बांग्लादेश की विवादास्पद लेखिका तसलीमा नसरीन ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश विवाद पर ट्टीट कर सवाल उठाए

TASLIMA NASREENसबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश विवाद पर  बांग्‍लादेश की विवादास्‍पद लेखिका तसलीमा नसरीन भी कूद पड़ी हैं। तसलीमा नसरीन ने इस मामले में सक्रिय महिला एक्टिविस्टों पर निशाना साधा है। तस्लीमा ने ऐसी महिलाओं से कहा है कि क्यों वो सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए इतनी उत्सुक हैं जबकि और भी महिलाओं से जुड़े तमाम अहम इश्यूज हैं।
तसलीमा नसरीन ने ट्वीट करके कहा है कि-मैं समझ नहीं पा रही हूं कि क्यों महिलाओं में सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए उतावलापन है। मेरे हिसाब से  उन्हें गांवों में जाना चाहिए जहां औरतें घरेलू हिंसा, रेप, सेक्सुअल अभद्रता, नफरत की शिकार हैं, जहां लड़कियों को शिक्षा का, स्वास्थ्य का अधिकार नहीं है ना ही समान मेहनताने वाले रोजगार का अधिकार है वहां काम करने की जरूरत है।'

I do not understand why women activists are so eager to enter Sabarimala. Better they should enter the villages where women suffer from domestic violence, rape, sexual abuse,hate, where girls have no access to education, heath-care,and no freedom to take a job or get equal pay.

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कुछ समय पहले भी तसलीमा ने कहा था कि भारत में पर्याप्‍त मुस्लिम हैं और उसे अब पड़ोसी देशों के और ज्‍यादा मुसलमानों की जरूरत नहीं है। पश्चिम बंगाल में प्रवेश की अनुमति नहीं देने के लिए उन्‍होंने ममता बनर्जी पर भी हमला बोला था। 
तसलीमा ने ट्वीट कर कहा था, 'यह देखकर अच्‍छा लगा कि ममता बनर्जी 40 लाख बांग्‍ला बोलने वालों के लिए इतनी ज्‍यादा सहानुभूति रखती हैं। उन्‍होंने यहां तक कह दिया है कि वह असम बाहर किए जाने वाले लोगों को वह शरण देंगी। उनकी यह सहानुभूति तब कहां थी जब उनकी विरोधी पार्टी ने मुझे पश्चिम बंगाल से बाहर कर दिया था।'
बांग्‍लादेशी लेखिका ने कहा था, 'ममता के अंदर सभी बेघर बांग्‍ला बोलने वालों के लिए के सहानुभूति नहीं है। यदि उनके अंदर होता तो उनके अंदर मेरे लिए भी होती और उन्‍होंने मुझे भी पश्चिम बंगाल में आने की अनुमति दी होती।' उन्‍होंने सुझाव दिया कि किसी भी व्‍यक्ति को अवैध प्रवासी नहीं कहा जाना चाहिए। बांग्‍लादेश के लोग जो अवैध तरीके से भारत आए, उनका काम भारतीय कानून के मुताबिक अवैध है लेकिन वे अवैध नहीं हैं।' 
वहीं सितंबर में बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने को सर्वोच्च न्यायालय के तीन तलाक को खत्म करने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह निश्चित रूप से महिलाओं की आजादी नहीं है और इससे आगे जाकर '1400 साल पुराने कुरान के नियमों को खत्म करने की जरूरत है।'
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केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर रूढ़ियों और कानून के बीच शक्ति प्रदर.....

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तसलीमा ने कहा था, '1400 साल पुराने कुरान के कानून खत्म होने चाहिए। हमें बराबरी पर आधारित आधुनिक कानून की जरूरत है।'

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