राममन्दिर को लेकर चर्चित कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर का भाजपा पर प्रहार

नवम्बर 17 को विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक एवं प्रसिद्ध कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में आयोजित एक समारोह में कहा कि उनके लिए राम मंदिर और कथा का बहुत महत्व  है। उन्होंने कहा कि राम के ही भारत में राम को ही थोड़ी सी जगह देने के लिए हमे भीख मांगनी पड़ रही है। राजनितिक पार्टी पर उन्होंने कहा कि मैं कभी  राजनितिक दल नहीं बनाऊंगा, न ही कभी चुनाव में उतरूंगा 
उन्होंने कहा कि मुझे जो भी कार्य करने होंगे वो मैं अखंड भारतीय मिशन के माध्यम से ही करूँगा। देवकी नंदन ठाकुर ने राम मंदिर बनने के सवाल पर कहा कि केंद्र सरकार संसद के शीत कालीन सत्र में मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश लाना चाहिए ताकि इसका पता चल सके कि  कौन राम-मंदिर के साथ है और कौन इसकी खिलाफत कर रहा है। इससे सभीके चेहरे जनता के सामने आ जाएंगे 
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उन्होंने कहा कि राम-मंदिर के निर्माण होने से देश को मानवता की सीख मिलेगी। विदेशी आक्रमणकारियों ने मंदिर का विध्वंस कर वहां मस्जिद का निर्माण किया था। उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजापा की सरकार नहीं होती है तो वो सवर्णों से भीख मांगती है और जब केंद्र में आ जाती है, तो उसे सवर्ण ही याद नहीं रहते।
अवलोकन करें:--
मुगलवाद को जिस तरह भारत में ज़िंदा रखा जा रहा है और वोट के भूखे नेता कट्टरपंथियों के आगे शीश झुकाते हैं, विश्व में भारत को एक मजाक बना दिया है, विश्व इन करतूतों की वजह से हम पर हँसता है। मक्का जिसे इस्लाम का तीर्थ कहा जाता है, भारत में मुगलों के हिमायती जवाब दें कि मक्का में बानी बिलाल मस्जिद कहाँ है? जहाँ सजदा किए बिना हज पूरा नहीं होता था। किसी माई के लाल में हिम्मत है, सऊदी सरकार के विरुद्ध एक लब्ज़ निकाल सकें। भारत में मुगलों के लिए विधवा-विलाप करने वाले सऊदी सरकार के विरुद्ध मुँह खोलने का अर्थ भलीभाँति जानते है कि कहीं हमारे हज के जाने पर वहाँ की सरकार प्रतिबन्ध न लगा दे। भारत में ही कह सकते हैं "हमारा सिर सिर्फ अल्लाह के आगे झुकता है, किसी और के आगे नहीं", अब कोई इनसे पूछे सऊदी सरकार के विरुद्ध क्यों नहीं ? सऊदी सरकार के आगे झुक गया न सिर, इससे बड़ा प्रमाण और क्या चाहिए?

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वैसे अपने समागमों में देवकीनंदन ने नदियों को साफ करने हेतु अपने सुझावों से अवगत कराते रहे हैं। उनके अनुसार, नालों को सीधा नदियों में डालने से अच्छा है, किसी भी नदी से कुछ दूरी बनांते हुए, गहरे गड्ढे बनाते हुए कच्चे नाले बनाये जाएं, गड्ढों की समय-समय पर सफाई कर मल कर खाद के लिए प्रयोग किया जाये। कच्चा गड्ढा होने के कारण पानी भी धरती में समाता रहेगा और पूर्णरूप से गन्दा पानी सीधे नदियों में नहीं मिल पायेगा। पहले नालों का अधिकतर पानी सिंचाई में प्रयोग हो जाता था, लेकिन समय परिवर्तन के साथ-साथ आज लहराते खेतों की जगह मॉल, होटल और गगन-चुम्बी इमारतें ले रही हैं। 
बात 1955 की है. सउदी अरब के बादशाह "शाह सऊद" प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निमंत्रण पर भारत आए थे. वे 4 दिसम्बर 1955 को दिल्ली पहुँचे जहाँ उनका पूरे शाही अन्दाज़ में स्वागात किया गाय. शाह सऊद दिल्ली के बाद वाराणसी भी गए. सरकार ने दिल्ली से वाराणसी जाने के लिए, "शाह सऊद" के लिए, एक विशष ट्रेन में विशेष कोच की व्यवस्था की. शाह सऊद, जितने दिन वाराणसी में रहे उतने दिनों तक बनारस के सभी सरकारी इमारतों पर "कलमा तैय्यबा" लिखे हुए झंडे लगाए गए थे. वाराणसी में जिन जिन रास्तों से "शाह सऊद" को गुजरना था, उन सभी रास्तों में पड़ने वाली मंदिर और मूर्तियों को परदे से ढक दिया गया था. इस्लाम की तारीफ़ और हिन्दुओं का मजाक बनाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था - अदना सा ग़ुलाम उनका, गुज़रा था बनारस से॥ मुँह अपना छुपाते थे, काशी के सनम-खाने॥ अब खुद सोंचिये कि क्या आज मोदी और योगी के राज में किसी भी बड़े से बड़े तुर्रम खान के लिए क्या ऐसा किया जा सकता है. आज ऐसा करना तो दूर, कोई करने की सोंच भी नहीं सकता. हिन्दुओं जबाब दो तुम्हे और कैसे अच्छे दिन देखने की तमन्ना थी ?आज भी बड़े बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं और उनको वाराणसी भी लाया जाता है, लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है और उनसे पूजा कराई जाती है।      

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