ये तस्वीर यूपी चुनाव के वक्त की है, जब राहुल गांधी ने लखनऊ के सेंट जोसेफ कैथड्रल में प्रार्थना के बाद प्रचार की शुरुआत की थी। |
एक कहावत है :-
सच्चाई छुप नहीं सकती,
कभी बनावट के असूलों से,
खुशबू आ नहीं सकती
कभी कागज के फूलों से।
राहुल गाँधी कभी कहते हैं कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है, तो कभी अपने आपको जनेऊ धारी हिन्दू बतातें हैं,लेकिन गुजरात से राजस्थान पहुँचते-पहुँचते जनेऊधारी हिन्दू से कौल ब्राह्मण बन गए और गोत्र दत्तात्रेय भी हो गया। बात यहीं नहीं रुकी, राहुल गांधी ने एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान कहा, 'हिंदुत्व का सार क्या है? गीता क्या कहती है? वह ज्ञान हर किसी के साथ है, ज्ञान आपके चारों ओर है। प्रत्येक जीवित चीज के पास ज्ञान है। हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह हिंदू हैं लेकिन हिंदुत्व की नींव के बारे में नहीं जानते। मोदी किस प्रकार के हिंदू हैं?'
राहुल कितने हिन्दू है वह, नवम्बर 29, 2017 को राहुल गाँधी द्वारा सोमनाथ मन्दिर के दर्शन करने पर चरितार्थ हो गया है। मन्दिर में ऐसे बैठ रहे हैं जैसे किसी मस्जिद में नमाज पढ़ रहे हैं।
जो पार्टी 10 वर्ष सत्ता में रहते, हिन्दू धर्म को कलंकित करती रही हो, इस्लामिक आतंकवाद को चार चाँद लगाने बेगुनाह हिन्दू साधु-संत और साध्वियों को जेलों में डाल, उन पर अत्याचार करने से नहीं चुकी, आज उसी पार्टी का अध्यक्ष मन्दिरों के चक्कर काट रहा हैं। अब इसको कांग्रेस की दोगली नीति न कहा जाए तो क्या कहा जाए? स्वामी असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित से आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने को कबूलवाने के लिए जो अमानवीय अत्याचार किए गए थे, यदि उसका एक प्रतिशत भी इस पार्टी के कार्यकाल में गिरफ्तार इस्लामिक आतंकवादी के साथ किया होता, देश में सारे छद्दम धर्म-निरपेक्ष नेता और पार्टियाँ आसमान को सिर पर उठा लेते, लेकिन इन बेगुनाहों के साथ किए जा रहे अमानवीय अत्याचारों पर समस्त पार्टियाँ गूंगी बहरी और सूरदास बनी रहीं, आज किस मुँह से अपने आप को हिन्दू कहते हैं?
राहुल गांधी, उनके परिवारजन, कांग्रेसी किसी भी धर्म को माने या ना माने यह उनका व्यक्तिगत विषय है, परंतु यह भी उतना ही अत्यंत दुखद है कि वह धर्म के नाम पर घृणित राजनीति कर रहा है। श्री भगवान सोमनाथ मंदिर में जो भी उसकी गैर हिंदू रजिस्टर में एंट्री हुई है यह उसका व्यक्तिगत विषय है, परंतु उसके बाद जिस तरह से कांग्रेसियों के बयान आये है वह निंदनीय व् दुखद है जिसमें राहुल गांधी को जनेऊ धारी हिन्दू बताया गया है। मेरा यह मानना है कि धर्म के नाम पर केवल राजनीति ना हो, राहुल गांधी यदि सनातनी हिंदू है तो केवल रविवार को सिर्फ तीन बार जनता के सामने गायत्री मंत्र का उच्चारण स्वयं करें, इन दिनों में वह गायत्री मन्त्र अच्छी तरह सीख सकता है, अगर यदि संभावना न हो तो अगले रविवार को कर दें मतलब गायत्री मन्त्र का उच्चारण सीख कर और उसके साथ किसी भी हिन्दू ग्रन्थ रामायण या महाभारत या कोई भी वेद पुराण की किसी छोटी सी घटना का जो की उसको याद हो सके स्वयं वर्णन करें, कंठस्थ बगैर किसी मोबाइल एप्प की सहायता के बिना। इससे सिद्ध हो जायेगा की राहुल गाँधी इलेक्शन टाइम में ही सिर्फ मंदिरो में जा कर हिन्दू धर्म का मज़ाक उड़ा रहा है या उसकी हिन्दु धर्म में आस्था व् श्रद्धा है।
