माकपा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की देश भर में मंदिरों की यात्रा का जिक्र करते हुये आगाह किया है कि कांग्रेस अगर ‘‘सॉफ्ट हिंदुत्व’’ के सहारे भाजपा को हराने की रणनीति अपना रही है तो यह उसकी भूल साबित होगी। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी के संपादकीय लेख में कहा ‘‘अगर कांग्रेस यह सोचती है कि सॉफ्ट हिंदुत्व के सहारे वह भाजपा को हरा देगी तो यह उसकी भूल साबित होगी।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में राहुल गांधी के मंदिरों के दर्शन कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि कांग्रेस भाजपा से अधिक हिंदू है। येचुरी ने कहा ‘‘लेकिन भाजपा इन तीनों राज्यों में रोजगार, किसानों का गुस्सा, मूलभूत सुविधाओं का अभाव और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव हारेगी।
येचुरी ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में प्रत्येक पंचायत में गौशाला खोलने, गौमूत्र की बिक्री करवाने और ‘राम वन गमन पथ’ बनवाने की बात कही है। इसी तरह राजस्थान में कांग्रेस के घोषणापत्र में शैक्षणिक पाठ्यक्रम में वैदिक मूल्यों को बढ़ावा देने की बात कही गयी है। इतना ही नहीं कांग्रेस के प्रचार अभियान के दौरान भीड़ द्वारा निर्दोष पहलू खान सहित अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य लोगों को मार डालने की घटनाओं का मुद्दा जोर शोर से उठाने की अनिच्छा की भी साफ झलक दिखी।
लेख में उन्होंने कहा कि सिर्फ धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक विकल्प के लिये देशव्यापी संघर्ष के बलबूते ही भाजपा आरएसएस को हराया जा सकता है। साथ ही राम मंदिर के नाम पर सांप्रदायिक जलसों के समानांतर देश भर में लोगों को धर्मनिरपेक्षता की खातिर जनआंदोलन के लिये एकजुट करना होगा।
जैसाकि निम्न लेख में लिखा है कि किसी को मोदी सरकार से शिकायत नहीं, बल्कि नरेन्द्र मोदी से है। येचुरी का लेख निम्न लेख को को सत्यापित कर रहा है, कि चाहे कुछ भी हो जाए, अयोध्या विवाद हल नहीं होना चाहिए। उनका यह कहना "राम मंदिर के नाम पर सांप्रदायिक जलसों के समानांतर देश भर में लोगों को धर्मनिरपेक्षता की खातिर जनआंदोलन के लिये एकजुट करना होगा।..." येचुरी साहब यह भी बताएं धर्मनिरपेक्षता क्या तुष्टिकरण से होती है? आखिर कब तक हिन्दू त्योहारों और देवी-देवताओं का अपमान किया जाता रहेगा? कोई सीमा होती है या नहीं? यदि इसी तरह के शब्द मस्जिद के विरोध में लिख दिए होते, अब तक कम्युनिस्ट ऑफिस के आगे आंदोलन हो गए होते। लेकिन यह निश्चित है कि जिस दिन से अयोध्या में राममन्दिर निर्माण प्रारम्भ होगा, सबसे ज्यादा साख वामपंथियों की होगी, फिर दूसरे नंबर पर कांग्रेस और कांग्रेस को समर्थन करती पार्टियों की। जो अब दीवारों पर लिखा पढ़ा जा सकता है। क्योकि कोर्ट में अयोध्या में मिले मन्दिर के प्रमाणों को छुपाने में वामपंथी और कांग्रेस समर्पित इतिहासकारों ने जरुरत से ज्यादा शर्मनाक काम किया है।
अवलोकन करें:--
http://nigamrajendra28.blogspot.in/2017/11/blog-post_37.html
जैसाकि निम्न लेख में लिखा है कि किसी को मोदी सरकार से शिकायत नहीं, बल्कि नरेन्द्र मोदी से है। येचुरी का लेख निम्न लेख को को सत्यापित कर रहा है, कि चाहे कुछ भी हो जाए, अयोध्या विवाद हल नहीं होना चाहिए। उनका यह कहना "राम मंदिर के नाम पर सांप्रदायिक जलसों के समानांतर देश भर में लोगों को धर्मनिरपेक्षता की खातिर जनआंदोलन के लिये एकजुट करना होगा।..." येचुरी साहब यह भी बताएं धर्मनिरपेक्षता क्या तुष्टिकरण से होती है? आखिर कब तक हिन्दू त्योहारों और देवी-देवताओं का अपमान किया जाता रहेगा? कोई सीमा होती है या नहीं? यदि इसी तरह के शब्द मस्जिद के विरोध में लिख दिए होते, अब तक कम्युनिस्ट ऑफिस के आगे आंदोलन हो गए होते। लेकिन यह निश्चित है कि जिस दिन से अयोध्या में राममन्दिर निर्माण प्रारम्भ होगा, सबसे ज्यादा साख वामपंथियों की होगी, फिर दूसरे नंबर पर कांग्रेस और कांग्रेस को समर्थन करती पार्टियों की। जो अब दीवारों पर लिखा पढ़ा जा सकता है। क्योकि कोर्ट में अयोध्या में मिले मन्दिर के प्रमाणों को छुपाने में वामपंथी और कांग्रेस समर्पित इतिहासकारों ने जरुरत से ज्यादा शर्मनाक काम किया है।
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आखिर हिंदुओं से इतनी नफरत क्यों करती है कांग्रेस? इस सच्चाई को जानने के लिए निम्न लेखों का अवलोकन करें :--
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