
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जब उनकी सरकार थी तो उनकी सरकार ने दलित नेताओं की मूर्तियों का निर्माण कराया था जिसे लेकर उनकी और उनकी सरकार की काफी आलोचना की गई। मायावती ने अपने एक बयान में कहा, 'भाजपा और आरएसएस के उन सभी लोगों को बहुजन समाज से माफी मांगने चाहिए जिन्होंने बाबा साहब अंबेडकर जैसे नेताओं की मूर्तियां स्थापित करने पर इसे फिजूलखर्जी करार दिया था।'
मायावती शायद यह भूल रही हैं, कि "हाथी" उनका चुनाव चिन्ह है। दूसरे सरकार ने सरदार पटेल की मूर्ति बनवाई है, आपने तो अपनी और कांशी राम की, जिन्हे चुनावों में ढकने पर कितना सरकारी धन खर्च होता है, कभी सोंचा, जबकि सरदार पटेल की मूर्ति को किसी भी चुनाव में ढकने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
बसपा सुप्रीमो ने पटेल की 143वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि दलित नेता बाबा साहब अंबेडकर की तरह सरदार पटेल भी राष्ट्रवादी नेता थे और उनका काफी सम्मान था। मायावती ने पटेल की मूर्ति का नाम अंग्रेजी में रखने पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी नाम पटेल के अनुयायियों को हमेशा परेशान करेगा।
पटेल की यह मूर्ति 300 इंजीनियरों एवं करीब 3000 मजदूरों की अथक परिश्रम का परिणाम है। यह मूर्ति करीब 3000 करोड़ रुपए की लागत से 42 महीनों में बनकर तैयार हुई है। इसकी ऊंचाई अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी है। सरकार इस स्थान को पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित कर रही है।
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