आतंकी कसाब का जाति और निवास प्रमाण पत्र कर दिया जारी; प्रशासन में हड़कंप, लेखपाल सस्पेंड

Lucknow UP official Issued Ajmal Kasab Caste certificate suspended
मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब का कथित तौर पर उत्तरप्रदेश के औरेया में जाति और निवास प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया। इस फर्जीवाड़े से प्रशासन में हड़कंप मच गया। मामला उजागर होते ही जिला प्रशासन ने प्रमाण पत्र रद्द कर लेखपाल को निलंबित कर दिया। ऑनलाइन आवेदक के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए गए हैं।
यह भारत है, जहाँ सबकुछ संभव है। जो दुनियाँ में कहीं नहीं हो सकता वह भारत में हो सकता है। स्मरण हो, दिल्ली नगर निगम ने अपने भूतपूर्व महापौर शान्ति देसाई का मृत्यु प्रमाण पत्र तक जारी कर चुकी है, जबकि उस समय वह स्वस्थ एवं जीवित गड़ोदिया मार्किट, खारी बावली में अपने मकान में आराम की ज़िंदगी जी रहे थे। 
यह वही कसाब है, जिसने हिन्दुओं की तरह हाथ में कलावा बांधा हुआ था, जिसे आधार बनाकर गली-कूचों से लेकर सिने जगत और संसद में बैठे हिन्दू विरोधी "भगवा आतंकवाद" का शोर मचाकर पाकिस्तान को बचाकर, हिन्दुओं को नीचा दिखाने में दिन-रात एक किये हुए थे। शक है, अब यही हिन्दू विरोधियों ने #mob lynching, #not in my name, #metoo चला कर देश में अराजकता फ़ैलाने का प्रयास कर रहे हैं।   

आवेदक की भी तलाश जारी

Lucknow UP official Issued Ajmal Kasab Caste certificate suspended
मामला बिधूना तहसील के अम्बेडकर नगर गांव का है। 26 नवंबर, 2008 को मुंबई दहलाने वाले पाकिस्तानी आतंकी कसाब का जन्म स्थान बिधूना तहसील के अंबेडकरनगर गांव दर्शाया गया है। यह प्रमाण पत्र 21 अक्टूबर 2018 को जारी किया गया।
Lucknow UP official Issued Ajmal Kasab Caste certificate suspendedकसाब का फोटो भी लगाया था आवेदन में
बताया जा रहा है कि आवेदन में कसाब का फोटो भी लगाया गया था इसके बाद भी संबंधित अफसर-कर्मचारी उसकी पहचान नहीं कर पाए। उन्होंने प्रमाण पत्र जारी करने से पहले नागरिकता की पुष्टि भी नहीं की।आवेदन में कसाब के पिता का नाम मोहम्मद आमिर लिखा है। मां का नाम मुमताज बेगम लिखा हुआ है। जबकि कसाब की मां का नाम नूर इलाही है।
कसाब पहला विदेशी जिसे भारत में फांसी दी गई
मुंबई में 26 नवंबर 2008 को होटल ताज पर हमला किया गया था। सुरक्षाबलों ने कसाब को गिरफ्तार कर लिया था। चार साल तक वह यरवदा जेल में बंद रहा। मामले में दोषी पाए जाने पर उसे 26 नवंबर 2012 को फांसी दी गई। भारत में ये पहला विदेशी था, जिसे फांसी पर चढ़ाया गया। इस हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी। 600 से ज्यादा जख्मी हुए थे।

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