#metoo कैंपेन गलत प्रथा की शुरुआत-- उदित राज, केन्द्रीय मन्त्री

Modi government minister Udit Raj raised finger on the #metoo campaign, said- Beginning of wrong practice
पिताश्री एम.बी.एल.निगम 
#metoo अभियान के तहत जो गड़े मुर्दे बाहर आ रहे हैं, शंका करने को मजबूर कर रहा है, कि दाल में कुछ काला नहीं, सारी ही दाल काली दिख रही है। जिसने भी इस अभियान को चलाया है, उसने मंशा महिला सुरक्षा की नहीं, बल्कि कुछ और ही है। देश की अन्य गंभीर समस्याओं से ध्यान भटकाने का प्रयास है। क्योकि इस अभियान में जितने भी मुद्दे निकलकर आये हैं, सभी पुराने हैं, नया एक भी नहीं। 
मैंने जब स्वतन्त्र पत्रकारिता शुरू की थी, वह भी फिल्मों से। क्योकि फिल्म जगत से बहुत पुराना-- या यूँ कहा जाये जन्म से तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। जब मै इस दुनियां में आया, तब मेरे पिताश्री एम.बी.एल. निगम 50 दशक के नामी फिल्म वितरकों में शुमार थे। फिल्म वितरण असफल होने पर चर्चित सम्वाद लेखक और निर्माता कमाल अमरोही ने तत्कालीन बम्बई अब मुंबई बुला कर अपने प्रोडक्शन महल पिक्चर्स का सारा भार सौंप दिया।-- नाता है। शायद इसी कारण फिल्म लेखन चुना। जैसाकि अब इस अभियान में विनता नन्दा का अलोक नाथ पर जबरदस्ती शराब पिलाकर यौन शोषण करने का जो आरोप लगा है, इस पर स्मरण होता है, चर्चित अभिनेता, निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त की फिल्म "साहिब बीबी और गुलाम" का "ना जाओ सइयां छुड़ाकर बहियाँ, कसम तुम्हारी मै रो पड़ूँगी ....." इस गीत को फिल्म की नायिका मीना कुमारी को शराब के नशे में फिल्माना था। गीत मीना जी के वास्तविक जीवन को छू रहा था, उन्होंने निर्माता गुरुदत्त को शराब पीकर गीत फिल्माने की जिद की। हालाँकि गुरुदत्त ने गीत के फिल्मांकन में शराब के लिए सख्ती से स्पष्ट रूप से मना कर दिया था। लेकिन मीना की जिद के आगे, गुरुदत्त को झुकना पड़ा था। शायद फिल्म इतिहास में यही एक ऐसा गीत होगा, जिसे वास्तव में शराब पीकर फिल्माया गया हो। 
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शराब पीकर गीत फिल्माती मीना कुमारी 
खैर, जिन दिनों हम फिल्मो पर लिखा करते थे, उन दिनों फिल्म लेखन को yellow journalism कहते थे, लेकिन आज तो समस्त पत्रकारिता ही yellow हो गयी है। बरहाल, फिल्म लेखन के दौरान, देखा कि फिल्म हस्तियाँ सुर्ख़ियों में रहने के लिए क्या-क्या करवाते थे और ऐसी शंका है कि #metoo अभियान की शुरुआत ही गलत है, और केन्द्रीय मंत्री उदित राज की बात में बहुत दम है। जिसे नज़रअंदाज़ या विरोध करने की बजाए गंम्भीरता से विचार करना होगा। क्योकि इस अभियान में जो लिखा जा रहा है, उससे फ़िल्मी नगरी की चकाचौंध में लुप्त हो चुकी नायिकाएं पुनः चर्चा में आ गयी हैं और उन्हें अब बिना कोई पैसा खर्च किए प्रसिद्धि मिल रही है। इस तथाकथित प्रसिद्धि से उन्हें फिल्मों या किसी धारावाहिक में कोई अभिनय करने का मौका मिले, मुझे नहीं लगता। 
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BJP MP Udit Raj give controversial statement on #MeToo Camping
बीजेपी से सांसद उदित राज ने ट्वीट कर इस कैंपेनिंग को लेकर अपनी टिप्पणी की. अपने ट्विटर आकंउट पर उन्होंने ट्वीट किया है कि '#MeTo कैम्पेन जरूरी है, लेकिन किसी व्यक्ति पर 10 साल बाद यौन शोषण का आरोप लगाने का क्या मतलब है? इतने सालों बाद ऐसे मामले की सत्यता की जांच कैसे हो सकेगा? जिस व्यक्ति पर झूठा आरोप लगा दिया जाएगा उसकी छवि का कितना बड़ा नुकसान होगा. ये सोचने वाली बात है. गलत प्रथा की शुरुआत है. #MeTo' उदित की यह बात भी सही है, जब 60 वर्ष से अधिक आयु की डेज़ी ईरानी भी अपने बाल्यकाल में हुए यौन शोषण की बात करती नज़र आती है, आखिर इतने वर्ष उपरान्त इसे उछालने का क्या अर्थ निकाला जाए? 
BJP MP Udit Raj give controversial statement on #MeToo Camping
कुछ देर बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया और लिखा, 'यह कैसे संभव है कि कोई "लिव इन रिलेशन" में रहने वाली लड़की अपने पार्टनर पर कभी भी 'रेप' का आरोप लगाकर उस व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज करा दे, वो व्यक्ति जेल चला जाए. इस तरह की घटना आए दिन किसी न किसी के साथ हो रहा है. क्या ये अब ब्लैकमेलिंग के लिए नहीं इस्तेमाल हो रहा है? #MeTo'
महिलाओं के साथ हो रहे यौन शोषण के खिलाफ शुरू किए गए #metoo अभियान ने बॉलीवुड अभिनेताओं के फंसने के बाद अब राजनीतिक दल के नेता भी फंसते नजर आ रहे हैं। इस कैंपेन के तहत मोदी सरकार के मंत्री और पूर्व पत्रकार एम जे अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाया गया है। एम जे अकबर पर लगने के बाद मोदी सरकार के दूसरे मंत्री उदित राज ने ट्वीट कर कैंपेन को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि गलत प्रथा की शुरुआत हुई है। उदित राज ने कहा, #metoo कैंपेन जरुरी है लेकिन किसी व्यक्ति पर 10 साल बाद यौन शोषण का आरोप लगाने का क्या मतलब है ? इतने सालों बाद ऐसे मामले की सत्यता की जांच कैसे हो सकेगा? जिस व्यक्ति पर झूठा आरोप लगा दिया जाएगा उसकी छवि का कितना बड़ा नुकसान होगा ये सोचने वाली बात है। 
 #MeToo कैम्पेन के जरिए महिलाएं अपने साथ अतीत में हुई यौन शोषण की घटनाओं का सोशल मीडिया में खुलासा कर रहीं हैं. इस कैम्पेन के जरिए कई महिलाओं ने मनोरंजन और मीडिया जगत में यौन शोषण से जुड़े अपने अनुभव साझा कर रही हैं.

