
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
अपनी 2014 चुनाव रैलियों में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी कहते थे, "ना खाऊंगा, ना खाने दूँगा", "भ्रष्टाचारियों से उनकी काली कमाई के एक-एक पैसे का हिसाब लूँगा" आदि आदि। न जाने कितने नेता हैं, जिनकी कमाई पिछले चुनाव से लेकर इन विधान सभा के होने वाले चुनावों तक कितनी अधिक हो गयी है, जो सिद्ध करता है कि समस्त नेता समाज किस तरह भ्रष्टाचार पर जनता को पागल बनाते है। और पार्टियों को छोड़िए मध्य प्रदेश के मंत्रियों को ही ले लीजिए, जिनकी पत्नियों की आय मंत्रियों से अधिक है। आखिर उनकी पत्नियाँ ऐसा कौन-सा व्यापार करती हैं कि कमाई के मामले में अपने मंत्री पति को ही पीछे छोड़ दिया? क्या मोदी इन मंत्रियों से उनकी पत्नियों के व्यवसाय की जानकारी लेंगे? वास्तव में आज राजनीति एक सफल साफ-सुधरा व्यवसाय बन चुकी है, और जनता है सुबह अपना नाश्ता छोड़, पहले वोट डालने भागती है।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों के बीच जंग छिड़ गई है। सभी पार्टियां वोट पाने के लिए रैलियां और जनसभाएं कर रही हैं। इस बात से तो हर कोई वाकिफ है। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं जिसका शायद आपको कोई अनुमान नहीं होगा। बड़े नेताओं की कमाई की जानकारी मिल जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बड़े नेताओं की पत्नियां कितना कमाती हैं? इन नेताओं की पत्नियां कमाई के मामले इनसे कहीं आगे हैं। इस लिस्ट में मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की पत्नी का नाम भी सामने आया है।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सीएम शिवराज सिंह चौहान की सालाना आय करीब 19.7 लाख रुपए है जबकि उनकी पत्नी साधना सिंह की सालाना आय 37 लाख रुपए है। जो कि शिवराज सिंह की आय से दोगुना है। बीते चुनाव में शिवराज सिंह ने बताया था कि उनकी सालाना आय टैक्स कटने के बाद 17.12 लाख रुपए है जबकि उस समय उनकी पत्नी की आय 20.5 लाख रुपए थी।

राज्यमंत्री संजय पाठक ने अपनी सालाना आय की घोषणा करते हुए कहा है कि उनकी आय 8 लाख रुपए है जबकि उनकी पत्नी की आय 14 लाख रुपए है। 2013 से 2018 की अवधि में दंपति की कुल संपत्ति में करीब 86 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वह विजयराघवगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं।

यदि इस का नाम "सबका साथ, सबका विकास" है, मोदी जी आपको ही मुबारक यह नारा। राजनीती के मैदान कोई कम नहीं, भ्रष्टाचार कोई नेता नहीं छोड़ना चाहता। एक चुनाव जीतो और अपनी दो पीढ़ियों के ऐशोआराम की ज़िन्दगी का प्रबन्ध हो गया। एक तीन दशक पूर्व नेता थे, जिनकी संतानें आज मेहनत मजदूरी कर अपनी जीविका चला रहे हैं, और एक और आजके नेता ! आखिर चुनाव में ये ही काला धन काम आता है, खर्च हुआ एक रूपया दस रूपए वसूलता है। उपरोक्त तो मात्र एक झलकी है, पूरा पटापेक्ष होना बाकी है। त्रिशंकु सरकार बनने की स्थिति में काला धन ही काम आता है, इतना अब जनता अच्छी तरह जान चुकी है।
दूसरे आप "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" का नारा देते हैं, जिसने कल किसी के घर की गृह लक्ष्मी बनना है, आपके ही नेता गृह लक्ष्मी को कलंकित कर स्वयं राजा हरिश्चन्द्र बन रहे हैं।
No comments:
Post a Comment