जयस का चुनावी नारा है 'अबकी बार मध्य प्रदेश में आदिवासी सरकार' |
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक संभावित गठबंधन के लिहाज से जयस ने कांग्रेस से मांग करते हुए कहा है कि वह आदिवासी बाहुल्य सीट कुकसी पर अपनी दावेदारी छोड़ दे। कांग्रेस का इस सीट पर पिछले तीन दशकों से कब्जा है। इसलिए कांग्रेस इस पर अपनी दावेदारी कतई छोड़ने के मूड में नहीं है। दूसरी तरफ जयस इस सीट के लिए इसलिए अड़ी है क्योंकि पार्टी का हेडक्वार्टर इसी के अंतर्गत आता है और यहां इसका अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है।
पहले BSP से नहीं बनी बात, अब केवल 1 सीट के कारण कांग्रेस का दूसरे दल से नहीं हो पा रहा गठबंधन
कांग्रेस के साथ संभावित गठबंधन के बारे में जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा ने बताया, ''कांग्रेस हमारे साथ मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में चुनाव-पूर्व गठबंधन के लिए बातचीत कर रही है।'' इसी बीच, मध्य प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर इस बात की पुष्टि की है कि जयस के साथ गठबंधन के लिए चर्चा चल रही है।
इस मामले में एक दूसरा पेंच यह फंस रहा है कि कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक जयस ने 230 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें मांगी हैं, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि पार्टी इतनी सीटें नहीं दे सकती। कांग्रेस सूत्रों का यह भी कहना है कि जब बसपा लगभग इतनी ही सीटें मांग रही थी तो कांग्रेस ने उसके साथ गठबंधन नहीं किया तो अब इस नए दल जयस को इतनी सीटें देना उपयुक्त नहीं लगता।
जयस
‘अबकी बार मध्य प्रदेश में आदिवासी सरकार’ का नारा देने वाले जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा ने कहा, ‘‘जयस मुख्य रूप से पश्चिमी मध्य प्रदेश के अलीराजपुर, रतलाम, झाबुआ, धार, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा, देवास एवं बड़वानी जिलों के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी, क्योंकि इन इलाकों में आदिवासी मतदाताओं की संख्या बड़ी तादाद में है।’’
उन्होंने कहा, ''हमने कांग्रेस से प्री-पोल गठबंधन करने के लिए 230 विधानसभा सीटों में से 40 सीट मांगी है।'' अलावा ने कहा,‘‘हमारा ध्यान खासकर पश्चिम मध्य प्रदेश स्थित मालवा-निमाड़ की 66 विधानसभा सीटों में से 28 सीटों पर रहेगा। इन 28 सीटों में से 22 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं और इन 22 सीटों में से कांग्रेस की झोली में वर्तमान में केवल पांच सीटें ही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जयस ने दो अक्टूबर को धार जिले के कुक्षी में ‘किसान पंचायत’ की थी। इसमें एक लाख से ज्यादा आदिवासी युवा शामिल हुए थे. इससे हमने बता दिया है कि मालवा-निमाड़ में हमारी क्या ताकत है।’’
मालवा-निमाड़ अंचल
वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में मालवा-निमाड़ की इन 66 सीटों में से बीजेपी ने 56 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को केवल नौ सीटों से संतोष करना पड़ा था। बीजेपी के बागी नेता के खाते में एक सीट आई थी जिसने अपनी पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।
आजकल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को मन्दिरों और हिन्दुओं के देवी-देवताओं की जन्मस्थलियों के दर्शन कर हिन्दू वोटों को रिझाने में व्यस्त हैं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, "राहुल गाँधी को एक बार अयोध्या, काशी और मथुरा भी जाने की सलाह देने पर विचार किया जा रहा है। और अयोध्या जाकर केवल इतना कह दें कि वर्षों से ताले में बंद पुरुषोत्तम श्रीराममन्दिर के ताले मेरे पिता राजीव गाँधी ने खुलवाए। यहाँ शिलान्यास भी मेरे पिता ने ही करवाया था, कोई दंगा नहीं हुआ। लेकिन भाजपा और संघ की मिलीभगत ने ठांचा गिराकर माहौल ख़राब कर दिया।"
परन्तु एक पक्ष इस सलाह के विरुद्ध है, क्योकि भगवान परशुराम और पुरुषोत्तम श्रीराम का चोली-दामन का साथ है; दूसरे जब कोर्ट में राम को काल्पनिक और राम-रावण युद्ध और सीता का अपहरण ही नहीं हुआ बोल चुकी है, कांग्रेस का अस्तित्व ही संकट में पड़ सकता है। वैसे तो राहुल का परशुराम जन्मस्थली पर जाने से कांग्रेस की नीयत पर प्रश्नचिन्ह लगने शुरू हो चुके हैं।
इस बीच, कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी के स्थानीय नेता कोशिश कर रहे हैं कि राहुल महू के पास जानापाव की पहाड़ियों में स्थित भगवान परशुराम की जन्मस्थली भी जायें। हालांकि, इस कार्यक्रम को लेकर अब तक असमंजस बना हुआ है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव प्रचार के लिए अगले हफ्ते बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले मालवा-निमाड़ अंचल जाएंगे। कुल 230 सीटों वाली प्रदेश विधानसभा में मालवा-निमाड़ अंचल की 66 सीटें हैं। पश्चिमी मध्य प्रदेश के इंदौर और उज्जैन संभागों में फैले इस अंचल को सूबे की 'सत्ता की चाबी' भी कहा जाता है। 28 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर वह इस इलाके में शहरी मतदाताओं के साथ दलितों, आदिवासियों और किसानों को साधने की कोशिश करेंगे।
अवलोकन करें:--
वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से बीजेपी ने 56 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को केवल नौ सीटों से संतोष करना पड़ा था। एक सीट बीजेपी के बागी नेता के खाते में आई थी जिसने अपनी पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।
इसी पृष्ठभूमि में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और मध्यप्रदेश मामलों के सह प्रभारी संजय कपूर ने कहा, "हम मालवा-निमाड़ में भाजपा के वर्चस्व को राहुल की अगुआई में सीधी चुनौती देंगे, जहां मतदाता इस बार बदलाव चाहते हैं।" उन्होंने आरोप लगाया कि मालवा-निमाड़ अंचल में दलितों, आदिवासियों और किसानों समेत समाज के तमाम तबके पिछले 15 साल से सत्तारूढ़ बीजेपी की नीतियों के कारण बदहाल हैं।
धार्मिक नगरी से शुरू होगा दौरा
कपूर ने प्रस्तावित कार्यक्रम के हवाले से बताया कि राहुल का मालवा-निमाड़ दौरा 29 अक्टूबर को उज्जैन से शुरू होगा। वह इस धार्मिक नगरी में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। कांग्रेस सचिव ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष 29 अक्टूबर को ही आदिवासी बहुल धार जिले में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद वह इंदौर पहुंचकर करीब तीन किलोमीटर के रास्ते पर रोड शो करेंगे।
राहुल जाएंगे आंबेडकर की जन्मस्थली
कपूर ने बताया कि अगले दिन यानी 30 अक्टूबर को राहुल संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की महू स्थित जन्मस्थली पहुंचेंगे। "दलितों के मसीहा" के स्मारक में शीश नवाने के बाद वह इंदौर के इस नजदीकी कस्बे में चुनावी सभा को भी संबोधित करेंगे। उन्होंने बताया कि राहुल 30 अक्टूबर को ही खरगोन और झाबुआ जिलों में चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। दोनों जिलों में आदिवासियों की बड़ी आबादी रहती है।
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