बुलंदशहर हिंसा मामले में 83 पूर्व नौकरशाहों द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगने के बाद राजनीति तेज हो गई है। पूर्व नौकरशाहों का यह पत्र सामने आने के बाद विपक्ष जहां योगी सरकार पर हमलावर है, वहीं भाजपा भी आक्रामक हो गई है। भाजपा ने कहा है कि राफेल पर नाकाम हो चुके लोग इस मुहिम के पीछे हैं और राजनीतिक दुर्भावना के चलते योगी सरकार के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।उत्तर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने टाइम्स नाउ हिंदी से बातचीत में कहा, 'बुलंदशहर मामले में पूर्व आईएएस और आईपीएस ने राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर पत्र लिखा है। राफेल पर जो फेल हो गए वही लोग इस मुहिम में शामिल हैं। पत्र लिखने वाले यूपीए सरकार के दौरान अधिकारी रह चुके हैं और इनमें से कई यूपीए की चेयरमैन सोनिया गांधी की सलाहकार परिषद के सदस्य रह चुके हैं। अब वही लोग योगी सरकार के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।' प्रवक्ता ने कहा कि बुलंदशहर हिंसा मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
दिसंबर 19 को 83 पूर्व नौकरशाहों ने बुलंदशहर हिंसा मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उनसे इस्तीफे की मांग की। पूर्व अधिकारियों ने राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था का हवाला दिया और कहा कि बुलंदशहर हिंसा की जांच सही तरीके से नहीं हो रही है। पुलिस की जांच का फोकस हिंसा में मारे गए पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के हत्यारों पर कार्रवाई करने की जगह गोकशी में शामिल लोगों को पकड़ने पर है। पूर्व अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि सत्ताधारी पार्टी की ओर से सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाया जा रहा है।
बुलंदशहर हिंसा मामले में पुलिस ने दिसंबर 18 को तीन लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस का कहना है कि गोहत्या में चार लोग शामिल थे जिनमें से एक फरार है। पुलिस के मुताबिक गोहत्या के आरोपी अपने लाइसेंसी हथियार से गायों को मारा करते थे। बुलंदशहर में तीन दिसंबर को हुई हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत हो गई। इस हिंसा में सुमित नाम के एक युवक को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस हिंसा के बाद पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया था।
वहीं, लखनऊ में सुमित के माता-पिता ने दिसंबर 19 को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मुलाकात की। परिजनों ने सुमित को शहीद का दर्जा देने की मांग की है। बता दें कि राज्य सरकार की तरफ से सुमित के परिजनों को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया है।
सरकार को चाहिए #metoo, #not in my name, #mob lynching, #intolerance आदि कम्पैन चलाने वालों की गंभीरता से जाँच कर इन षड्यंत्रकारियों पर कार्यवाही करनी चाहिए, ताकि 2019 चुनावों से पहले इस तरह की विभाजनकारी हरकतें करने से पूर्व उन्हें कानून का डर हो, कि यदि यही सरकार सत्ता में वापस आ गयी, हमारा और हमारे परिवार वालों का किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे विघटनकारी सत्ता के भूखे लोगों की गोदी में बैठ मालपुए खाकर अपनी तिजोरियाँ जनता में डर बैठा भर रहे हैं।
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