गुजरात के सोमनाथ मंदिर में राहुल गांधी ने खुद को गैर-हिंदू के रूप में दर्ज करवाया। इसके साथ ही यह बहस चल पड़ी है कि आखिर राहुल गांधी का धर्म क्या है? अगर वो हिंदू नहीं तो किस धर्म को मानते हैं? ईसाई, इस्लाम या फिर कुछ और? कहीं ऐसा तो नहीं कि राहुल गांधी नास्तिक हैं? अब राजस्थान चुनावों में अपना दत्तात्रेय गोत्र बताना कितना हास्यप्रद लगता है। दरअसल राहुल गांधी के धर्म का विवाद नया नहीं है। उनके राजनीति में आने से पहले से ही ये सवाल खड़े होते रहे हैं।
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कई बार यह दावा किया है कि राहुल गांधी ईसाई हैं और वो दोहरी पहचान रखते हैं। स्वामी तो यहां तक दावा करते हैं कि 10 जनपथ में सोनिया गांधी ने एक चर्च बनवा रखा है और रविवार के दिन वहां पर बाइबिल के उपदेश पढ़े जाते हैं और पूरा गांधी परिवार इसमें शामिल होता है। इसके अलावा कुछ और घटनाएं भी हो चुकी हैं जिनसे यह पता चलता है कि संभवत: सोनिया गांधी के आने के बाद से गांधी परिवार कैथोलिक ईसाई धर्म से जुड़ चुका है। वो 5 बड़ी बातें जिनके आधार पर यह बात की जा रही है।
1. राहुल गांधी की है दोहरी पहचान
2014 में यह खबर आई थी कि कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में राहुल गांधी की सारी पढ़ाई ‘राउल विंसी’ के तौर पर हुई है। वहां पर वो 1994 से 95 तक छात्र रहे थे। यूनिवर्सिटी की एलुमनी बुक में भी उनका यही नाम दर्ज है। कॉलेज की प्रिंसिपल ने डॉक्टर एलिसन रिचर्ड की तरफ से जारी एक चिट्ठी में भी राउल विंसी को कॉलेज में एमफिल का छात्र बताया गया है। हालांकि दलील दी जाती है कि ऐसा सुरक्षा कारणों से किया गया होगा। अवलोकन करिए:--
लेकिन सुब्रह्मण्यम स्वामी इस दलील को सही नहीं मानते। उनके मुताबिक राहुल गांधी के सर्टिफिकेट पर भी राउल विंसी नाम ही दर्ज है। उनका कहना है कि सुरक्षा के लिए नाम बदलने की दलील सही नहीं है, क्योंकि राहुल जब ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ते थे तो यह बात पूरे देश को पता थी, वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी जानते थे।
2. अमेरिका में राजदूत ने बोला सच
राजीव गांधी से शादी के बाद सोनिया गांधी ने नया नाम जरूर ले लिया था, लेकिन उन्होंने औपचारिक तौर पर कभी धर्मांतरण नहीं किया। यहां तक कि उन्होंने भारत की नागरिकता लेने में भी कई साल की देरी लगाई थी। 2011 में अमेरिका में भारतीय उच्चायुक्त मीरा शंकर ने वहां पर एक प्रोग्राम में दावा किया था कि सोनिया गांधी ईसाई हैं। उनका ये भाषण वहां के भारतीय दूतावास की वेबसाइट पर अपलोड भी किया गया था, लेकिन कुछ दिनों के अंदर ही भाषण के उस हिस्से को गायब करवा दिया गया। सवाल यह है कि अगर राजदूत ने कुछ गलत भी कहा था तो उस पर औपचारिक स्पष्टीकरण देने के बजाय लीपापोती क्यों की गई?
