपने इस ब्लॉग पर प्रकाशित लेखों में लिखता रहता हूँ कि "आज भारत में राजनीति एक व्यापार बन चुकी है, सेवा भाव के नाम पर जनता को मूर्ख और पागल बनाया बनाकर अपनी तिजोरियाँ भरने में तल्लीन रहते हैं।" जिसका सबसे बड़ा प्रमाण उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से अलग हुए शिवपाल यादव द्वारा अपनी रोजी-रोटी की खातिर कोई व्यापार या नौकरी नहीं ढूंढी, विपरीत इसके बना ली एक नयी पार्टी। यानि जिसे "दान का खाना" मुँह लगा हो, मेहनत करने की क्या जरुरत। राजनीतिक पार्टियों को जो चंदा आता है, वह "दान" शब्द का पर्यायवाची शब्द है। शिवपाल ने अपनी पार्टी का नाम रखा है "प्रगतिशील समाजवादी पार्टी" अब यह भविष्य के गर्भ में छिपा है कि प्रगति किसकी होगी, जनजीवन की या अपने पारिवारिक समाज की?
जो जनसेवा आज से तीन दशक पूर्व थी, वही जनसेवा आज व्यापार बन चुकी है। जितनी सुख-सुविधाएँ इन तथाकथित जनसेवकों को मिल रही हैं, तीन दशक पूर्व तक नहीं किसी जनसेवक को नहीं ,मिलती थीं। व्यापारी रोता है व्यापार नहीं, आम आदमी रोता है महंगाई में रोटी खानी मुश्किल हो रही है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता बन अपनी पार्टी को दान दे रहे हैं। नेहरू-गाँधी परिवार को राजनीति में सक्रिय होने पर सब सियापा करते नज़र आते हैं, लेकिन मुलायम सिंह का लगभग सारा ही कुनबा राजनीति के अखाड़े में है, कोई नहीं बोलता, क्यों?
जो जनसेवा आज से तीन दशक पूर्व थी, वही जनसेवा आज व्यापार बन चुकी है। जितनी सुख-सुविधाएँ इन तथाकथित जनसेवकों को मिल रही हैं, तीन दशक पूर्व तक नहीं किसी जनसेवक को नहीं ,मिलती थीं। व्यापारी रोता है व्यापार नहीं, आम आदमी रोता है महंगाई में रोटी खानी मुश्किल हो रही है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता बन अपनी पार्टी को दान दे रहे हैं। नेहरू-गाँधी परिवार को राजनीति में सक्रिय होने पर सब सियापा करते नज़र आते हैं, लेकिन मुलायम सिंह का लगभग सारा ही कुनबा राजनीति के अखाड़े में है, कोई नहीं बोलता, क्यों?
शहला ताहिर जल्द ही शिवपाल यादव से मुलाकात करेंगी। पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक नवाबगंज नगर पालिका की अध्यक्ष शहला ताहिर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी बेटी समन ताहिर को चुनाव मैदान में उतारेंगी।अगर शिवपाल यादव चुनाव लड़ने का आदेश देते है तो वो खुद चुनाव लड़ेंगी या अपनी बेटी समन ताहिर को चुनाव मैदान में उतारेंगी। बताया जा रहा है कि पिछले दिनों शहला ताहिर और शिवपाल के बीच हुई मुलाकात में उन्हें चुनाव लड़ने का इशारा भी मिल चुका है।
नवाबगंज की धाकड़ नेता शहला ताहिर लम्बे समय तक समाजवादी पार्टी में रह चुकी है। समाजवादी पार्टी ने उन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव में नवाबगंज से प्रत्याशी भी बनाया था लेकिन शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच हुए विवाद के बाद उनका टिकट काट दिया गया और वो आईएमसी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ी और उन्होंने लगभग 36 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। विधानसभा चुनाव के बाद वो नगर निकाय के पहले बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुई और नगर पालिका चेयरमैन का चुनाव लड़ा इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के जिलाध्यक्ष के छोटे भाई की पत्नी को हराया। शहला ताहिर शिवपाल यादव की करीबी नेताओं में से एक थी और मोर्चा बनने के बाद माना जा रहा था कि वो जल्द ही शिवपाल यादव के सेक्युलर मोर्चा में शामिल होंगी।
अभी पिछले दिनों जब शिवपाल यादव बरेली आए थे तो शहला ताहिर ने उनसे सर्किट हाउस में मुलाक़ात की थी। इस दौरान दोनों के बीच लम्बी बात हुई थी। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वो जल्द ही शिवपाल यादव के समाजवादी सेक्युलर मोर्चा में शामिल होंगी और अब जब वो बसपा छोड़ चुकी है तो सेक्युलर मोर्चा से उनकी बेटी बरेली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतार सकती हैं।
बसपा को एक और झटका, शाही नगर पंचायत चेयरमैन साइकिल पर हुईं सवार
बसपा छोड़ शाही नगर पंचायत की चेयरमैन रुखसाना तारिक अख्तर सपा में शामिल हो गई हैं । उनके साथ सात सभासदों ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण की, जिसमें जफर मियां, मोहम्मद मोबीन, मुख्तार, सज्ज़ाद हुसैन, जमील अहमद, फिरोज कुरैशी, खतीबुल शामिल है। इसकी घोषणा जिलाध्यक्ष शुभलेश यादव ने सोमवार को पार्टी कार्यालय पर हुई प्रेसवार्ता में की। इस मौके पर इस्लाम साबिर, हैदर अली आदि मौजूद रहे।
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