आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
राजनेता भी गिरगिट की रंग बदलते हैं, कि गिरगिट भी शर्मा जाए। कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में मारे गए रिसर्च स्कॉलर से हिजबुल कमांडर बने मन्नान वानी को कश्मीर में जारी हिंसा का पीड़ित बताया है। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के उन छात्रों पर से केस वापस लेने की मांग की, जिन पर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
छात्रों के समर्थन में उतरीं महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर लिखा- छात्रों पर इतना दबाव बनाना उल्टा पड़ सकता है। केंद्र को मामले में हस्तक्षेप करके मुकदमे वापस करवाने चाहिए और एएमयू प्रशासन को चाहिए कि वह छात्रों के निलंबन को वापस लें। राज्य सरकार को भी स्थिति के बारे में संवेदनशील होना चाहिए और अलगाव को रोकना चाहिए। अगर छात्रों को अपने पूर्व साथी छात्र जो कश्मीर में निर्मम हत्या का शिकार था, को याद करने के लिए सजा मिलती है तो यह एक अजीब नाटक की तरह होगा।
ऐसा आभास होता है कि कश्मीर में पनप रहे और सुरक्षाकर्मियों द्वारा मारे जाने आतंकवादियों को उसी दृष्टि से देखती हैं, जिस मंशा से 1989 में अलगावादियों द्वारा इनकी बहन रुबैया का तथाकथित अपहरण हुआ था। शायद सर्वाधिक विवादित यही अपहरण था, जो अलगाववादियों को जेल से रिहा करवाने के लिए किया था। शायद यही कारण है कि आतंकवादी मन्नान वानी को सुरक्षाकर्मियों द्वारा 72 हूरों के पास भेजने पर अफ़सोस हो रहा है। सम्भव है, जल्द मध्यवर्धि चुनाव देखने की दृष्टि से मुख्यमंत्री पद को छोड़ने से पहले जेलों में बंद पत्थरबाजों को जेल से रिहा कर अपना चुनाव अभियान का श्रीगणेश कर दिया।
11 अक्टूबर को मुठभेड़ में मन्नान को सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। इसी मामले में एएमयू कैंपस में छात्रों ने मन्नान का नमाज-ए-जनाजा आयोजित करने का प्रयास किया। तीन छात्रों पर कैंपस में भारत विरोधी नारे लगाने के आरोपों के चलते देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। इस कार्रवाई से नाराज 1200 कश्मीरी छात्रों ने एएमयू प्रशासन को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि अगर मुकदमे वापस नहीं हुए तो सभी छात्र सर सैयद दिवस पर 17 अक्तूबर को विश्वविद्यालय छोड़कर चले जाएंगे।
अवलोकन करें:--
नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कसा तंज
महबूबा मुफ्ती के ट्वीट पर पूर्व मुख्यमंत्री व नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने तंज कसा है। ट्वीट कर कहा कि महबूबा सरकार ने मन्नान वानी को घेरने तथा उसे मारने की कई बार कोशिशें की हैं। मारे गए कश्मीरी आतंकियों के लिए उनके घड़ियाली आंसू व झूठी संवेदना कुछ साल पहले तक काम करते थे, लेकिन अब नहीं करेंगे। वह यूनिफाइड कमांड की प्रमुख रही हैं, जिन्होंने सुरक्षा बलों को आपरेशन आल आउट के लिए निर्देशित किया।
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