
अवैध शरणार्थियों के लिए ‘पकडो और रिहा करो’ की नीति में अहम बदलाव की घोषणा करते हुए ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि अमेरिकी न्यायालय द्वारा उनकी शरण की अर्जी पर फैसला सुनाने के बाद ही उन्हें रिहा किया जाएगा। अगर फैसला उनके पक्ष में नहीं आता तो उन्हें उनके मूल देश भेज दिया जाएगा।
कश्मीर में हाेनेवाली पत्थरबाजी के लिए भारतीय सेना को भारत सरकार द्वारा एेसा आदेश कब ?
ट्रंप ने कहा, ‘हम अपने देश में अब उन्हें रिहा नहीं करने जा रहे हैं। उन्हें लंबा इंतजार करना होगा। हम बड़े शहरों को छावनी में तब्दील कर रहे हैं, सेना अद्भुत तरीके से हमारी मदद कर रही है।’ राजनीतिक रूप से अहम मध्यावधि चुनाव से पहले नीति को लेकर यह भाषण तब दिया गया है जब ऐसा अनुमान है कि तीन लातिन अमेरिकी देशों अल साल्वाडोर, होंडुरास और ग्वाटेमाला से 5000-7000 के बीच शरणार्थियों का काफिला अमेरिका की ओर बढ रहा है। ट्रंप ने उन्हें रोकने के लिए दक्षिण-पश्चिम सीमा पर सेना तैनात की है।राष्ट्रपति ने कहा कि पकडो और रिहा करो की नीति दुनिया भर में हास्यास्पद विषय है। उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें देश में नहीं आने देंगे और हम उन्हें रिहा नहीं कर रहे और हम ऐसा कुछ नहीं करने जा रहे जो वर्षों से होता रहा है। जो हमारे देश के लिए बेहद भयानक है।’ इस बीच ट्रंप ने कहा कि अमेरिका की ओर बढ़ रहा काफिला अगर सैनिकों पर पथराव करता है तो सेना उन पर गोलियां चला सकती है। नीति में बदलाव की घोषणा करने के बाद पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने उम्मीद जताई कि अमेरिकी सेना इन अवैध शरणार्थियों पर गोली नहीं चलाएगी। लेकिन साथ ही कहा कि अगर कोई पथराव करता है जैसा कि मेक्सिको में हुआ तो इसे गोली चलाना माना जाएगा क्योंकि जब आपके चेहरे पर पत्थर लगता है तो उसमें ज्यादा फर्क नहीं होता।
अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप की भाँति भारत सरकार को कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने वालों पर गोली चलाने के आदेश देने चाहिए, क्योकि पत्थर फेंकना भी आतंकवाद का ही रूप है। पत्थरबाजों --पुरुष अथवा महिला-- के साथ नरमी बरतने का अर्थ आतंकवाद अप्रत्यक्ष रूप को कश्मीर में आतंकवाद को सरकारी सुरक्षा प्रदान करना ही है। इतना ही नहीं, इनका समर्थन करने वाले नेताओं और मानवाधिकारियों के साथ भी सख्ती से पेश आना चाहिए। आम जनता का मानना है कि इन्ही के गुप्त समर्थन के ही कारण कश्मीर में आतंकवाद समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा। पाकिस्तान तो मात्र एक बहाना है। ये देश में पनप रहे पाकिस्तानी दलालों के कारण ही कश्मीर में आतंकवाद समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा। पाकिस्तान की सबसे बड़ी ताकत देश में पल रहे पाकिस्तान दलाल हैं। जब तक आतंकवादियों को मिलने वाले समर्थन और मिलने वाली आर्थिक मदद पर लगाम नहीं लगेगी, इस समस्या से मुक्ति नहीं मिलने वाली। पाकिस्तान भी कुछ नहीं कर पायेगा। आतंकवादियों और पत्थरबाजों के साथ-साथ इन दलालों पर भी सख्त कार्यवाही जरुरी है।
दूसरे, सत्ता के गलियारों में भी चर्चा है कि जो देश यानि पाकिस्तान आर्थिक रूप से खुद टूटा हुआ है, आतंकवाद को क्या बढ़ावा देगा। भारत में पल रहे पाकिस्तानी दलालों और मानवाधिकार संस्थाओं को पाकिस्तान की आड़ में कोई अन्य देश ही भारत में अराजकता बनाये रखने के लिए धन दे रहे हैं।
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