तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने राज्य में मुसलमानों के लिए आरक्षण बढ़ाने के टीआरएस सरकार के प्रस्ताव का विरोध करने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर हमला बोला. दिचपल्ली में एक चुनावी रैली के दौरान राव ने कहा कि वह अनुसूचित जनजातियों एवं मुसलमानों के लिए आरक्षण बढ़ाने के अपने प्रयासों को जारी रखेंगे.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मुस्लिमों को 12 प्रतिशत आरक्षण देने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर हमला बोलते हुए कहा था कि उनकी पार्टी कभी भी धर्म आधारित आरक्षण की इजाजत नहीं देगी क्योंकि यह असंवैधानिक है.
‘टीआरएस केंद्र के आगे हाथ नहीं फैलाएगी’
अमित शाह की टिप्पणियों पर पलटवार करते हुए राव ने कहा कि टीआरएस केंद्र के आगे हाथ नहीं फैलाएगी और अगले लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी सत्तामें नहीं रहेगी.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मुस्लिमों को 12 प्रतिशत आरक्षण देने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर हमला बोलते हुए कहा था कि उनकी पार्टी कभी भी धर्म आधारित आरक्षण की इजाजत नहीं देगी क्योंकि यह असंवैधानिक है.
‘टीआरएस केंद्र के आगे हाथ नहीं फैलाएगी’
अमित शाह की टिप्पणियों पर पलटवार करते हुए राव ने कहा कि टीआरएस केंद्र के आगे हाथ नहीं फैलाएगी और अगले लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी सत्तामें नहीं रहेगी.
उन्होंने कहा,‘कल उनके अध्यक्ष भी आए थे..उन्होंने लंबी-चौड़ी बातें की और चले गए. उन्होंने कहा कि वे आरक्षण नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि वे मुस्लिमों को आरक्षण नहीं मिलने देंगे..अमित शाह.आप सत्ता में नहीं रहेंगे. आप (कुछ) नहीं दे रहे होंगे और हम ले रहे होंगे.’ उन्होंने कहा कि आरक्षण एवं अन्य चीजें हासिल करने के लिए अगले लोकसभा चुनावों में केंद्र में एक ‘संघीय मोर्चे’ की सरकार बननी चाहिए.
राव ने कहा कि अगले चुनावों में टीआरएस को लोकसभा की 16 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी क्योंकि एआईएमआईएम अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी (हैदराबाद सांसद के तौर पर) का जीतना तय है.
इससे पहले शाह ने परकल और निर्मल में चुनाव प्रचार रैलियों के दौरान आरक्षण के मुद्दे को लेकर हमला बोला था. राज्य में सात दिसंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं.
जिस पार्टी को देखो केवल मुस्लिम और अनुसूचित जनजातियों की बात करता नज़र आता है, कोई हिन्दुओं और सवर्णों की बात ही नहीं करता, वोट इनके भी चाहिए। क्या ऐसे नेताओं और पार्टियों को वोट देनी चाहिए?
जिस पार्टी को देखो केवल मुस्लिम और अनुसूचित जनजातियों की बात करता नज़र आता है, कोई हिन्दुओं और सवर्णों की बात ही नहीं करता, वोट इनके भी चाहिए। क्या ऐसे नेताओं और पार्टियों को वोट देनी चाहिए?
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