
21वीं सदी में जहां महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, तो वहीं उनके साथ हैवानियत भी लगातार जारी है। शायद कोई राजनीतिक पण्डित युवा कांग्रेस नेता सुशील शर्मा रचित तन्दूर काण्ड नहीं भूले होंगे कि किस तरह 1995 में नैना साहनी के टुकड़े कर तन्दूर में डाल समस्त सबूत समाप्त करने का प्रयास किया था। यह भी बहुचर्चित काण्ड था।
हर मिनट हमें महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं सुनाई देती हैं। चाहे शहर हो या गांव अभी भी कुछ पुरुषों का नजरिया महिलाओं के प्रति नहीं बदला है।
महिलाओं को अपनी हवस का सामान समझने वाले कुछ हैवान उनकी इज्जत तार-तार कर देते हैं।
बलात्कार की हर घटना देश के लिए शर्मनाक हैं लेकिन हम आज आपको कुछ ऐसे रेप के मामले बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
अरुणा शानबाग केस
1973 में अरुणा शानबाग के साथ हुए रेप केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
मुंबई के केईएम अस्पताल में बतौर जूनियर नर्स काम करने वाली अरुणा शानबाग से अस्पताल के ही सफाई कर्मचारी ने बलात्कार किया था।
इस वारदात का असर उन पर इस कदर हुआ कि वह कोमा में चली गईं और 40 साल से भी ज्यादा वक्त तक अस्पताल में रहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2011 में उनकी इच्छा मृत्यु की याचिका को ठुकरा दिया था, जिसके बाद 18 मई 2015 को उनकी मृत्यु हो गई।
निर्भया केस
दिल्ली की इस घटना ने पूरे देश को हैवानों के खिलाफ एकजुट करने पर मजबूर कर दिया था।
23 साल की मेडिकल स्टूडेंट से 6 लोगों ने उसके दोस्त के सामने चलती बस में गैंगरेप किया। इतना ही नहीं उन हैवानों ने निजी अंगों में लोहे की रॉड भी डाल दी।
इसके बाद वो लडक़ी और उसके फेंड को चलती बस से नीचे फेंककर भाग गए। घटना के 11 दिन बाद पीड़िता की मौत हो गई थी।
सौम्या रेप और मर्डर केस
सौम्या पर ट्रेन में गोविंदाचामी नाम के शख्स ने लूट के इरादे से हमला किया और उसे सीट से खींचकर ट्रेन से बाहर फेंक दिया।
इसके बाद आरोपी खुद भी ट्रेन से कूदा और घायल सौम्या को खींचकर रेलवे ट्रैक के पास झाड़ियों में ले गया। यहां उसने सौम्या के साथ रेप किया। ट्रेन से फेंके जाने और रेप के बाद घायल सौम्या ने अपना दम तोड़ दिया।
भंवरी देवी गैंगरेप केस
राजस्थान में महिला विकास प्रोजेक्ट के लिए ग्रामीण स्तर पर काम करने वाली भंवरी देवी के मामले ने भी सबको हिला कर रख दिया था। भंवरी देवी के साथ 5 लोगों ने गैंगरेप किया था।
दलित जाति की होने की वजह मामला दबाया जा रहा था, इसलिए मीडिया पर यह मामला बहुत दिनों तक छाया रहा।
इसके बाद मामला चर्चा में आया और इस मामले में सुनवाई के दौरान 5 जज बदले गए। जिसके बाद 6वें जज ने फैसला सुनाया इस केस में किसी भी आरोप के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं।
इमराना रेप केस
उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहने वाली इमराना को उसके ससुर ने अपनी हवस का शिकार बनाया।
अवलोकन करें:--
उत्तर प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती का राजनीतिक सफ़र काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है l 1977 में कांशीराम के सम्पर्क में आने के बाद चन्द्रावती को 'मायावती' नाम मिला, और इसी नाम से इनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ l मायावती पर उत्तर प्रदेश के बीजेपी पूर्व उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने आपत्तिजनक बयान देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी l जिसके बाद दयाशंकर सिंह को पार्टी के सभी पदों से मुक्त कर दिया गया और साथ ही पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया गया l
दयाशंकर सिंह ने मायावती पर आरोप लगाते हुए कहा कि “मायावती जी किसी को एक करोड़ रुपए में टिकट देती हैं, लेकिन एक घंटे बाद कोई दो करोड़ रुपए देने वाला मिलता है, तो वो उसको टिकट दे देती हैं. शाम को कोई तीन करोड़ देने वाला मिलता है तो वो टिकट काट कर उसे दे देती है l” दयाशंकर सिंह इतने पर ही नही रुके उन्होंने मायावती को ‘वैश्या’ तक कि संज्ञा दे दी l दयाशंकर सिंह ऐसे अकेले नही हैं जिन्होंने मायावती पर ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग किया हैl
दयाशंकर सिंह ने मायावती पर आरोप लगाते हुए कहा कि “मायावती जी किसी को एक करोड़ रुपए में टिकट देती हैं, लेकिन एक घंटे बाद कोई दो करोड़ रुपए देने वाला मिलता है, तो वो उसको टिकट दे देती हैं. शाम को कोई तीन करोड़ देने वाला मिलता है तो वो टिकट काट कर उसे दे देती है l” दयाशंकर सिंह इतने पर ही नही रुके उन्होंने मायावती को ‘वैश्या’ तक कि संज्ञा दे दी l दयाशंकर सिंह ऐसे अकेले नही हैं जिन्होंने मायावती पर ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग किया हैl
उस समय सत्ता के गलियारों में यह भी चर्चा थी कि जगजीवन के राजनीतिक जीवन को समाप्त करने इन्दिरा गाँधी के इशारे पर यह षड्यंत्र खेला गया था। क्योंकि जगजीवन ने बहुत ही विषम स्थिति में कांग्रेस का साथ छोड़ प्रधानमन्त्री बनने की लालसा में जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। और इन्दिरा मेनका के सहयोग से इस षड्यंत्र में सफल हुईं।
लेकिन मेनका अधिक समय तक अपनी इस पत्रिका को अपने नियंत्रण में रखने में असफल रहीं। वर्तमान राजस्थान मुख्यमन्त्री वसुंधरा राजे की माताश्री विजयराजे सिंधिया के सचिव अँगरे ने वसुंधरा और अकबर अहमद डम्पी के माध्यम से मेनका की पत्रिका को खरीद लिया। जिस तरह इस पत्रिका का सौदा हुआ था, तब भी मेनका गाँधी विवादों में आ गयीं थी।
लेकिन मेनका अधिक समय तक अपनी इस पत्रिका को अपने नियंत्रण में रखने में असफल रहीं। वर्तमान राजस्थान मुख्यमन्त्री वसुंधरा राजे की माताश्री विजयराजे सिंधिया के सचिव अँगरे ने वसुंधरा और अकबर अहमद डम्पी के माध्यम से मेनका की पत्रिका को खरीद लिया। जिस तरह इस पत्रिका का सौदा हुआ था, तब भी मेनका गाँधी विवादों में आ गयीं थी।
जिसके बाद गांव के लोगों ने इसे बलात्कार के बजाय अनैतिक संबंध माना और इमराना को अपने ससुर को ही पति मानकर उसके साथ रहने को कहा। लेकिन मीडिया की कोशिशों से यह मामला सामने आया और आरोपी ससुर को 10 साल की सजा सुनाई गई।
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