#metoo कैंपेन ने बॉलीवुड अभिनेताओं के फंसने के बाद अब राज नेता भी फंसने लगे हैं।

एक महिला पत्रकार ने 2017 में आपबीती बताई थी, जिसके मुताबिक उसके बॉस ने उसे होटल के कमरे में उसे जॉब इंटरव्यू के लिए बुलाया था। अकबर कई अखबार और पत्रिकाओं में संपादक रह चुके हैं। हार्वे विन्सिटन्स ऑफ द वर्ल्ड नाम से लिखे पोस्ट में कहा कि अकबर ने होटल के कमरे में उनका इंटरव्यू लिया और उन्हें शराब ऑफर की। उन्होंने बिस्तर पर उनके पास बैठने को कहा। पोस्ट में कहा गया कि अकबर अश्लील फोन कॉल्स, मैसेज और असहज टिप्पणी करने में माहिर हैं। अकबर ने हिन्दी गाने भी गाए। इन आरोपों के बाद एमजे अकबर विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। उनसे इस्तीफे की मांग की गई है।
#metoo कैंपेन के तहत कई महिलाओं ने इंटरटेंमेंट और मीडिया जगत में यौन शोषण से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। पिछले कुछ सालों में कथित यौन शोषण का शिकार बनीं महिलाओं ने अपने कथित गुनहगारों के नाम सार्वजनिक किए जिसके साथ सोशल मीडिया पर नए नामों की बाढ़ सी आ गई। कई अभिनेता, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर के नाम सामने आए। अब तो इस घेरे में राजनेता भी आ गए हैं। 
(एजेंसीज की इनपुट सहित)

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