3. न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी सच्चाई
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने 27 फरवरी 1988 में एक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी को रोमन कैथोलिक बताया था। इस रिपोर्ट में अखबार ने चर्च के हवाले से इस बात की पुष्टि की थी कि सोनिया गांधी ने खुद और अपने बेटे-बेटी को हिंदू या मुसलमान होने से बचाकर रखा है। सोनिया गांधी की तारीफ में छपे इस लेख में उनकी बढ़ती राजनीतिक ताकत का गुणगान किया गया था। यह लेख जब छपा था तो भारत में काफी हंगामा हुआ था। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इसका कभी खंडन नहीं किया। यह लेख आज भी अखबार की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।
4. ईसाई मिशनरी से खुला समर्थन
उत्तर प्रदेश चुनाव के वक्त यह बात सामने आई थी कि जहां कहीं भी राहुल गांधी की रैलियां होती थीं, वहां के लिए बसें भरकर भेजने में ईसाई मिशनरी भी जुटी हुई थीं। उत्तर प्रदेश में कई मिशनरी स्कूल और अस्पताल चलते हैं। राहुल गांधी की रैलियों में इन मिशनरीज पूरा हाथ बंटाया था। यह माना जाता है कि 10 साल के यूपीए शासन में देश में ईसाई मिशनरियों को खुलेआम धर्मांतरण की छूट दे दी गई थी।
5. शुरू से ही हिंदू विरोधी मानसिकता
विकीलीक्स के खुलासे में यह बात पता चली थी कि अमेरिकी डिप्लोमेट से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत में इस्लामी आतंकवाद से बड़ा खतरा हिंदू आतंकवाद है। यह आरोप लगता रहा है कि राहुल गांधी ने ऐसे ही तमाम दूसरे विदेशी राजदूतों और पत्रकारों के जरिए हिंदू धर्म को लेकर दुष्प्रचार किया। उन्होंने एक बार कहा था कि जो लोग मंदिर जाते हैं वो लड़कियां छेड़ते हैं। इस बयान पर उनका काफी विरोध भी हुआ था।
स्वामी का दावा- ‘राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं’
जबकि दूसरी ओर बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यह बड़ा दावा किया है। ‘राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं’। उन्होंने इस बारे में गृह मंत्री राजनाथ सिंह को एक चिट्ठी लिखकर जांच का अनुरोध किया है। साथ ही वो दस्तावेज भी भेजे हैं जिनके आधार पर स्वामी ने ये दावा किया है। इससे पहले सुब्रह्मण्यम स्वामी ने नवंबर 2016 में भी इस बारे में बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उनका दावा है कि खुद राहुल ने 2003 में खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था। राहुल ने तब लंदन में एक प्राइवेट कंपनी रजिस्टर कराई थी और उसमें उन्होंने अपना लंदन का स्थानीय पता लिखा था और नागरिकता के कॉलम में खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था। स्वामी इस मुद्दे को समय-समय पर उठाते रहे, लेकिन राजनीतिक कारणों से मामला अब तक दबा रहा है। इस मामले में शिकायत लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन तक पहुंच चुकी है।
भारतीय नागरिकता दिखावे के लिए!
राहुल गांधी ब्रिटेन में वोटर भी रहे
कैसे सामने आए ये सारे दस्तावेज?
अब क्या चाहते हैं सुब्रह्मण्यम स्वामी?
स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द की जाए और उनकी लोकसभा की सदस्यता भी खत्म कर दी जाए। क्योंकि कोई भारतीय कानून के मुताबिक कोई भारत के साथ दूसरे देश की नागरिकता एक ही समय पर नहीं रख सकता है। स्वामी इस बारे में लोकसभा स्पीकर को भी पत्र लिखने वाले हैं।
स्वामी के दावे पर क्या कह रही है कांग्रेस?
कांग्रेस सुब्रह्मण्यम स्वामी के दावों को अब तक खारिज करती रही है। दो साल पहले जब उन्होंने इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी तब राहुल के घर पर अहमद पटेल, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सीपी जोशी और शकील अहमद की बैठक हुई थी। उसके बाद एक बयान जारी करके कहा गया कि पैदा होने के दिन से ही राहुल भारत के नागरिक हैं और उन्होंने कभी किसी दूसरे देश का पासपोर्ट नहीं लिया। कांग्रेस ने स्वामी के आरोपों को राजनीतिक करार दिया, लेकिन उन्होंने दस्तावेजों और आरोपों पर कोई साफ जवाब नहीं दिया। यह भी नहीं बताया कि 2003 और 2009 के बीच राहुल क्यों खुद को ब्रिटिश नागरिक बताते रहे, जबकि वो भारतीय संसद के सदस्य भी थे। इसी दिन शाम को सोनिया और प्रियंका गांधी ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के घर पर जाकर उनसे मुलाकात की थी। इस बातचीत का ब्यौरा तो सामने नहीं आया है, लेकिन अटकलें हैं कि यह मुलाकात भी स्वामी के खुलासे के सिलसिले में हो सकती है।
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